Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आमिर खान की वजह से मिली थी Shah Rukh Khan को 'किक', इस फिल्म को देखकर जागा था एक्टिंग का कीड़ा

    By Vinod AnupamEdited By: Tanya Arora
    Updated: Sat, 01 Nov 2025 12:03 PM (IST)

    शाह रुख खान के 60 वें जन्मदिन के अवसर पर अलग अलग दौर में बनी उनकी सात फिल्मों का उत्सव देश और दुनिया भर के सिनेमाघरों में आयोजित किए जा रहे हैं। जिसके बारे में जानकारी देते हुए शाह रुख खान ने सोशल मीडिया पर लिखा,’इसमें जो व्यक्ति है,वह ज्यादा नहीं बदला,बस बाल...और थोडा ज्यादा हैंडसम हो गया है। 

    Hero Image

    जब आमिर खान बने थे शाह रुख खान की इंस्पिरेशन/ फोटो- Instagram

    जागरण न्यूज नेटवर्क। शाह रुख खान जब हिंदी सिनमा को वह एक के बाद एक सबसे अधिक कमाई करने वाली सिर्फ फिल्म ही नहीं देते,उम्र के इस पड़ाव पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी हासिल करते हैं, तो मानना पड़ता है कि किंग खान गलत नहीं कहते। क्या आश्चर्य कि निकिता दत्ता जैसी अभी अभी आई अभिनेत्रियां भी शाह रुख खान के साथ काम करने को अपना एकमात्र सपना बताती हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान देश भर के चुने हुए फिल्म कलाकारों और दिल्ली के एलीट से भरा हॉल शाह रुख खान के प्रवेश के साथ ही जिस तरह किलक उठा था, वाकई कहा जा सकता है, शाह रुख ज्यादा नहीं बदले हैं। फिल्मों को छोड़ भी दें तो फिल्मफेयर अवॉर्ड के मंच पर वर्षों बाद वह उसी तरह जीवंत दिखे, जिसके लिए वे जाने जाते रहे हैं। आज भी हाजिरजवाबी और दर्शकों से कनेक्ट करने की उनकी खासियत चकित करती है।

    सफलता के पीछे भागते रहे हैं शाह रुख खान

    आइएमबीडी की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्मों की सूची में पहले नंबर पर आमिर खान की ‘दंगल’ है, जबकि दूसरे और तीसरे नंबर पर 2023 में बनी शाह रुख खान की दो फिल्में ‘जवान’ और ‘पठान’हैं।‘फैन’,‘जब हैरी मेट सेजल’और ‘जीरो’ की घनघोर असफलता के बाद शाह रुख खान को‘ब्रह्मास्त्र’,’ट्यूबलाइट’,’लाल सिंह चड्ढा’ के साथ विशेष भूमिकाओं का सितारा माना जाने लगा था। इतनी दमदार वापसी ने हिंदी सिनेमा और शाह रुख के प्रशंसकों को तो चकित किया, क्या शाह रुख भी चकित हुए होंगें, शायद नहीं।

    shah rukh khan birthday special  (4)

    सफलता के जिस शिखर पर शाह रुख खान रहे हैं, उन्हें चकित होना भी नहीं चाहिए। वह कहते भी हैं, मुझे और प्रशंसकों की जरूरत नहीं है, दुनिया की आधी आबादी पहले ही मुझे जानती है। शाह रुख खान की जीवन यात्रा में यह भी अद्भुत विरोधाभास दिखता है। एक ओर वह सफलता के शीर्ष पर दिखते हैं, जाहिर है जो आम धारणा शाह रुख खान के लिए बनी है कि वे सफलता के पीछे भागते रहे हैं। लेकिन उनकी फिल्मों पर गौर करें तो इस धारणा पर भरोसा करना थोड़ा कठिन हो जाता है। उनकी आरंभिक दौर की ‘माया मेमसाहब’,’ओ डार्लिंग,ये है इंडिया’ से लेकर ‘रॉकेट्री-द नाम्बी इफेक्ट’ तक शाह रुख खान ने ऐसी दसियों फिल्में की हैं,जो निश्चित रुप से सफलता को ध्यान में रख कर तो नहीं ही की जा सकती थी।

    यह भी पढ़ें- इस शर्त पर Shah Rukh Khan ने की थी डेब्यू मूवी Deewana, साइनिंग अमाउंट जानकर उड़ जाएंगे होश!

    आमिर खान की फिल्म देखकर जागी थी मन में इच्छा

    वास्तव में आज शाह रुख खान भले ही हिंदी सिनेमा इंडस्ट्री में सबसे ‘दुलरुआ’ दिखते हों, इस दिखने में हम यह भी भूल जाते हैं कि शाह रुख खान, सलमान खान की तरह नेपोकिड नहीं हैं। उन्होंने जो भी जगह हासिल की है वह अपनी काबिलियत और मेहनत से। उन्हें अपने बेटे आर्यन खान की तरह न तो कोई सहुलियत देने वाला था, न रास्ता बताने वाला। दिल्ली के एक आम परिवार से निकलकर कब वे सितारों की ओर बढ़ चले, यह याद करना अब शाह रुख के लिए भी आसान नहीं होगा।

    उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे अभिनेता बनेंगे, वे क्रिकेट और हॉकी खेलते थे, लेकिन चोटों के कारण खेल छोड़ना पड़ा। कॉलेज से निकलने के बाद उन्होंने जो पहली फिल्म देखी, जिसने उन्हें अभिनय की ओर खींचा, वह थी आमिर खान और जूही चावला की ‘कयामत से कयामत तक’। एक इंटरव्यू में शाह रुख कहते हैं,“मुझे नहीं लगा कि मैं उनके जितना सुंदर या कूल हूं, लेकिन फिर भी मुझे लगा, शायद मैं भी ये कर सकता हूं।”

    shah rukh khan birthday special  (1)

    बैरी जॉन से शाह रुख ने सीखी थी एक्टिंग

    शाह रुख की सफलता का आकलन तब तक नहीं हो सकता,जब तक हम 1988 में दूरदर्शन के लिए बने धारावाहिक ‘फौजी’ के अभिमन्यु राय को न देख लें।‘सर्कस’ और ‘दिल दरिया’ के एपीसोड नहीं देख लें।‘रजनी’ जैसे अपने समय के लोकप्रिय दसियों धारावाहिकों में उनकी निभाई छोटी छोटी भूमिकाएं देखकर ही शाह रुख की शुरुआत का अंदाजा लगाया जा सकता है।

    ‘दिल दरिया’ के निर्देशक लेख टंडन कहते है,जब मैंने शाह रुख को ‘दिल दरिया’ ऑफर की, मुझे कुछ भी पता नहीं था,उसके बारे में कि उसे एक्टिंग करनी भी है या नहीं, बाद में पता चला उसने बैरी जॉन से एक्टिंग सीखी है।मैं उसके लुक से प्रभावित था। वह दिन और आज का दिन,कह सकते हैं हिंदी सिनेमा को शाह रुख खान मिलना था।

    शाह रुख को लेकर अड़ गए थे यश चोपड़ा

    1992 में बडे परदे पर वह दिखे ‘दिवाना’ में, सामने थे ऋषि कपूर और दिव्या भारती। इसके बाद ‘डर’, ‘अंजाम’,’बाजीगर’,इन फिल्मों की लोकप्रियता से ऐसा लग रहा था सनकी प्रेमी की भूमिका में शाह रुख खान बंधते जा रहे हैं। लेकिन वास्तव में शाह रुख को पता था,मंजिल से महत्वपूर्ण सफर है। इन आसान सफलताओं के बीच उनकी ‘राजू बन गया जेटलमैन’,‘कभी हां कभी ना’, ‘गुड्डू’,‘चमत्कार’ जैसी फिल्में असफल होने के बावजूद हिंदी सिनेमा के प्रेमी नायक की नींव रखने का काम कर रही थी। जिसके लिए कहते हैं यश चोपडा अड़ गए थे कि ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे’ यदि बनेगी तो शाह रुख खान के साथ।

    इस फिल्म ने प्रेम को,परिवार को,संस्कृति को किस तरह हिंदी सिनेमा में पहचान दी, ये एक इतिहास ही है। शाह रुख खान किस तरह हिंदी सिनेमा में रोमांस के प्रतीक बन गए,वाकई इतिहास है। लेकिन ये शाह रुख खान है, सफलता को इन्होंने कभी अपना ‘बैगेज’ नहीं बनाया। यह याद करना दिलचस्प है कि इसी साल दीपा साही के साथ इनकी ऑफबीट फिल्म रिलीज हुई,’ओ डार्लिंग ये है इंडिया’,जो एक ‘ब्लैक कॉमेडी’ थी।

    yash chopra shah rukh khan

    सफलता को सोचकर फिल्में नहीं चुनते शाह रुख

    यह सही है कि शाह रुख के हिस्से ‘दिल तो पागल है’,’परदेस’ जैसी फिल्में भी आईं, लेकिन शाह रुख ने ‘कोयला’,’आर्मी’,’त्रिमूर्ति’ से भी कभी परहेज नहीं किया।‘मोहब्बतें’ की तो ‘गजगामिनी’ भी।‘देवदास’ की तो ‘स्वदेश’ भी।‘हैप्पी न्यू ईयर’ की तो ‘डियर जिंदगी’ भी। वास्तव में शाह रुख के मूल्यांकन में यह दुहराने की बात है कि उन्होंने सफलता के लिए फिल्में नहीं की, उनकी फिल्मों को सफलता मिलती गई। यही है जो शाह रुख खान को अपने समकालीनों से थोड़ा अलग बनाती है। आश्चर्य नहीं कि मेहनत से मिली सफलता शाह रुख इंज्वाय करते हैं।

    अभिनेता अपनी आधी जिंदगी पहचाने जाने के लिए मेहनत करते हैं, और फिर बाकी आधी जिंदगी गहरे चश्मे पहनकर बिताते हैं ,ताकि कोई उन्हें पहचान न ले। मुझे यह पसंद नहीं है। मुझे अच्छा लगता है कि लोग मुझे जानते हैं। मैं चाहता हूं कि लोग मुझे देखकर चिल्लाएं, मुझे लंच करते समय परेशान करें, मेरे आस-पास छह बॉडीगार्ड रहें, मुझे स्टार बनकर रहना पसंद है। मुझे यह अजीब लगता है जब मशहूर लोग कहते हैं कि वह फोटो नहीं खिंचवाना चाहते। हां, मैं सुबह-सुबह कैमरे के सामने नहीं आना चाहता, न ही किसी को अपने बेडरूम में झांकने देना चाहता हूं, लेकिन इसके अलावा, यह जिंदगी वाकई शानदार है।”

    यह जिंदगी लंबी हो,बहुत लंबी,शुभकामनाएं।

    यह भी पढ़ें- 'अपने काम से मतलब रखते...', Shah Rukh Khan को जैकी श्रॉफ ने बताया तेज-तर्रार बिजनेसमैन, याद किए 'देवदास' के दिन