कीबोर्ड पर आगे-पीछे क्यों लिखे होते हैं अक्षर, क्या है ये QWERTY की पहेली?
क्या आप जानते हैं कि कीबोर्ड पर QWERTY लेआउट का इस्तेमाल क्यों किया जाता है। ABCD के असल क्रम में कीज क्यों नहीं बनी होती हैं? दरअसल ऐसा एक तकनीकी समस्या को दूर करने के लिए किया गया था। आइए जानें कि क्या है QWERTY लेआउट इस्तेमाल करने की वजह।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपने कभी कीबोर्ड पर गौर किया है, तो एक सवाल जरूर मन में आया होगा "ये अक्षर ऐसे आगे-पीछे क्यों लगे हैं? इन्हें A, B, C, D... के क्रम में क्यों नहीं रखा गया?" अगर हां, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसा जानबूझकर किया गया है।
इसके पीछे एक बेहद दिलचस्प कहानी छिपी है, जो टाइपराइटर के जमाने से जुड़ा है। आइए जानते हैं कि क्या है यह कहानी?
टाइपराइटर और 'जैम' की समस्या
आज के डिजिटल कीबोर्ड से पहले लिखने के लिए टाइपराइटर का इस्तेमाल किया जाता था। 19वीं शताब्दी के अंत में, जब पहले टाइपराइटर बनाए जा रहे थे, तो उनमें एक बड़ी तकनीकी समस्या थी। इनमें अक्षर मेटल की छड़ों पर उकेरे होते थे, जो की-प्रेस करने पर ऊपर से नीचे आकर स्याही वाली रिबन पर प्रेस करके कागज पर अक्षर छापते थे।
जब कोई तेज स्पीड से टाइप करता था और दो आस-पास के अक्षरों की कीज एक साथ दबा दी जाती थीं, तो उनकी मेटल की छड़ें आपस में उलझकर अटक जाती थीं। इससे टाइपिंग रुक जाती थी और कई बार टाइपराइटर को खोलकर छड़ों को अलग करना पड़ता था, जो बेहद समय बर्बाद करने वाला और परेशानी भरा काम था।
क्रिस्टोफर शोल्स और QWERTY लेआउट का जन्म
इस समस्या के समाधान के लिए एक क्रिस्टोफर लैथम शोल्स ने एक आसान लेकिन बेहद दिलचस्प उपाय सोचा। उन्होंने सोचा कि क्यों न अक्षरों को इस तरह से व्यवस्थित किया जाए कि सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले अक्षरों के जोड़े, जैसे- 'TH', 'HE', 'IN', 'ER', आदि कीबोर्ड पर एक-दूसरे से दूर रखे जाएं। इससे उनकी छड़ों के एक साथ आने और अटकने की संभावना बहुत कम हो जाएगी।
शोल्स ने अंग्रेजी भाषा के स्टैटिस्टिक्स का अध्ययन किया और अक्षरों की जरूरत के आधार पर एक नया कीबोर्ड लेआउट डिजाइन किया। इसी डिजाइन का नतीजा था QWERTY लेआउट, जिसका नाम कीबोर्ड की पहली पंक्ति के पहले छह अक्षरों (Q-W-E-R-T-Y) से लिया गया है।
QWERTY की सफलता
1870 के दशक में एक कंपनी ने शोल्स के इस डिजाइन वाला टाइपराइटर बनाना शुरू किया। यह टाइपराइटर बहुत सफल रहा और धीरे-धीरे बाजार में अपनी पकड़ बना ली। जैसे-जैसे लाखों लोगों ने इस QWERTY लेआउट पर टाइपिंग सीखी, यह एक स्टैंडर्ड बन गया।
बाद में, भले ही टाइपराइटर की तकनीकी सीमाएं खत्म हो गई और इलेक्ट्रिक और फिर डिजिटल कीबोर्ड आ गए, लेकिन QWERTY इतना ज्यादा मशहूर हो चुका था कि इसे बदला नहीं गया। दुनिया की लगभग पूरी आबादी इसी लेआउट के आदी हो चुकी थी। इसलिए आज भी कीबोर्ड पर QWERTY लेआउट ही देखने को मिलता है।
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