Aishwarya Rai नहीं, ये सुपरहिट एक्ट्रेस थीं 'हम दिल दे चुके सनम' के लिए पहली पसंद, विदेश में हुई थी शूटिंग
जल्द ही हम दिल दे चुके सनम (Hum Dil De Chuke Sanam) की रिलीज को 26 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस फिल्म में सलमान खान ऐश्वर्या राय और अजय देवगन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। संजय लीला भंसाली की फिल्म की कहानी ने दर्शकों का दिल छू लिया था।
एंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई। 18 जून 1999 को प्रदर्शित हुई ‘हम दिल दे चुके सनम’ (Hum Dil De Chuke Sanam) में सलमान खान और ऐश्वर्या राय की प्रेम कहानी तो बहुचर्चित रही, मगर प्रेम के एक बिल्कुल अलग पथ पर चल रहे एक किरदार की चर्चा कहीं छूट सी जाती है। फिल्म में अजय देवगन (Ajay Devgn) ने ऐश्वर्या राय के पति वनराज की भूमिका और उसके तरीके के प्यार को जिस अंदाज में प्रदर्शित किया, उस बारे में अनंत विजय ने बात की।
‘हम दिल दे चुके सनम’... नाम से ही पता चलता है कि ये एक प्रेम कहानी है। टाइटल में ‘चुके’ शब्द इस बात की ओर भी इशारा करता है कि ये लव ट्रायंगल होगा। फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ 25 साल पहले प्रदर्शित हुई थी। इसमें सलमान खान (Salman Khan) और ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) के साथ तीसरे कोण के रूप में अजय देवगन थे।
ये हीरोइन थीं फिल्म के लिए पहली पसंद
उस समय की फिल्मी पत्रिकाओं में इस बात की चर्चा मिलती है कि निर्देशक संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) अपनी फिल्म में अभिनेत्री के रूप में माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) को लेना चाह रहे थे। माधुरी के पास डेट्स की समस्या थी। माधुरी के इनकार के बाद दूसरी नायिका की तलाश शुरू हुई। इसी दौर में संजय लीला भंसाली ने ऐश्वर्या को कहीं देखा और तय कर लिया कि यही उनकी फिल्म की नायिका है।
भंसाली ने ऐश्वर्या को लेकर उठाया था रिस्क
ऐश्वर्या राय तब तक मिस वर्ल्ड का खिताब जीतकर तमिल फिल्मों में सफल हो चुकी थीं। हिंदी फिल्मों में सफलता मिलनी बाकी थी। ऐश्वर्या की मुस्कुराहट को फिल्म समीक्षक प्लास्टिक मुस्कान करार दे चुके थे। इस स्थिति में संजय लीला भंसाली ने ऐश्वर्या राय को अपनी फिल्म में कास्ट करने का जोखिम उठाया। उसके बाद की कहानी तो इतिहास बन गई। फिल्म जबरदस्त हिट रही थी। हालांकि, इसके बाद सलमान और ऐश्वर्या राय ने कभी भी एक साथ किसी फिल्म में लीड रोल नहीं किया।
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इन नोवेल से प्रेरित फिल्म की कहानी
‘हम दिल दे चुके सनम’ फिल्म का प्लॉट मैत्रेयी देवी के उपन्यास ‘ना हन्यते’ और रोमानिया के लेखक मिरसिया के उपन्यास से प्रेरित लगता है। फिल्म का प्रदर्शन होने के बाद इसकी चर्चा भी हुई थी। मिरसिया के उपन्यास का नायक भी भारत पढ़ने आया था, नायिका के घर रुका था, साथ पढ़ाई की थी, प्रेम हुआ था और फिर अलगाव। उपन्यास में बंगाल का परिवेश है जबकि फिल्म में गुजरात का। प्लॉट का फिल्मांकन संजय लीला भंसाली ने बेहद खूबसूरती के साथ किया है। विदेशी लोकेशन पर आकर्षक दृश्यों में फिल्म की कहानी के साथ न्याय किया है।
फिल्मों में लोकगीतों का गहरा प्रभाव
फिल्म प्रदर्शित होने के पहले ही इसके गाने दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हो चुके थे। कविता कृष्णमूर्ति और करसन की आवाज में गाया गाना ‘निंबूड़ा निंबूड़ा’ हो या कविता, विनोद राठौर और करसन की आवाज में गाया ‘ढोली तारो ढोल बाजे’, आज भी पसंद किए जाते हैं। संजय लीला भंसाली की एक विशेषता ये है कि वो अपनी फिल्म में लोक से उठाकर एक गीत अवश्य रखते हैं। बोल और संगीत भी उसी अनुसार तय करते हैं। आप ‘पद्मावत’ का गाना ‘घूमर घूमर’ या ‘बाजीराव मस्तानी’ का ‘पिंगा ग पोरी’ याद करिए। भंसाली भारतीय लोक के मन को पकड़ना जानते हैं। इसी बल पर उन्होंने ‘हम दिल दे चुके सनम’ के गीतों से दर्शकों को खींचा।
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फिल्म की कहानी में गहरी भावना
इन दिनों इंदौर की एक लड़की का अपने प्रेमी के लिए पति का कत्ल करने का समाचार चर्चा में है। ‘हम दिल दे चुके सनम’ की नायिका नंदिनी माता-पिता की मर्जी से शादी करती है। वो समीर से प्यार करती है, लेकिन शादी वनराज से करनी पड़ती है। पति को जब समीर के बारे में पता चलता है तो वो उसकी खोज में पत्नी के साथ इटली जाता है। वहां नंदिनी और समीर मिलते हैं। दोनों को साथ छोड़कर वनराज वहां से हट जाता है। समीर अपने सामने नंदिनी को पाकर बेहद खुश है।
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कहता है कि ‘मुझे पता था कि तुम जरूर आओगी, आई लव यू।’ वो उसको आलिंगन में लेता है, लेकिन नंदिनी बेजान सी खड़ी रही है। कहती है, ‘चाहने और हासिल करने में बहुत फर्क है।’ बात आगे बढ़ती है तो नंदिनी अपने प्रेमी को कहती है, ‘प्यार करना तुमने सिखाया, लेकिन प्यार निभाना मैंने अपने पति वनराज से सीखा।’ रोचक संवाद के बाद नंदिनी आंसू पोछती है और अपने प्रेमी को छोड़कर पति के पास वापस लौट जाती है। आज इस बात को लेकर हिंदी सिनेमा के फिल्मकार परेशान हैं कि उनकी फिल्में सफल नहीं हो रही हैं। असफलता का एक कारण ये हो सकता है कि हिंदी फिल्में भारतीय मूल्यों से दूर चली गई हैं, जो दर्शकों को भा नहीं रही हैं।
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