Bihar Politics: पहले थे जिसके साथ, अब उसके खिलाफ, नेताओं के दल बदलने से असमंजस में मतदाता
बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव के नज़दीक आते ही दल-बदल का खेल शुरू हो गया है। कई नेता अपनी पुरानी पार्टियों को छोड़कर नई पार्टियों में शामिल हो रहे हैं, जिससे जनता में असमंजस की स्थिति है। सवाल यह है कि क्या मतदाता इन बदले हुए चेहरों पर भरोसा करेंगे? कुछ नेता जैसे जमा खान, संजीव कुमार, और बीमा भारती ने भी पार्टियाँ बदली हैं।

डिजिटल डेस्क, पटना। विधानसभा चुनाव ने अवसरवाद का नया चेहरा दिखाया है। कई नेता जो कल तक पुरानी पार्टियों के लिए दंभ भरते थे, अब उसे कोस रहे हैं। नई पार्टियों का झंडा उठाए ऐसे नेताजी नए साहब का गुणगान करने में लगे हैं। कोई पुत्र मोह में दल-बदल का रिकार्ड बना रहा तो कोई घर वापसी का राग अलाप रहा। एनडीए हो या महागठबंधन, ऐसे नेताओं की भरमार है जो पाला बदलकर आए हैं।
चुनाव के समय में राजनीतिक पार्टियां यह बखूबी समझती हैं कि हर दल-बदलू नेता तराजू पर मेढक तौलने के समान हैं, क्योंकि ऐसे नेताओं की निष्ठा पार्टी के प्रति नहीं होती। जब ऐसे नेताओं का स्वार्थ सधता है, तो एक दल में टिके रहते हैं। स्वार्थ की पूर्ति नहीं होती है तो दूसरे दल में चले जाते हैं। नेताओं के इस पाला बदल से जनता भी असमंजस में है। ऐसे में सवाल उता है कि इस बार मतदाता उनकी जुबान बदली पर भरोसा करेंगे या नहीं? ऐसे एक नहीं, दर्जनों प्रश्न हैं।बड़ा प्रश्न यह कि वोटरों के स्तर पर इस बात की परख होगी कि वे किसी गठबंधन को अधिक अहमियत देते हैं या इनके बदले चेहरों को। जमा खान, संजीव कुमार, बीमा भारती, मुरारी प्रसाद गौतम, संगीता कुमारी, भरत बिंद समेत कई नेता ऐसे हैं जाे दूसरे दलों में जा चुक हैं।
बसपा के एकमात्र विधायक थे जमा खान
बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री जमा खान 2020 के चुनाव में बसपा के टिकट पर कैमूर जिले के चांद विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। ये बिहार में बसपा के एकमात्र विधायक थे, लेकिन अगले ही वर्ष 2021 में उन्होंने जदयू का दामन थाम लिया और इसका फल उन्हें मंत्री पद के रूप में मिला। इस बार वे जदयू उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं।
संजीव कुमार को राजद ने बनाया उम्मीदवार
अपने मुखर बयानों के लिए चर्चित डा. संजीव कुमार 2020 के विधानसभा चुनाव में खगड़िया जिले के परबत्ता से निर्वाचित हुए थे। हालांकि, उनकी जीत का अंतर मात्र 951 वोटों का था। कई बार सरकार की आलोचना करने की वजह से वे सुर्खियों में रहे। उन्होंने जदयू को छोड़ राजद का दामन थाम लिया। अब उन्हें राजद ने परबत्ता से ही उम्मीदवार बनाया है।
राजद से जीते अब जदयू के उम्मीदवार बने चेतन आनंद
शिवहर से 2020 में राजद के टिकट पर विधायक बने चेतन आनंद अब जदयू के साथ हैं। बाहुबली आनंद मोहन एवं लवली आनंद के पुत्र चेतन आनंद को औरंगाबाद जिले के नबीनगर से जदयू ने प्रत्याशी बनाया है। वे एक समय राजद नेता तेजस्वी यादव के काफी करीबी माने जाते थे। विधानसभा में विश्वासमत हासिल करने के दौरान उन्होंने जदयू के साथ जाकर अपनी इच्छा जता दी थी।
बीमा भारती ने निर्दलीय की थी सफर की शुरुआत
पूर्णिया के रुपौली से बीमा भारती 2000 में पहली बार विधायक बनी थीं। इसके बाद 2005, 2010, 2015 और 2020 में जदयू प्रत्याशी के रूप में लगातार परचम लहराती रहीं। उन्हें सरकार में गन्ना एवं उद्योग विभाग का मंत्री भी बनाया गया। पिछले वर्ष 2024 में उन्होंने जदयू छोड़ दी और राजद ज्वाइन कर लिया। इसी वर्ष पूर्णियां से उन्हें राजद ने उम्मीदवार बनाया, हालांकि उनकी जमानत भी जब्त हो गई। इस बार फिर राजद ने उनपर भरोसा जताया है।
संगीता ने राजद को कहा बाय-बाय
संगीता कुमारी कैमूर जिले के मोहनिया से 2020 में राजद की विधायक चुनी गई थीं। तब उन्होंने 12 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। पिछले वर्ष ही उन्होंने राजद को बाय-बाय कर दिया। उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली।
मुरारी गौतम कांग्रेस से जीते, अब लोजपा आर के उम्मीदवार
रोहतास जिले के चेनारी सुरक्षित सीट से कांग्रेस विधायक मुरारी प्रसाद गौतम को महागठबंधन सरकार में मंत्री बनाया गया। बाद में जब सीएम नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ सरकार बनाई तो गौतम सत्ता पक्ष में आ गए। तब कांग्रेस ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद करने की मांग की थी। यह मामला विधानसभा अध्यक्ष के पास विचाराधीन है। इस बार उन्हें लोजपा (रामविलास) ने उसी सीट से प्रत्याशी बनाया है।







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