'मैं मर जाता...' न्यूयॉर्क में Shatrughan Sinha के साथ हुआ था बुरा हादसा, मसीहा बनकर किसने बचाई थी जान?
Shatrughan Sinha ने न्यूयॉर्क में अपने साथ हुई लूटपाट की घटना को याद किया, जहां सूनसान सड़क पर वे इतना घबरा गए थे कि उन्हें लगा कि ये उनकी आखिरी रात ह ...और पढ़ें

न्यूयॉर्क में शत्रुघ्न सिन्हा के साथ हुआ था बुरा हादसा
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। शत्रुघ्न सिन्हा ने पर्दे पर कई जिंदगी जी हैं, लेकिन कैमरे के बाहर का एक डरावना पल दशकों बाद भी उनके साथ है। वेटरन एक्टर ने हाल ही में न्यूयॉर्क की एक यात्रा के दौरान हुए एक डरावने अनुभव को याद किया, जिसमें उन्हें सच में अपनी जान का डर लग रहा था, तभी अचानक एक फैन ने उन्हें बचा लिया, जिसने उन्हें उनकी पंजाबी फिल्म 'पुत्त जट्टन दे' से पहचाना था।
एक इंटरव्यू में बातचीत में सिन्हा ने उस घटना के बारे में बताया, जो उस समय हुई थी जब न्यूयॉर्क में लूटपाट बहुत ज्यादा होती थी। उन्होंने याद किया कि वह रैडिसन होटल में रुके थे और एक दोस्त के घर डिनर के लिए बुलाए जाने के बाद देर रात बाहर निकले थे। उन्होंने कहा, 'मैं न्यूयॉर्क के रैडिसन होटल में रुका था। डिनर के बाद उसने कहा कि वह मुझे वापस छोड़ देगा। उस समय शहर में लूटपाट का दौर चल रहा था। रात के करीब 1 बजे थे और इलाका पूरी तरह सुनसान था। उसने मुझे रैडिसन होटल से थोड़ा आगे छोड़ा और कहा, 'वह होटल है, तुम यहां से पैदल जा सकते हो।' मैं मान गया।
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सुनसान रास्ते पर डर गए थे शत्रुघ्न सिन्हा
हालांकि यह छोटी सी सैर जल्दी ही एक बुरे हादसे में बदल गई। उन्होंने आगे कहा, 'मैं नीचे उतरा और मेरे पास सामान से भरा एक शॉपिंग बैग था, जिसमें लगभग हर वो चीज थी जो किसी लुटेरे को आकर्षित कर सकती थी। मैं सड़क पर अकेला था और चारों तरफ पूरी तरह सन्नाटा था'। उनके दोस्त के जाने के तुरंत बाद उन्हें घबराहट होने लगी। 'मेरे दोस्त के जाने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि यह होटल नहीं था। वहां की सभी इमारतें एक जैसी दिखती थीं, और मैं बहुत ज्यादा घबरा गया। मुझे सच में लगा कि यह वो रात हो सकती है जब कुछ बहुत बुरा होगा। मैंने सोचा, ‘यह वो रात हो सकती है जब मेरी जान चली जाए।’
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शत्रुघ्न को लगने लगा था मरने का डर
उन्होंने आगे एक राहगीर के साथ हुई एक परेशान करने वाली बातचीत के बारे में बताया। एक आदमी वहां से गुजर रहा था और मैंने उससे पूछा कि रैडिसन होटल किस तरफ है। उसने बस कहा, ‘दफा हो जाओ।’ तब तक रात के करीब 2 बज चुके थे। जब एक कार धीरे-धीरे उनके पास आई तो डर उन पर पूरी तरह हावी हो गया था। एक्टर ने बताया, 'अचानक एक कार मेरे पास आने लगी, जबकि मैं उस अंधेरी सड़क पर खड़ा था, लगभग अपनी मौत का इंतजार कर रहा था, मैंने सोचा, ‘बस यही है। यही मेरा अंत है।’
मसीहा बनकर बचाई थी जान
लेकिन इसके बाद जो हुआ वह पूरी तरह से यकीन ना करने वाला था। गाड़ी पीछे हुई और फिर मैंने अंदर से एक आवाज सुनी, ‘पुत्त जट्टन दे?’ उस आदमी ने फिर कहा, ‘वहीं रुक जाओ।’ ड्राइवर ने मुझसे पूछा, ‘तुम यहां क्या कर रहे हो? तुम्हारी जान जा सकती है।’
कुछ ही देर बाद, बहुत सारे लोग मदद के लिए आ गए। उसने अपने रेडियो का इस्तेमाल किया और जल्द ही लगभग 20-25 गाड़ियां आ गईं। वे सभी पंजाब के हमारे लोग थे, हमारे सिख भाई। उन्होंने मुझे चारों तरफ से घेर लिया और तब मेरी घबराहट कम हुई। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत खतरनाक इलाका है, लेकिन हमने आपको पहचान लिया।’ फिर उन्होंने मुझे सुरक्षित मेरे होटल छोड़ दिया'।
जब उन्होंने उन्हें पैसे देकर धन्यवाद देने की कोशिश की, तो उन्होंने जवाब दिया, 'बिल्कुल नहीं। आप हमारे हीरो हैं। आप पुत्त जट्टन दे हैं।’
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