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    पेपरलेस रजिस्ट्री में आमजन पर कैश का बोझ, बहादुरगढ़ में तहसील के बाहर डाक्यूमेंट राइटरों ने दोगुना किया शुल्क

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 02:34 PM (IST)

    बहादुरगढ़ में पेपरलेस रजिस्ट्री शुरू होने से आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। तहसील के बाहर बैठे डॉक्यूमेंट राइटरों ने अपनी फीस दोगुनी कर दी है। पहले जहाँ 500-700 रुपये लगते थे, अब 1000-1500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं, जिससे रजिस्ट्री करवाने वालों को परेशानी हो रही है। लोगों ने सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

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    बहादुरगढ़ तहसील में रजिस्ट्री करवाने पहुंचे लोग। जागरण

    जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। पेपरलेस रजिस्ट्री व्यवस्था की प्रक्रिया अब गति पकड़ रही है। नई व्यवस्था से फायदा कितना होगा, यह तो अभी साफ नहीं, मगर इस व्यवस्था से आमजन पर आर्थिक बोझ जरूर बढ़ गया है। रजिस्ट्रियों के लिए तहसीलों के बाहर दस्तावेज तैयार करने वाले डाक्यूमेंट राइटरों ने अपना शुल्क दोगुना तक बढ़ा दिया है।

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    पहले जो खर्च तीन से साढ़े तीन हजार था, वह अब पांच से छह हजार तक हो गया है। डाक्यूमेंट राइटरों का तर्क है कि रजिस्ट्री का 80 प्रतिशत काम उनके हिस्से आ गया है। ऐसे में शुल्क न बढ़ाए तो क्या करें। वैसे तो इस व्यवस्था में काेई भी आम आदमी पोर्टल पर अपनी आईडी बना सकता है और अपनी आइडी से अधिकतम पांच रजिस्ट्री करवा सकता है।

    मगर पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के आवेदन की प्रक्रिया तो आमजन को मालूम नहीं। ऐसे में सब कुछ पहले की तरह ही डाक्यूमेंट राइटरों के हवाले है। इसलिए ज्यादा शुल्क देना पड़ रहा है। इस बीच नई व्यवस्था में जो अड़चनें थी, वे धीरे-धीरे दूर हो रही हैं। अकेले बहादुरगढ़ में ही रजिस्ट्रियों का औसत प्रतिदिन नौ पर आ गया है। शुरूआत के 10 दिनों में तो यह एक से भी कम था।

    पोर्टल को रोजाना अपडेट किया जा रहा है। शहरी निकाय की सीमा से बाहर के सेक्टरों और लाइसेंसी साेसायटी की रजिस्ट्रियों में जो अड़चन थी, वह अब दूर हो रही है। 503 रुपये की फीस हर बार न देनी पड़े इसलिए रजिस्ट्री आवेदन को खारिज करने की बजाय वापस करने का विकल्प आ गया है, ताकि आवेदन की कमियों को बिना शुल्क दूर किया जा सके।

    नई व्यवस्था में 20 दिन में 94 रजिस्ट्री, पहले रोजाना होती थी 40

    इस व्यवस्था से पहले बहादुरगढ़ तहसील में रोजाना 40 रजिस्ट्री होती थी। नई व्यवस्था के पहले 10 दिनों में तो केवल चार रजिस्ट्री हो पाई थी, लेकिन उसके बाद के 10 दिनों में 90 रजिस्ट्री हुई हैं। यानी 1 से 20 नवंबर तक बहादुरगढ़ में 94 रजिस्ट्री पेपरलेस व्यवस्था में हो चुकी हैं। धीरे-धीरे प्रक्रिया सुचारु हो रही है। अभी कुछ बिंदुओं पर और सुधार की दरकार है।



    तहसील के बाहर रजिस्ट्री के दस्तावेज तैयार करने व आवेदन करवाने के लिए कौन कितना शुल्क लेता है, यह तो अलग विषय है। मगर इस पेपरलेस व्यवस्था में कोई भी आमजन पोर्टल पर अपनी आइडी बनाकर आवेदन कर सकता है। इस एक आइडी से अधिकतम पांच रजिस्ट्रियां करवाई जा सकती हैं।


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    -सुदेश मेहरा, तहसीलदार, बहादुरगढ़

    अब डाक्यूमेंट राइटरों का काम बहुत ज्यादा बढ़ गया है। एक सामान्य आवेदन में भी डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता है। पोर्टल भी अक्सर धीमा रहता है। जिन जमीनों की रजिस्ट्री में नंबरों और दूसरे रिकार्ड की ज्यादा उलझन होती है तो उसमें समय और भी ज्यादा लगता है। जब काम और मेहनत बढ़ गई है तो जाहिर तौर पर शुल्क भी बढ़ेगा। सरकार की तरफ से तो कुछ तय नहीं है, इसलिए सभी डाक्यूमेंट राइटर अपनी मेहनत के हिसाब से ही शुल्क लेते हैं।


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    -श्रीभगवान जांगड़ा, प्रदेश सचिव, राज्य डीड राइटर्स एसोसिएशन