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    क्यों Chitrangda Singh के हाथ से निकली थी शाह रुख खान की 'चलते-चलते'? बोली-पछतावा यह था कि....

    चित्रांगदा सिंह एक लंबे समय के बाद अक्षय कुमार और नाना पाटेकर की फिल्म हाउसफुल- 5 को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में एक्ट्रेस ने अपने करियर ग्राफ को लेकर बातचीत की और साथ ही ये भी बताया कि उन्हें किस बात का सबे ज्यादा पछतावा होता है। एक्ट्रेस ने आगामी प्रोजेक्ट्स के बारे में भी बताया।

    By Priyanka singh Edited By: Tanya Arora Updated: Mon, 30 Jun 2025 05:56 PM (IST)
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    चित्रांगदा सिंह के हाथ से निकली थी शाह रुख खान की चलते-चलते/ फोटो- Instagram

    प्रियंका सिंह, मुंबई। फिल्म ‘हाउसफुल 5’ में नजर आईं अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह इस बात से खुश हैं कि उन्हें मेकर्स ने कामेडी रोल देने के बारे में सोचा। बतौर निर्माता भी चित्रांगदा एक बायोपिक फिल्म को लेकर तैयारियां कर रही हैं। एक्ट्रेस ने अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स को लेकर दैनिक जागरण से खास बातचीत की: 

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    प्रश्न: ‘हाउसफुल’ के बॉक्स आफिस कलेक्शन से कितनी खुशी मिल रही है?

    उत्तर: हां, दिल हाउसफुल है। पहली बार कॉमेडी कर रही थी। सबसे बड़ी स्टारकास्ट और बड़ी फ्रेंचाइज का हिस्सा बनी। अक्षय कुमार की कॉमिक टाइमिंग कमाल की है। मुझे कुछ अलग करने का मौका मिला।

    प्रश्न: फिल्म में कलाकारों की भीड़ थी। उसमें खुद को साबित करने को लेकर मन में सवाल थे?

    हां, बिल्कुल था। सबसे बड़ा सवाल था मैंने कॉमेडी नहीं की है, फिल्म में इतने स्टार्स थे, जो कॉमेडी में माहिर हैं। मैं इस फ्रेंचाइज में नई थी। बड़ा रिस्क या चैलेंज था कि हां तो कर दी है, लेकिन साबित कैसे करूंगी। निर्माता साजिद (नाडियाडवाला) ने मुझे खुद बताया कि मैंने तरुण (मनसुखानी) से कहा था कि चित्रांगदा कैसे करेगी, लेकिन तरुण आश्वस्त थे कि मैं कर लूंगी।

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    Photo Credit- Instagram

    प्रश्न: इससे पहले किसने यह भरोसा दिलाया था?

    उत्तर: जब  फराह खान ने मुझे ‘जोकर’ फिल्म का गाना काफिराना… ऑफर किया, तो उन्होंने मुझे डांस करते हुए नहीं देखा था। ‘देसी ब्वॉयज’ में जितना डांस किया था, बस उतना देखा था। लेकिन इतने बड़े गाने में लेना, जो काफी महंगा गाना था, मैं उनकी शुक्रगुजार हूं। उसमें कई आर्टिस्ट और डांसर थे, चार रातों में गाना शूट हुआ था। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनका मुझ पर भरोसा था कि मैं यह कर पाऊंगी।

    प्रश्न: लोगों को चीजें खटक जाती हैं। कई लोगों ने कहा कि इस फिल्म में महिलाओं को आब्जेक्टिफाइ (वस्तु के रूप में देखना) किया गया है...

    उत्तर: मैंने इस फिल्म में काम किया है, इसलिए ऐसा नहीं कह रही हूं , पर मुझे ऐसा महसूस नहीं हुआ। सच में मुझे ऐसा लगता है कि हर तरह की फिल्म बनती हैं, हर तरह की कॉमेडी होती है। कोई इरादा नहीं होता है कि किसी लड़की को आब्जेक्टिफाइ किया जाए, हर चीज में सेंस आफ ह्यूमर का संतुलन बनाना चाहिए। अगर हम हर चीज को इतनी गंभीरता से ले लेंगे, एक ही मानक पर तोलेंगे, तो सांस भी नहीं ले सकते हैं। किसी भी चीज के लिए आज आलोचनाएं हो जाती हैं। फिल्ममेकर का इरादा देखना चाहिए। सेंसर बोर्ड ने इसे यूए सर्टिफिकेट दिया है। हम इतने बड़े हो गए हैं कि समझ सकें कि क्या चीज किस इरादे से कही गई है।

    प्रश्न: आपने कहा था कि आपको ब्रेक लेने का पछतावा रहा है? क्या अब कभी ब्रेक नहीं लेंगी?

    उत्तर: जो ब्रेक लिया था, वह इस वजह से नहीं लिया था कि काम नहीं था। ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ के बाद बहुत काम था। कई कॉल्स भी आ रहे थे। लेकिन मेरी निजी जिंदगी, मेरी शादी कारण था, उसे प्राथमिकता देना था। उस वजह से साढ़े सात साल का ब्रेक लिया। पछतावा नहीं है, क्योंकि अगर उस परिस्थिति में मुझे फिर से डाला जाए, तो मैं अब भी वही निर्णय लूंगी, जो तब लिया था।

    Photo Credit- Instagram

    उस वक्त निजी जिंदगी को सुलझाना बहुत जरूरी था, नहीं तो आप काम नहीं कर सकते हैं। पछतावा यह था कि कुछ प्रोजेक्ट्स थे, जो हाथ से निकल गए। चलते-चलते फिल्म थी, जिसे लेकर शाह रुख ने कहा था कि हम फिल्म में आपको लेने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन आपने फोन नंबर बदल दिया था। मेरा बेटा है, मुझे नहीं लगता है कि पछतावा है।

    प्रश्न: आप ‘सूरमा’ के बाद सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले सूबेदार योगेंद्र यादव की बायोग्राफी बनाने वाली थीं, उस पर काम कहां तक पहुंचा है?

    उत्तर: उसकी स्क्रिप्टिंग पर काम खत्म हो गया है। उम्मीद है कि सही लोग इसके लिए मिलेंगे। हमें शीर्षक रोल के लिए 19-20 साल का एक्टर चाहिए, जिसके भीतर मासूमियत हो। कास्टिंग के अलावा और कई कारण हैं, इसलिए वक्त लग रहा है।

    प्रश्न: ‘सूरमा’ फिल्म के दौरान निर्माता होना ज्यादा आसान था?

    उत्तर: कोविड से पहले और बाद बहुत अंतर आ गया है। माध्यम बढ़ गए हैं। मेरी दूसरी फिल्म के लिए भी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि उसे थिएटर में लेकर आएं या डिजिटल प्लेटफार्म पर!

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    प्रश्न: आपने कई प्रमोशनल (आइटम) गाने भी फिल्मों में किए हैं, तब उन गानों को लेकर काफी बातें होती थीं। चुनौतीपूर्ण था, उस बॉक्स से निकलना?

    उत्तर: चुनौतीपूर्ण था या नहीं पता नहीं, लेकिन मैं अपने उन फैसलों पर सवाल नहीं उठाती हूं। मुझे लगता है कि हर एक चीज एक परफॉर्मेंस होती है। काफिराना... कुंडी मत खड़काओ... गानों में मैं वह इंसान नहीं हूं। वास्तविक जिंदगी में उतनी आत्मविश्वासी नहीं हूं। वह बाडी लैंग्वेज मुझसे काफी अलग है। जब मिस्टर भंसाली ने मुझे कुंडी मत खड़काओ के लिए बुलाया, तो उन्होंने कोरियोग्राफी दिखाई कि ऐसा आपकी परफॉर्मेंस में चाहिए। चुनौती नहीं लगी, लेकिन कुछ लोगों को वह खटका।

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