6856 करोड़ खर्च करने के बाद भी यमुना है मैली, CSE ने कहा-सिर्फ रुपए से नहीं सुधरेगी नदी, नई योजना की सख्त जरूरत
यमुना नदी को साफ़ करने के लिए 6856 करोड़ रुपये खर्च किए गए, फिर भी यह प्रदूषित है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अनुसार, केवल धन से नदी नहीं सुधरेगी। एक नई योजना की आवश्यकता है जो प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करे, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों को बेहतर बनाए, और जन जागरूकता बढ़ाए। यमुना को बचाने के लिए सरकार, नागरिक और विशेषज्ञों को मिलकर काम करना होगा।

यमुना नदी उफनाता झाग। फाइल फोटो
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। सेंटर फाॅर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) का कहना है कि यमुना को साफ करना संभव है, लेकिन इसके लिए एक नई योजना और अलग तरह की कार्रवाई की ज़रूरत है। कारण, मौजूदा प्रयास पर्याप्त परिणाम नहीं दे रहे हैं। सीएसई के अनुसार इसके लिए प्रभावी योजनाओं और क्रियान्वयन के साथ-साथ आम जनता को भी शामिल करने की आवश्यकता है। 
सीएसई द्वारा जारी आकलन-''यमुना : नदी की सफाई का एजेंडा'' में सामने आया है कि यमुना की सफाई को लेकर 2017 से 2022 के बीच 6,856 करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए हैं, लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। इस आकलन के मुताबिक यमुना नदी की सफाई के लिए केवल पैसे से काम नहीं चलेगा, बल्कि योजना में बड़े बदलाव की जरूरत है। बताया गया है कि दिल्ली में यमुना के प्रदूषण का 84 प्रतिशत हिस्सा केवल नजफगढ़ और शाहदरा नालों से आता है और इंटरसेप्टर ड्रेन योजना उनके लिए काम नहीं कर रही है।
सीएसई के आकलन की मुख्य बातें
प्रदूषण का स्रोत : दिल्ली में यमुना में आने वाले कुल प्रदूषण में 22 किलोमीटर लंबे हिस्से से 80 प्रतिशत तक प्रदूषण होता है।
धन का खर्च : 2017 से 2022 के बीच यमुना की सफाई पर 6856 करोड़ से अधिक खर्च किए गए हैं, फिर भी परिणाम नहीं मिले हैं।
सीवरेज की समस्या : दिल्ली में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं जो उत्पन्न सीवेज के 80 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से का उपचार कर सकते हैं, लेकिन अभी भी प्रदूषण की समस्या है।
मल : मल निकासी वाले टैंकरों को भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण माना गया है क्योंकि वे अक्सर गंदे पानी को नालों में बहा देते हैं।
योजना में बदलाव की जरूरत
- सीएसई का सुझाव है कि मल : मल निकासी वाले सभी टैंकरों पर जीपीएस लगाया जाना चाहिए ताकि गंदे पानी को सीधा एसटीपी तक पहुंचाया जा सके।
- रिपोर्ट में एक पांच : सूत्रीय कार्य योजना की सिफारिश की गई है जिसमें उपचारित और अनुपचारित पानी के मिश्रण को रोकना और उपचारित पानी का पूरा उपयोग सुनिश्चित करना शामिल है।
- मुख्य नाले : नजफगढ़ और शाहदरा नाले, जो यमुना को सबसे ज़्यादा प्रदूषित करते हैं, के लिए योजना को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है।
- सख्त क्रियान्वयन : योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की कमी है। कई वर्षों में कई योजनाएं शुरू की गईं, लेकिन वे पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं, जिससे प्रदूषण अब भी एक गंभीर समस्या है।
- सार्वजनिक भागीदारी : नदी को स्वच्छ बनाने में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने की ज़रूरत है, जिसके लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने होंगे।
कार्य करने के लिए मार्गदर्शन करेगी
यमुना की सफाई की समस्या कोई नई नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में इस पर भारी मात्रा में धन खर्च किया गया है। हमें यह समझना होगा कि यमुना की सफाई के लिए धन से कहीं अधिक लक्ष्यबद्ध सोच की आवश्यकता होगी। इसके लिए एक पुनर्निर्धारित योजना चाहिए होगी जो हमें अलग तरह से सोचने और कार्य करने के लिए मार्गदर्शन करेगी।
-सुनीता नारायण, महानिदेशक, सीएसई
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