जब रोते-बिलखते लोग Mohammed Rafi की कब्र से ले गए मिट्टी, अंतिम यात्रा में 10 हजार लोग हुए थे शामिल
गायकों की दुनिया के बेताज बादशाह अगर किसी को कहा जाता है तो वो हैं मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi)। देश के सबसे लोकप्रिय सिंगर्स में से एक रहे मोहम्मद रफी। भले ही आज के लोगों को म्यूजिक में नई चीजें देखना और सुनना पसंद हो लेकिन रफी साहब के तरानों के आगे आज सबकुछ फीका लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब मोहम्मद रफी का निधन हुआ तो उनकी कब्र से लोग मिट्टी भी उठाकर ले गए थे।
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जब मोहम्मद रफी की कब्र से मिट्टी उठाकर ले गए लोग
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली. गायकों की दुनिया के बेताज बादशाह अगर किसी को कहा जाता है तो वो हैं मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi)। देश के सबसे लोकप्रिय सिंगर्स में से एक रहे मोहम्मद रफी। भले ही आज के लोगों को म्यूजिक में नई चीजें देखना और सुनना पसंद हो लेकिन रफी साहब के तरानों के आगे आज सबकुछ फीका लगता है। अपनी गायकी से रफी साहब ने हर किसी का दिल छुआ। आज भी जब उनके गाने बजते हैं तो मन को अपने आप सुकून सा मिल जाता है। ये मोहम्मद रफी की दीवानगी ही थी कि उनके जाने के बाद भी लोग उनकी कब्र पर पागलों तरह टूट पड़े और वजह थी काश उनके कब्र की थोड़ी सी मिट्टी ही मिल जाए। क्या है ये पूरा किस्सा आइए आपको बताते हैं।
मोहम्मद रफी की कब्र की मिट्टी ले जाने लगे लोग
बेतहाशा मोहब्बत अगर मोहब्बत रफी के गानों को मिली तो यही फैंस ने उनके साथ भी किया। लोग रफी साहब को इतना पसंद करते थे कि उनकी एक झलक पाने को बेकरार रहते थे। मोहम्मद साहब ने जब इस दुनिया को अलविदा कहा था तब उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ा था। जिस दिन उनका इंतकाल हुआ तो उस दिन मुंबई में तेज बारिश हो रही थी लेकिन उनके चाहने वालों के आगे क्या हवा और क्या पानी। वो अपने चहीते मोहम्मद रफी के अंतिम दर्शन के लिए टूट पड़े। उनकी अंतिम यात्रा में दूर-दूर से लोग शरीक हुए थे। हर किसी की आंखों में उस वक्त आंसू थे, लोगो के मुंह से ये भी निकल रहा था कि देखो आज मोहम्मद साहब गए तो कैसे आसमान भी रो रहा है। मोहम्मदर रफी के निधन की खबर ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। उनके फैंस दूर-दूर से मुंबई पहुंच रहे थे। बताया जाता है कि उनके जनाजे में करीब 10 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। ये मोहम्मद रफी का प्यार ही था कि उन्हें हर धर्म के लोग पसंद करते थे। कब्रिस्तान की दीवारों पर कांच लगे थे लेकिन लोगों को बस उनकी एक झलक पानी थी, तो लग भी दीवारों पर चढ़ गए। यहां तक कि कई लोगों के हाथों से खून तक बह रहा था, फिर भी लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए। जब उनका निधन हुआ तो भारत सरकार ने दो दिन का राष्ट्रीय शोक भी रखा था। लोगों में उनको लेकर इतनी दीवानगी थी कि लोग उनकी कब्र से मिट्टी उठाकर ले गए। लाख कोशिश की गई लेकिन लोगों का प्यार इतना ज्यादा था कि लोगों ने उनकी कब्र के आगे जाकर वहां रखी मिट्टी को उठा लिया और अपने साथ ले गए।
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आज की पीढ़ी मोहम्मद रफी से सीखती है, समझने की कोशिश करती है कि असल मायनों में संगीत का मतलब क्या होता है। मोहम्मद रफी ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक गाने दिए, जिन्हें बच्चे से लेकर बूढे भी पसंद करते हैं। उन्होंने हमेशा संगीत को ज्यादा अहमियत दी। एक वक्त ऐसा भी आया कि उन्होंने एक रुपए लेकर भी गाना गाया था। आर्थिक तंगी से जूझ रही एक महिला की वो अनजान बनकर मदद किया करते थे। यहां तक कि जब भी उन्हें रियाज करना होता था तो वो मरीन ड्राइव चले जाते थे, ताकि आसपास रहने वाले लोगों की नींद खराब ना हो। निधन से कुछ दिन पहले कोलकाता के कुछ लोग उनके पास आए और उन्होंने आग्रह किया कि रफी साहब काली पूजा के लिए गाना गाएं। जिस दिन रिकॉर्डिंग थी उस दिन उनके सीने में काफी दर्द हो रहा था। हालांकि उन्होंने ये बात किसी को नहीं बताई। वो बंगाली गाना नहीं गाना चाहते थे लेकिन फिर भी उन्होंने गाना गाया। वही दिन उनका आखिरी दिन था और फिर सीने में दर्द के चलते उनका निधन हो गया। 31 जुलाई, 1980 यही वो तारीख है, जब उन्होंने 55 साल की उम्र में सभी को अलविदा कह दिया था। लेकिन उनके किस्से, कहानी और गाने आज भी लोगों के जहन में बसे हुए हैं।

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