करिश्मा कपूर के बच्चों ने खटखटाया दिल्ली हाइकोर्ट का दरवाजा, पिता की संपत्ति में मांगा हिस्सा
हाल ही में संजय की बहन मंधीरा कपूर ने भी दावा किया कि उनकी मां को प्रिया सचदेव समेत कई लोगों द्वारा कानूनी कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था। अब करिश्मा और संजय के बच्चों ने अपने दिवंगत पिता की संपत्ति में हिस्सा लेने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की है।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। करिश्मा कपूर के बच्चों, समायरा और कियान ने अपने दिवंगत पिता संजय कपूर की संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। दोनों बच्चों द्वारा दायर मुकदमे में, उन्होंने दावा किया है कि उनकी सौतेली मां प्रिया सचदेव ने संजय की वसीयत में जालसाजी की है। उनका कहना है कि उनके पिता द्वारा कथित रूप से बनाई गई वसीयत कानूनी और लीगल दस्तावेज नहीं है, बल्कि जाली और मनगढ़ंत है।
बच्चों ने की दिल्ली हाईकोर्ट से ये अपील
उन्होंने तर्क दिया कि इसी कारण से कथित वसीयत के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट उन्हें दिखाए गए। इसलिए, बच्चों ने अदालत से रिक्वेस्ट की कि उन्हें डॉक्यूमेंट की एक कॉपी दी जाए। इसके अलावा, करिश्मा कपूर के बच्चों ने भी अदालत से अनुरोध किया कि जब तक यह मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक प्रिया सचदेव को वसीयत पर अमल करने से रोका जाए।
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
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12 जून, 2025 को लंदन में संजय कपूर की मृत्यु के बाद, 30,000 करोड़ रुपये के हिस्से को लेकर मामला उलझ गया है। करिश्मा अपने पूर्व पति की संपत्ति में हिस्सेदारी पाने के लिए कानूनी रास्ता तलाश रही हैं। संपत्ति को लेकर चल रही बातचीत में एक और मोड़ तब आया जब संजय की तीसरी पत्नी प्रिया सचदेव की बेटी सफीरा ने कथित तौर पर अपना उपनाम 'चटवाल' हटाकर 'कपूर' रख लिया। इंडस्ट्री जगत के जानकारों का मानना है कि यह बदलाव एक स्ट्रैटजी हो सकती है जिससे संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी मजबूत हो जाए।
संजय कपूर की बहन ने भी प्रिया सचदेव की आलोचना की
हाल ही में, संजय कपूर की बहन, मंधीरा कपूर ने भी दावा किया कि उनकी मां को कपूर की पत्नी, प्रिया सचदेव समेत कई लोगों ने कानूनी कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया। उन्होंने रिपब्लिक भारत को बताया, 'वे हमें कागज नहीं दिखा रहे हैं जिन पर उन्होंने इन 13 दिनों की अवधि में हस्ताक्षर करवाए हैं? मेरी मां को बंद दरवाजों के पीछे कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया और ऐसा एक बार नहीं, बल्कि दो बार हुआ। फिर उन्होंने आगे कहा, 'मैं दरवाजा खटखटा रही थी। वह बहुत दुखी थीं'।
मंधीरा ने आगे कहा, 'दरअसल, वहां दो दरवाजे थे, एक अंदर और एक बाहर। इसलिए वह मेरी बात नहीं सुन सकीं। असल बात यह है कि उन्होंने शोक के दौरान कुछ कागजों पर दस्तखत किए थे। वह गहरे शोक में थीं। वह मेरे पास आईं और बोलीं, 'मुझे नहीं पता कि मैंने किन कागजों पर दस्तखत किए हैं और तब से हम पूछ रहे हैं और कोई जवाब नहीं मिल रहा। तो, आप हमसे क्या छिपा रही हैं? मुझे लगता है कि किसी न किसी समय सच्चाई सामने आएगी।'
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