आवास ऋण मंजूरी व वितरण में अनियमितता के मामले में छह आरोपित बरी, कहा- आरोप साबित करने में विफल रही CBI
राउज एवेन्यू कोर्ट की एक अदालत ने दो दशक पुराने आवास ऋण मंजूरी और वितरण में अनियमितता के मामले में छह आरोपियों को बरी कर दिया है। विशेष न्यायाधीश शिव कुमार की अदालत ने सबूतों के अभाव में यह फैसला सुनाया। आरोपियों पर बैंक को 13 लाख से अधिक की आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप था, जिसके लिए 2004 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दो दशक से भी ज्यादा समय पहले इलाहाबाद बैंक की वजीरपुर शाखा द्वारा आवास ऋण की मंजूरी और वितरण में अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में राउज एवेन्यू की विशेष अदालत ने छह लोगों को बरी कर दिया है।
विशेष न्यायाधीश ज्योति क्लेर ने राजन अरोड़ा, उनकी पत्नी सुनीता अरोड़ा, विनय कुमार गोयल, उनकी पत्नी वैभवी गोयल और दो अन्य अरविंद गोयल और भूषण देव चावला को संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया। अरविंद गोयल और चावला के खिलाफ कार्यवाही पहले उनकी मृत्यु के कारण रोक दी गई थी।
अदालत ने माना कि सीबीआई आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार के आरोपों को संदेह से परे साबित करने में विफल रही। जून 2004 में सीबीआई ने मामला दर्ज किया था।
इसमें आरोप था कि इलाहाबाद बैंक के पूर्व अधिकारी वी के छिब्बर ने निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर जाली संपत्ति दस्तावेज के आधार पर आवास ऋण स्वीकृत करने की साजिश रची थी। इससे बैंक को लगभग 77.6 लाख रुपये का नुकसान हुआ था।
आरोपित तीन ऋण खातों में शामिल उधारकर्ता और विक्रेता थे, जिन्हें मई और अगस्त 2003 के बीच दिल्ली के शालीमार गांव और ओल्ड गोबिंदपुरा में संपत्तियों के लिए स्वीकृत किया गया था।
अदालत ने कहा कि इसी मामले में सह-आरोपितों को 2021 में समान साक्ष्यों के आधार पर बरी कर दिया गया था। अदालत ने यह भी कहा कि वर्तमान मुकदमे में अलग दृष्टिकोण अपनाने का कोई आधार नहीं है।
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