Bihar Assembly Election 2025: बिहार में आधी आबादी को साधने में जुटे सभी राजनीतिक दल, कौन मारेगा बाजी?
पिछले चुनावों के विश्लेषण से पता चलता है कि महिला मतदाता किसी भी पार्टी की जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बिहार विधानसभा चुनावों के आंकड़ों के अनुसार मतदान में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक सक्रिय रहती हैं। राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों और सरकार की नीतियों में महिलाओं को खास जगह दी जा रही है। इस बार भी बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाएं अहम साबित होने वाली हैं।

दीनानाथ साहनी, पटना। पिछले चुनावों का विश्लेषण करें तो महिला मतदाता किसी भी पार्टी की जीत-हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यही कारण है कि तमाम राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों और सरकार की नीतियों में महिलाओं को अहम स्थान दिया जाने लगा है। महिला वोटरों की बढ़ती भागीदारी लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक बदलाव है।
यह वजह है कि बिहार में राजनीतिक दलों को महिलाओं के मुद्दों को गंभीरता से लेने पर मजबूर कर रहा है। बिहार विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि मतदान में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं सक्रिय रहती हैं।
यही कारण है कि तमाम राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए कई-कई वादे किए जा रहे हैं। यह एक तरीके का संकेत भी है कि राजनीतिक दल भी महिला शक्ति को पहचानने लगे हैं।
इस चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों के महिलाओं की भूमिका को देखने के तरीके में थोड़ा बदलाव आया है। बिहार में खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही कांग्रेस महिलाओं को अपने वोट बैंक के रूप में जोड़ने के लिए प्रयोग कर रही है और उसने टिकट वितरण में महिलाओं को प्राथमिकता टिकट देने समेत कई घोषणाएं की है। कांग्रेस ने
प्रियंका गांधी को भी चुनाव प्रचार में उतार कर महिला मतदाताओं को जोड़ने का प्रयास तेज दिया है। इसी प्रकार राष्ट्रीय जनता दल भी महिला मतदाताओं को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने तो महिलाओं के लिए तो पिटारा ही खोल दिया है।
जाहिर है, इस बार भी बिहार विधानसभा चुनाव में आधी आबादी निर्णायक साबित होने जा रही है। पिछले चुनावी नतीजों के आंकड़े इसके गवाह हैं। 2005 से 2024 तक विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में महिला मतदाता गेम चेंजर रही हैं। महिला मतदाताओं का झुकाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर ज्यादा रहा है। 2010 में 39 प्रतिशत महिलाओं ने एनडीए के पक्ष में वोट दिया था, जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी 38 प्रतिशत महिलाओं ने एनडीए का समर्थन किया।
इसके विपरीत महागठबंधन को महिलाओं का करीब 35-36 प्रतिशत वोट ही मिला है। साथ ही, पिछले चुनावों में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं ने अपनी राजनीतिक जागरूकता और भागीदारी का बखूबी परिचय दिया है। यही वजह है कि महिला मतदाताओं को अपने-अपने पाले में लाने के लिए अभी से एनडीए और महागठबंधन के बीच होड़-सी लगी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पिछले चुनावों में महिला वोटों का रुझान एनडीए और खासकर नीतीश कुमार के पक्ष में ज्यादा रहा है। इस बार भी यही सवाल चर्चा में है कि महिलाएं किसके पक्ष में भरोसा जताएंगी। क्योंकि महागठबंधन भी महिलाओं के लिए कई घोषणाएं की हैं। तभी तो महागठबंधन अपने हर अभियान में महिलाओं को केंद्र में रखे हुए है।
पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) रासबिहारी सिंह कहते हैं- इस बार भी चुनाव में महिला मतदाता एक निर्णायक फैक्टर होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का लंबे समय से महिलाओं को केंद्र में रखकर किया गया काम चाहे वह पंचायत में आरक्षण हो या नौकरियों में आरक्षण ने एक स्थायी महिला वोट बैंक तैयार किया है। वहीं राजद हो या कांग्रेस अथवा अन्य दल भी उसी वोट बैंक को खींचने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि चुनाव इस बार अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है।
आधी आबादी को मिली सरकारी सुविधाएं
- पंचायत में 50 प्रतिशत आरक्षण
- सरकारी सेवाओं में 35 प्रतिशत आरक्षण
- 1.10 लाख पुलिस बल में 30 हजार महिलाएं
- उच्च तकनीकी शिक्षा में 33 प्रतिशत आरक्षण
- इंटर पास को 25 हजार और स्नातक पास को 50 हजार रुपये
- मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना लागू
- बजट में महिलाओं को 15.35 प्रतिशत हिस्सा
महागठबंधन की घोषणाएं
- माई-बहिन मान योजना के तहत हर माह 2500 रुपये
- विधवा, दिव्यांग महिला को प्रतिमाह 1500 रुपये पेंशन
- हर प्रखंड में सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाने की घोषणा
- हर रसोईघर में 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने
- महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया कानून व्यवस्था
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