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    भागलपुर में अश्विनी चौबे 5 बार लड़े, पांच बार जीते; 7 ब्राह्मण, 5 कायस्थ, 3 वैश्य और 3 बार भूमिहार के कब्जे में रही ये सीट

    By Alok ShahiEdited By: Alok Shahi
    Updated: Thu, 23 Oct 2025 09:24 PM (IST)

    Bhagalpur Election 2025: अश्विनी चौबे की लगातार 5 जीत के बाद से भाजपा हमेशा भागलपुर सीट पर किसी ब्राह्मण नेता पर ही दांव लगाती आ रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने बाद में लाल मुनी चौबे के स्थान पर अश्विनी कुमार चौबे को बक्सर संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा। अश्विनी चौबे लगातार 2 बार बक्सर से भाजपा के सांसद रहे। उनके भागलपुर सीट से हटने के बाद 2014 के विधानसभा उप-चुनाव में भाजपा ने उनके बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को भागलपुर से उतारा जो कांग्रेस के अजीत शर्मा से चुनाव हार गए।

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    Bhagalpur Election 2025: भागलपुर में भाजपा से रोहित पांडेय और कांग्रेस के अजीत शर्मा में मुकाबला है।

    कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। Bihar Assembly Election कभी कांग्रेस, कभी जनसंघ, कभी भाजपा की मजबूत किलेबंदी वाली भागलपुर विधानसभा सीट पर अबतक 18 बार चुनाव हो चुके हैं। जिनमें नगर की इस हॉट सीट पर सात बार ब्राह्मण, पांच बार कायस्थ, तीन बार वैश्य और तीन बार भूमिहार जाति के विधायक का कब्जा रहा है। 1952 में कांग्रेस के सत्येंद्र नारायण अग्रवाल 1962 तक वैश्य जाति का प्रतिनिधित्व करते हुए इस सीट पर काबिज रहे। 1967 में जनसंघ के विजय कुमार मित्रा ने इस सीट पर जीत दर्ज कराते हुए 1977 तक चार टर्म तक अपने कब्जे में रखा।

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    1977 में विजय कुमार मित्रा जनता पार्टी से चुनाव जीते थे। उनके इस कब्जे को 1980 मे कांग्रेस के प्रोफेसर शिवचंद्र झा ने हटाया और झा 1985 तक दो टर्म अपना कब्जा जमाए रखा। 1990 में फिर भाजपा से विजय कुमार मित्रा ने जीत दर्ज कराते हुए नगर सीट पर कब्जा जमा लिया। उनके निधन बाद खाली हुई नगर सीट पर 1995 में भाजपा के ही अश्विनी कुमार चौबे ने कब्जा जमाया फिर वह लगातार 2010 तक पांच टर्म यहां के विधायक रहें।

    अश्विनी कुमार चौबे की लगातार जीत के बाद से भाजपा हमेशा भागलपुर नगर सीट पर किसी ब्राह्मण नेता पर ही दाव लगाती आ रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में उन्हें बक्सर लोकसभा सीट से अपने पुराने नेता लाल मुनी चौबे के स्थान पर अश्विनी कुमार चौबे को उतारा और वहां चौबे लगातार दो टर्म भाजपा के सांसद रहे। उनके भागलपुर नगर सीट से हटने के बाद 2014 में हुए उप-चुनाव में भाजपा ने उनके पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे को मैदान में उतारा जो कांग्रेस के अजीत शर्मा से चुनाव हार गए। अजीत शर्मा का नगर सीट पर तब से अबतक तीन टर्म कब्जा रहा। लेकिन तीनों टर्म में भाजपा ब्राह्मण चेहरा ही चुनाव में उतारती रही।

    2014 में हुए उप-चुनाव में जहां अर्जित शाश्वत चौबे को उतारा फिर 2015 में भाजपा ने ब्राह्मण चेहरा नभय कुमार चौधरी फूल बाबू को मैदान में उतारा। उस चुनाव में भी वह अजीत शर्मा से शिकस्त खा गए। वर्ष 2020 में हुए चुनाव में भाजपा ने फिर संघ पृष्टभूमि का ब्राह्मण चेहरा रोहित पांडेय को मैदान में उतारा। जिन्हें बहुत कम वोटों से अजीत शर्मा से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। नगर सीट पर तीन टर्म से विधायक का चुनाव जीत रहे कांग्रेस नेता अजीत शर्मा के जीत में मतों का ग्राफ लगातार गिरता रहा।

    वर्ष 2020 में अजीत शर्मा और भाजपा के रोहित पांडेय के बीच हुई कांटे की टक्कर में एक हजार 113 वोटों से जीत दर्ज कर तीसरी बार विधायक बने। इस बार फिर भाजपा से रोहित पांडेय और कांग्रेस के विधायक अजीत शर्मा के बीच कांटे की टक्कर होने की प्रबल संभावना बन गई है। वर्तमान विधायक जहां चौथी बार जीत दर्ज कराने की जी-तोड़ कोशिश में लग गए हैं।

    पिछले चुनाव में मामूली वोटों के अंतर से हार का सामना करने वाले भाजपा प्रत्याशी रोहित पांडेय पिछले चुनाव में हुई कमी को पाटने की कोशिश में लग गए हैं। संगठन स्तर पर भी जी-तोड़ मेहनत किया जा रहा है। जनसंघ के विजय कुमार मित्रा ने 1952 से लगातार 1962 तक तीन बार कांग्रेस पार्टी से जीतते रहे सत्येंद्र नारायण अग्रवाल से जीत दर्ज कराते हुए तब नगर सीट हासिल की थी। अब वर्ष 2025 के चुनाव में मतदाता इस बार किसे जीत की माला पहनाते हैं, यह नेपथ्य में है। अब भागलपुर नगर सीट पर ऊंट किस करवट बैठता है यह 14 नवंबर को आने वाला चुनाव परिणाम ही बता सकेगा।

    सबसे ज्यादा आबादी वैश्य की, दूसरे स्थान पर मुस्लिम वोटर

    भागलपुर नगर सीट पर जातिगत समीकरण को देखें तो सबसे ज्यादा आबादी वैश्य जाति की है जिनकी संख्या सवा लाख का आंकड़ा छूता है। दूसरे नंबर पर मुस्लिम आबादी है जिनकी संख्या 85 हजार, तीसरे नंबर पर ब्राह्मण आबादी है जिनकी संख्या 45 हजार है। राजपूत जाति की संख्या 12 हजार, कायस्थ जाति की आबादी 12 हजार, यादव की आबादी दस हजार, भूमिहार जाति की आबादी पांच हजार और एससी और अति-पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या 24 हजार के करीब है।