Freedom at Midnight Review : जब विभाजन की दहलीज पर खड़ा था भारत, दिलचस्प है निखिल आडवाणी का पॉलिटिकल थ्रिलर शो
ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर फ्रीडम एट मिडनाईट नाम से एक धांसू सीरीज रिलीज हो चुकी है। ये एक पॉलिटिकल ड्रामा सीरीज है जिसमें आजादी के समय की लड़ाई और कहानी देखने को मिलेगी। इस सीरीज में सिद्धांत गुप्ता चिराग वोहरा और राजेंद्र चावला जैसे शानदार कलाकार जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों के किरदार में दिखाई दिए।
एंटरटेनमेंट डेस्क,नई दिल्ली। पॉलिटिक्स तो भारत के लोगों की नसों में बसती है। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक और गली नु्क्कड़ से लेकर चाक-चौराहों तक हर तरफ इसके चर्चे होते हैं। ऐसी ही एक सीरीज आज रिलीज हो चुकी है जहां 200 साल के राज के बाद अंग्रेज वापस अपने देश जाने को तैयार हैं और भारत देश के दो हिस्से होने हैं।
सोनी लिव के शो फ्रीडम एट मिडनाइट के सभी 7 एपिसोड रिलीज हो चुके हैं। ये एक हिस्टोरिकल ड्रामा सीरीज है। इसकी कहानी भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले की है, जिसमें दिखाया गया कि भारत आजाद होने वाला है। इस बीच कई सारी कंट्रोवर्सीज खड़ी होती हैं। इसका मुद्दा ये होता है कि धर्म आदि के आधार पर किस तरह देश को बांटा जाए यही इस इस सीरीज का हिस्सा है।
क्या है इस सीरीज की कहानी
सीरीज की कहानी एक तरीके से 1946 के दौर की है, देश आजाद होने वाला था। सरकार के सामने कई तरह के चैलेंजेस थे और लोगों में आपसी पॉलिटिक्स चल रही थी। फिर किन परिस्थितियों में देश का विभाजन करना पड़ा और पाकिस्तान बना। आजादी के 77 साल बाद भी ये सवाल आज भी लोगों के दिमाग में बना रहता है कि क्या हिंदुस्तान को सच में 1947 के उस बंटवारे की जरूरत थी। क्या अलग से दूसरा देश बनाने का फैसला सही था? तो ये सीरीज आपके उन सभी सवालों का जवाब दे सकती है।यह भी पढ़ें: Freedom At Midnight: आजादी की कहानी पर आधारित है सोनी लिव की नई सीरीज, ये 'जुबली' स्टार निभाएगा नेहरू का किरदार
सरकार के सामने क्या थी चुनौतियां
करोड़ों लोगों की तकदीर तय करने वाले उन लोगों के दिमाग में क्या चल रहा था? उनके सामने क्या सारी चुनौतियां थीं? उनका क्या पर्सनल और पॉलिटिकल स्ट्रगल था ये सब फ्रीडम एट मिडनाईट में दिखाया गया है। इसमें विभाजन को कायदे से समझाया गया है। बंटवारे में पंजाब और बंगाल के किन इलाकों को अलग करके पाकिस्तान बनाया गया। वो इलाके कैसे तय किए गए? जिन्ना की मुस्लिम लीग किन इलाकों के लिए लड़ रही थी ये सब आपको देखने को मिलेगा।
कहानी जून, 1947 तक की घटनाएं दिखाती है, जब बंटवारे की ऑफिशियल अनाउंसमेंट की गई थी। कहानी में मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग के नेता अलग देश के लिए लड़ाई लड़ते नजर आएंगे। कहानी 1946 के कलकत्ता से शुरू होती है। शो के पहले सीक्वेंस में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से शुरुआत की गई है जो बंटवारे के सवाल पर जवाब देते हैं- 'हिंदुस्तान का बंटवारा होने से पहले मेरे शरीर का बंटवारा होगा।'
इस एक डायलॉग से आपको बंटवारे पर गांधी का पक्ष पता लग जाता है। कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि फ्रीडम ऑफ मिडनाइट की कहानी को फिल्मी स्टाइल में दिखाने की कोशिश की गई है लेकिन डायरेक्टर ने फिल्म का पेस कहीं कमजोर नहीं पड़ने दिया है।