Bihar Assembly Election 2025: इस सीट पर वामपंथी पार्टी को चुनौती देने में छूट जाते पसीने
विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यहाँ कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं और स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह क्षेत्र आगे बढ़ रहा है। यहाँ वामपंथी विचारधारा का दबदबा रहा है, लेकिन जदयू ने भी जीत हासिल की है। विकास, शिक्षा और सामाजिक न्याय यहाँ के प्रमुख मुद्दे हैं। Bihar Assembly Election 2025 में देखना होगा कि जनता किस विचारधारा को चुनती है।

इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
मनीष कुमार/ विनय भूषण, विभूतिपुर (समस्तीपुर)। Bihar Assembly Election 2025: विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र न सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत समृद्ध रहा है।
बचपन से ही इस क्षेत्र की गलियों में राजा-रानी, युद्ध और संघर्ष की लोककथाएं बुजुर्गों की जुबान से सुनाई देती रही हैं। नरहन स्टेट के राजा-रानी, हाथी-घोड़े, मंत्री-सिपाही, सुर्ख दीवारें, नौलखा मंदिर, फफौत पुल, हथुआ स्टेट और महथा स्टेट की कथाएं आज भी यहां की मिट्टी में गूंजती हैं।
ऐतिहासिक धरोहरों से भरा विभूतिपुर
इस क्षेत्र में कई ऐसे स्थल हैं जो अंग्रेजों के शासनकाल की कहानियां बयां करते हैं। गंगौली कोठी, टभका कोठी, आलमपुर कोठी और शाहपुर परोही कोठी आज भी उस दौर की वास्तुकला और वैभव की मिसाल हैं।
दैंता पोखर का ऐतिहासिक महत्व भी यहां के लोगों के दिलों में गहराई से बसता है। यह भूमि महान साहित्यकारों और लोक कलाकारों की भी रही है। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' का ससुराल गांव टभका इसी क्षेत्र में स्थित है।
लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के प्रसिद्ध शिष्य राम खेलावन बैठा, जिन्होंने बिदेसिया नाच में अपनी अद्भुत प्रतिभा से पहचान बनाई, उनका घर भी यहीं चकहबीब गांव में है। आजादी की लड़ाई में भी विभूतिपुर की भूमिका बेहद अहम रही है।
खोकसाहा-बासोटोल स्थित ऐतिहासिक कांग्रेस भवन आज भी उस दौर की बैठकों और संघर्ष की कहानियां सुनाता है। वहीं मानाराय टोल निवासी स्वतंत्रता सेनानी जामुन लाल ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध बहुजन समाज का नेतृत्व कर विभूतिपुर का नाम स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में दर्ज करवाया।
विभूतिपुर न केवल राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी यह लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। वर्ष 2025 की मैट्रिक परीक्षा में स्टेट टॉपर बनी साक्षी कुमारी, जोगिया गांव की बेटी हैं, जिन्होंने पूरे बिहार में इस क्षेत्र का नाम रोशन किया।
राजनीतिक परिदृश्य
विभूतिपुर विधानसभा का गठन वर्ष 1967 में हुआ। इससे पहले यह क्षेत्र 1952 से 1962 तक दलसिंहसराय (पूर्वी) विधानसभा के अंतर्गत आता था। उस दौर में कांग्रेस का प्रभाव अत्यंत मजबूत था।वर्ष 1952 में सहदेव महतो कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने।
1957 और 1962 में मिश्री सिंह ने कांग्रेस को लगातार विजय दिलाई। लेकिन 1967 में राजनीतिक दिशा बदली और विभूतिपुर विधानसभा के रूप में क्षेत्र का गठन हुआ और इसी चुनाव में पहली बार लाल झंडा लहराया। सीपीआई के प्रो. परमानंद सिंह मदन ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली और इस क्षेत्र में वामपंथ का बीज बो दिया।
समाजवाद की गूंज से कांग्रेस की वापसी
1969 के मध्यावधि चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के गंगा प्रसाद श्रीवास्तव ने वामपंथ से यह सीट छीन ली। लेकिन समाजवाद की यह लहर अधिक समय तक नहीं चली। 1972 और 1977 में कांग्रेस ने बंधु महतो को विजयी बनाकर अपनी पुरानी पकड़ फिर मजबूत की।
1980 के दशक में वामपंथ की वापसी
वर्ष 1980 के मध्यावधि चुनाव में सीपीएम के रामदेव वर्मा ने इस सीट पर जीत दर्ज की और यहीं से शुरू हुआ लाल झंडे के लंबे शासन का अध्याय। 1985 में कांग्रेस के चंद्रबली ठाकुर ने थोड़े समय के लिए सत्ता पर कब्जा किया, लेकिन इसके बाद वामपंथ ने फिर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
रामदेव वर्मा ने लगातार 1990, 1995, 2000 और 2005 में जीत हासिल की और लगभग 32 वर्षों तक वामपंथियों का दबदबा कायम रहा। इसी लंबे शासनकाल के कारण विभूतिपुर को राजनीतिक गलियारों में वामपंथियों का मास्को कहा जाने लगा। यहां लाल झंडा केवल एक पार्टी का प्रतीक नहीं, बल्कि विचारधारा, संघर्ष और जनहित का प्रतीक बन गया।
जदयू के उदय के साथ सत्ता में परिवर्तन
वर्ष 2010 और 2015 के विधानसभा चुनावों में वामपंथी किला दरक गया। जदयू के रामबालक सिंह ने लगातार दो बार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। यह पहला मौका था जब सीपीएम को अपनी परंपरागत सीट से पीछे हटना पड़ा।
हालांकि, 2020 में जनता ने एक बार फिर वामपंथ पर भरोसा जताया। सीपीएम के अजय कुमार ने न केवल जीत हासिल की बल्कि अब तक के सभी चुनावों में सर्वाधिक मतों के अंतर से विजय प्राप्त कर नया रिकॉर्ड बनाया। उनकी यह जीत इस बात का प्रतीक थी कि विभूतिपुर की मिट्टी में वामपंथी विचारधारा की जड़ें अब भी गहरी हैं।
विभूतिपुर विधानसभा की राजनीति हमेशा से विचारधारा पर आधारित रही है। यहां जाति या समुदाय नहीं, बल्कि जनसरोकार और वैचारिक प्रतिबद्धता ने राजनीति की दिशा तय की है। यही कारण है कि दशकों बाद भी यहां की जनता विकास, शिक्षा, किसान, मजदूर और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर अपने प्रतिनिधि का चयन करती है।
विभूतिपुर आज भी संघर्ष, समानता और सामाजिक एकता की मिसाल पेश करता है। यहां की धरती ने जहां एक ओर स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया, वहीं दूसरी ओर यह राजनीतिक चेतना और सामाजिक न्याय का गढ़ भी बनी रही।
- कुल मतदाता : 2,74,410
- पुरुष : 1,46,544
- महिला : 1,27,862
- थर्ड जेंडर : 04
पांच साल में दिखे ये बदलाव
- करीब 46.0797 करोड़ की लागत से साखमोहन हाई स्कूल परिसर में भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय का निर्माण।
- भुसवर में करीब 4.9062 करोड़ की लागत से 100 आसन वाले राजकीय कल्याण छात्रावास भवन का निर्माण।
- विस क्षेत्र अंतंर्गत 229. 50502 करोड़ की लागत 317.208 किमी सड़को का नए सिरे से निर्माण।
- देशरी में उच्च क्षमता वाला विधुत फीडर ग्रिड बनने का काम शुरू।
- भवन हीन 22 प्राथमिक विद्यालयों का भवन बनकर तैयार हुआ।
इस बार के मुद्दे :
- समर्था-कल्याण्पुर को प्रखंड बनाने प्रस्तावित मामला अटका हुआ
- दैता पोखर का सौंदर्यीकरण
- सिंघियाघाट पर रेलवे गुमटी पर ओवरब्रिज बनने का मामला
अब तक यह रही स्थिति
- 1967 प्रो.परमानंद सिंह मदन,सीपीआई
- 1969 गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,संसोप
- 1972 बंधु महतो कांग्रेस
- 1977 बंधु महतो कांग्रेस
- 1980 रामदेव वर्मा सीपीएम
- 1985 चन्द्रबली ठाकुर कांग्रेस
- 1990 रामदेव वर्मा सीपीएम
- 1995 रामदेव वर्मा सीपीएम
- 2000 रामदेव वर्मा सीपीएम
- 2005 फरवरी रामदेव वर्मा सीपीएम
- 2005 अक्टूबर रामदेव वर्मा सीपीएम
- 2010 राम बालक सिंह जदयू
- 2015 रामबालक सिंह जदयू
- 2020 अजय कुमार सीपीएम
जीत-हार का अंतर :
2010
- प्रत्याशी : प्राप्त मत
- राम बालक सिंहा (जदयू) : 46,469
- रामदेव वर्मा (सीपीएम) : 34,168
- जीत का अंतर : 12,301
2015
- प्रत्याशी : प्राप्त मत
- राम बालक सिंहा (जदयू) : 57,882
- रामदेव वर्मा (सीपीएम) : 40,647
- जीत का अंत्तर : 17,235
2020
- प्रत्याशी : प्राप्त मत
- अजय कुमार (सीपीएम) : 73,822
- राम बालक सिंह (जदयू) : 33,326
- जीत का अंतर : 40.496
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