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    सोनीपत का नाला दिल्ली के पेयजल को कर रहा दूषित, जल बोर्ड ने हरियाणा सरकार के समक्ष उठाया मुद्दा

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 11:52 PM (IST)

    यमुना नदी को स्वच्छ करने के लिए दिल्ली और पड़ोसी राज्यों को मिलकर काम करना होगा। हरियाणा के सोनीपत से आने वाला डायवर्जन ड्रेन-6 (डीडी-6) यमुना को दूषि ...और पढ़ें

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    सोनीपत से आने वाला डायवर्जन ड्रेन-6 (डीडी-6) यमुना को लगातार दूषित कर रहा है

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। यमुना को स्वच्छ करने के लिए दिल्ली के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों को भी मिलकर काम करना होगा। इस संबंध में समन्वय बैठकें भी हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है।

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    हरियाणा के सोनीपत से आने वाला डायवर्जन ड्रेन-6 (डीडी-6) यमुना को लगातार दूषित कर रहा है, जिसका सीधा असर दिल्ली की पेयजल आपूर्ति पर पड़ रहा है। इसका दूषित पानी डीडी-8 के माध्यम से दिल्ली आने वाले पेयजल स्रोत को प्रदूषित कर रहा है। दिल्ली जल बोर्ड ने इस मामले को हरियाणा सरकार के समक्ष कई बार उठाया है।

    सोनीपत के राठधना रोड स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की क्षमता 30 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) है, लेकिन इसमें 40 से 50 एमएलडी तक औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट और शहर का सीवेज पहुंच रहा है। नतीजतन, 10 से 20 एमएलडी गंदा पानी बिना शोधित किए सीधे डीडी-6 में छोड़ा जा रहा है।

    वहां कार्यरत कुछ कर्मचारियों का यह भी कहना है कि औद्योगिक अपशिष्ट अत्यधिक प्रदूषित होने के कारण एसटीपी को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए उसे जानबूझकर ड्रेन में डाला जा रहा है। कुछ महीने पहले गलत रिपोर्ट देने के मामले में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक अधिकारी को निलंबित भी किया था।

    कई जगहों पर डीडी-6 क्षतिग्रस्त होने और ओवरफ्लो होने के कारण इसका दूषित पानी समानांतर चल रहे डीडी-8 में मिल जा रहा है। पश्चिमी यमुना नहर से दिल्ली के हिस्से का पानी इस ड्रेन से लाया जाता है। यह ड्रेन पल्ला से पहले यमुना में मिल जाता है। दूषित पानी के कारण वजीराबाद जलाशय में अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है, जिससे वजीराबाद और चंद्रावल जल शोधन संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) बुरी तरह प्रभावित होते हैं और दिल्ली के बड़े इलाकों में जलापूर्ति बाधित हो जाती है।

    हरियाणा के सिंचाई विभाग ने दोनों नालों के बीच दीवार बनाकर दूषित पानी रोकने का दावा किया था, लेकिन दीवार छोटी होने के कारण डीडी-6 का पानी ओवरफ्लो होने पर डीडी-8 में पहुंच जाता है और फिर यमुना में मिल रहा है। जुलाई 2024 में उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी के पास यमुना में बड़ी संख्या में मछलियां मर गई थीं। इसकी वजह भी डीडी-6 का दूषित पानी ही था। मामले का संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने संबंधित एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी थी। दिल्ली जल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में डीडी-6 को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था।

    हरियाणा को देनी होगी नाले की मासिक जल गुणवत्ता रिपोर्ट

    राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने हरियाणा को डीडी-6 को तुरंत ढकने का निर्देश दिया है ताकि सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट डीडी-8 में न जाए। पिछले महीने एनएमसीजी ने इस संबंध में एनजीटी में शपथ-पत्र भी दाखिल किया है। साथ ही हरियाणा को डीडी-8 की मासिक जल गुणवत्ता रिपोर्ट एनएमसीजी के साथ साझा करने को भी कहा गया है।

    समस्या के समाधान के लिए बिछाई जा रही पाइपलाइन

    हरियाणा सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता रविंद्र कुमार ने बताया कि 35 करोड़ रुपये की लागत से बरोटा से प्याऊ मनियारी तक डीडी-8 के समानांतर सात किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जा रही है। इस काम का लगभग 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है। यह पाइपलाइन बरोटा गांव के पास से शुरू होकर प्याऊ मनियारी तक जाएगी। इसके जरिए दूषित पानी को दिल्ली के हिस्से में आने वाले बांकनेर ड्रेन में डाला जाएगा, जहां यमुना में मिलने से पहले इसे एसटीपी में शोधित किया जाएगा। इससे यह पुरानी समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।