Bihar Politics: राजद-कांग्रेस पर हमलावर, PK पर मौन...पीएम मोदी ने बिहार की राजनीति को दी नई दिशा
PM Modi Bihar Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्तीपुर से बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए प्रचार शुरू कर दिया है। उन्होंने राजद और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला, 'जंगलराज' का जिक्र किया और कांग्रेस पर बिहार के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी विपक्ष को घेरा, लेकिन प्रशांत किशोर पर चुप्पी साधे रहे।

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
डिजिटल डेस्क, समस्तीपुर/मुजफ्फरपुर। PM Modi Bihar Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत समस्तीपुर से कर दी है। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पर लगातार हमले किए।
लठबंधन से लेकर जंगलराज तक का उल्लेख किया। कांग्रेस के शासनकाल में बिहार के लिए फंड आवंटन के दौरान हुए भेदभाव का उल्लेख किया।
भ्रष्टाचार के बहाने इन दोनों दलों को लपेटा, लेकिन चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर या उनकी पार्टी जनसुराज के लिए एक भी शब्द नहीं कहा।
प्रशांत किशोर को लेकर पीएम की चुप्पी को राजनीति के जानकार अलग संदर्भ में देखते हैं। उनका मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस स्टैंड से बिहार की राजनीति को एक नई दिशा दे रहे हैं।
वे चुनाव को एनडीए और महागठबंधन के बीच की आमने-सामने की लड़ाई के रूप में पेश करना चाह रहे हैं। किसी थर्ड प्लेयर की उपस्थिति से मामला उलझ सकता है। जो दोनों ही गठबंधन के लिए खतरनाक हो सकता है।

वर्तमान में प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी खुद को इस चुनाव की तीसरी शक्ति के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है। हालांकि अपनी सभा में प्रशांत किशोर का दावा है कि वह अपार सफलता के साथ अपनी सरकार बनाएंगे, लेकिन धरातल पर उनकी स्थिति को देखते हुए यह माना जा रहा है कि कई क्षेत्रों में जनसुराज की उपस्थिति से मुकाबला रोचक और नजदीकी हो सकता है।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद सबसे पहले प्रशांत किशोर ने ही अपनी पार्टी के प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। उसके बाद से वे लगातार अपने प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

यूं तो पीके ने अधिकतर वैसे ही लोगों को टिकट जो समाज में प्रभावकारी तो हैं, लेकिन गैर राजनीतिक हैं। अंतिम समय में कुछ ऐसे लोगों को भी टिकट मिला है जिनका पूर्व का राजनीतिक रिकार्ड रहा है। उनका अपना जनाधार था। माना जा रहा है कि इस तरह के उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव को आमने-सामने की लड़ाई से आगे ले जाकर त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय बना सकते हैं।
प्रधानमंत्री के इस स्टैंड का क्या प्रभाव पड़ेगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। वैसे बिहार की जनता भी यह जानना चाह रही है कि इस चुनाव में प्रशांत किशोर फैक्टर कितना प्रभावी रहेगा?
वे जो विकल्प बनने की बात कह रहे हैं उसे जनता का समर्थन है भी या नहीं? 14 नवंबर को होने वाले मतगणना में यह सबकुछ साफ हो जाएगा।

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