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    JFF 2025: 'चतुर होना चाहिए,' जागरण फिल्म फेस्टिवल में Divya Khosla ने लड़कियों से की खास अपील

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 02:32 PM (IST)

    Jagran Film Festival 2025 रविवार को राजधानी दिल्ली में जागरण फिल्म फेस्टिवल 2025 का समापन हो गया है। आखिरी दिन अपकमिंग बॉलीवुड फिल्म एक चतुर नार की एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार (Divya Khossla Kumar) मौजूद रहीं। इस दौरान उन्होंने अपनी फिल्म के अलावा लड़कियों को चतुर होने को लेकर खुलकर बात की है।

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    जेएफएफ में एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार (फोटो क्रेडिट- जागरण)

    शालिनी देवरानी, जागरण नई दिल्ली: आज के समय में लड़कियों का चतुर होना बहुत जरूरी है, ताकि कोई उनका फायदा ना उठा सके। लड़कियां स्मार्ट और टैलेंटेड होने के साथ मजाकिया भी हों तो ये उनकी अतिरिक्त काबिलियत बन जाती है। अभिनेत्री दिव्या खोसला ने जागरण फिल्म फेस्टिवल के दौरान अपनी फिल्म एक चतुर नार पर चर्चा करने के दौरान ये बातें कहीं।

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    कॉमेडी है मुश्किल काम- दिव्या

    उन्होंने कहा कि मैं हमेशा से कॉमेडी फिल्म करना चाहती थी। मुझे लगता है कॉमेडी एक मुश्किल शैली है जिसे श्रीदेवी और कंगना रनौत ने बखूबी निभाया है। फिल्म में मेरा किरदार आपको हंसाएगा और बहुत कुछ सिखाएगा भी। दिल और दिमाग पर जो कहानी रह जाए वो बेस्ट: उनके साथ आए इस फिल्म के निर्देशक उमेश शुक्ला ने कहा,

    फोटो क्रेडिट- ध्रुव कुमार

    मुझे व्यंग्य और हास्य लिखना पसंद है। ये फिल्म कामेडी, थ्रिलर, सस्पेंस और मनोरंजन से भरी है। इसके अलावा फोन पर होने वाले स्कैम पर जागरूक भी करेगी। नील नितिन मुकेश को भी दर्शकों ने नेगेटिव और ग्रे किरदारों में देखा है, इसमें अलग किरदार दिखेगा।'

    फोटो क्रेडिट- एक्स

    उमेश ने कहा कि फिल्म में हम नाले किनारे की दुनिया दिखाना चाहते थे, इसकी शूटिंग लखनऊ के बादशाह नगर की झुग्गी बस्ती में हुई है। फिल्म पूरी तरह वास्तविक लगे, यही कोशिश रही। दिव्या ने बताया कि इस फिल्म के लिए झुग्गियों में रहे, लोगों का रहन-सहन सीखा, वहां झाड़ू-पोंछा तक किया। झुग्गी बस्ती में काफी समय बिताया और सीखा कि जो लोग सम्पन्न होते हैं उन्हें शिकायतें ज्यादा रहती हैं।

    आज के समय में लड़कियों का ‘चतुर’ होना जरूरी: दिव्या

    रील और रियल लाइफ में अलग हूं दिव्या ने कहा कि मैं रील और रियल लाइफ अलग रखती हूं। जो किरदार मैं कर रही हूं खुद को पूरी तरह उसमें ढाल लेती हूं। सेट पर कैमरा आन होते ही मैं उस किरदार में होती हूं लेकिन कैमरा आफ होते ही मैं सिर्फ दिव्या होती हूं। शूटिंग के बाद उस किरदार को लेकर घर नहीं जाती।

    फिल्म फेस्टिवल में फिल्म एक चतुर नार पर बात करतीं अभिनेत्री दिव्या खोसला व फिल्म निर्देशक उमेश शुक्ला के संघर्ष से ही होती है सफलता की शुरुआत दिव्या ने कहा- मैंने दिल्ली में मॉडलिंग से करियर शुरू की और कई छोटे विज्ञापन किए। मुंबई में भी महीनों संघर्ष किया, फिर जाकर पहली फिल्म अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों मिली थी।

    इसलिए मेरा मानना है कि सफलता की शुरुआत संघर्ष से ही होती है। उमेश ने कहा कि मैंने थिएटर से करियर शुरू किया। पहले घोस्ट राइटिंग की और कई फिल्मों के लिए बतौर सहायक लेखक भी लिखा। इस दौरान मैंने सिर्फ सीखा कि बड़े निर्देशक कैसे काम करते हैं।

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