Bihar Politics: वामपंथियों का बिहार की इस सीट पर से समाजवादियों ने किया बिस्तर गोल
Bihar Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। भाकपा-माले (CPI-ML) के बढ़ते प्रभाव के कारण, समाजवादियों का एक महत्वपूर्ण सीट से दबदबा खत्म हो गया है। कभी समाजवादियों का गढ़ रही इस सीट पर अब वामपंथी विचारधारा मजबूत हो रही है। इस बदलाव ने बिहार के राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया है और अन्य दलों को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।

इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
संजय कुमार सिंह, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण)। Bihar Assembly Election 2025: विश्व पर्यटन के मानचित्र पर तेजी से उभरता केसरिया केवल दुनियां के सबसे ऊंचे बौद्ध स्तूप के कारण ही नहीं जाना जाता।
यहां की मिट्टी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक रूप से उर्वरा रही है। चंपारण का लेनिनग्राद कहे जाने वाले केसरिया को कभी वामपंथ का गढ़ माना जाता था।
इस क्षेत्र को वामपंथ का गढ़ बनाने में भाकपा के जाने-माने नेता स्व. पीतांबर सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस परंपरा को पूर्व सांसद स्व. कमला मिश्र मधुकर ने भी आगे बढ़ाया।
लेकिन वामपंथ की यह धारा स्व. यमुना यादव के बाद थम-सी गई लगती है। वामपंथ की जमीन पर दक्षिणपंथी विचारधारा ने भी अंगड़ाई ली। कांग्रेस के अलावा समाजवादी विचारधारा ने भी यहां जगह बनाई।
इन सबके बीच यहां के लोगों ने विकास को आधार बनाने का काम किया है। इस मुद्दे पर इस क्षेत्र की जनता हमेशा मुखर रही है। विकास को सामने रखकर निर्णय लिए जाते रहे हैं। लेकिन कई बार जातिगत सोच भी इस विचारधारा पर हावी होती नजर आई।
इन सबके बीच केसरिया के विकास को प्रमुखता देने वाले दल या प्रतिनिधियों को लोगों ने सर-आंखों पर बिठाया। बात केसरिया के ऐतिहासिक स्थलों के विकास की हो या बुनियादी जरूरतों की, इन मुद्दों पर सब एक मत नजर आते हैं। जनता की कोशिशें रंग लाती रहीं हैं।
स्तूप के उत्खनन से लेकर केसरिया को राजमार्ग एवं रेलमार्ग से जोड़ने तक में जनता की कोशिशें दिखाई देती हैं। लोगों की मांग को देखते हुए गंडक नदी के सत्तरघाट पर बना बड़ा पुल भी इनकी इच्छाशक्ति को प्रतिबिंबित करता है।
अब प्रस्तावित राम-जानकी मार्ग भी इस क्षेत्र के विकास को गति देने वाला है। वर्ष 2010 से इस विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक सीमाएं बदल गईं।
परिसीमन से पहले कल्याणपुर प्रखंड एवं केसरिया प्रखंड के 12 पंचायतों को मिलाकर विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था।
लेकिन परिसीमन के बाद केसरिया प्रखंड के अलावा संग्रामपुर प्रखंड की 11 पंचायतों एवं कल्याणपुर की छह पंचायतों को मिलाकर विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। इसी के साथ कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र भी अस्तित्व में आया।
अबतक का प्रतिनिधित्व
- 1952 : प्रभावती गुप्ता (कांग्रेस)
- 1957 : प्रभावती गुप्ता (कांग्रेस)
- 1962 : पीतांबर सिंह (भाकपा)
- 1967 : पीतांबर सिंह (भाकपा)
- 1969 : एजाज अहमद खां (कांग्रेस)
- 1972 : पीतांबर सिंह (भाकपा)
- 1977 : पीतांबर सिंह (भाकपा)
- 1980 : राय हरिशंकर शर्मा (जनता पार्टी)
- 1985 : राय हरिशंकर शर्मा (कांग्रेस)
- 1990 : यमुना यादव (भाकपा)
- 1995 : यमुना यादव (भाकपा)
- 2000 : मो. ओबैदुल्लाह (समता पार्टी)
- 2005 : मो. ओबैदुल्लाह (जदयू)
- 2005 : राजेश कुमार रौशन (राजद)
- 2010 : सचिंद्र प्रसाद सिंह (भाजपा)
- 2015 : डा. राजेश कुमार (राजद)
- 2020 : शालिनी मिश्रा (जदयू)
एक नजर में केसरिया विधानसभा
- कुल मतदाता : 260421
- पुरुष : 138687
- महिला : 121734
- मंगलामुखी मतदाता : 00
- बुजुर्ग मतदाता : 3502
- दिव्यांग मतदाता : 2165
पहली बार वोट देंगे
- कुल : 4221
- पुरुष : 2528
- महिला : 1693
2010 का चुनाव परिणाम
- विजेता - सचिंद्र प्रसाद सिंह (भाजपा)
- कुल प्राप्त मत : 34649
- उपविजेता - रामशरण यादव (भाकपा)
- कुल प्राप्त मत : 22966
- जीत का अंतर : 11683
2015 का चुनाव परिणाम
- विजेता - डा. राजेश कुमार (राजद)
- कुल प्राप्त मत : 62902
- उपविजेता - राजेंद्र प्रसाद गुप्ता (भाजपा)
- कुल प्राप्त मत : 46955
- जीत का अंतर : 15947
2020 का चुनाव परिणाम
- विजेता - शालिनी मिश्रा (जदयू)
- कुल प्राप्त मत : 40219
- उपविजेता : संतोष कुशवाहा (राजद)
- कुल प्राप्त मत : 30992
- जीत का अंतर : 9227

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