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    Delhi Blast: मोबाइल कराया फॉर्मेट, वॉट्सएप-फेसबुक चैट की साफ; रडार पर आए अल-फलाह के 200 डॉक्टर और स्टाफ

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 06:33 PM (IST)

    अल फलाह यूनिवर्सिटी में 200 से अधिक डॉक्टर और कर्मचारी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। 10 नवंबर को दिल्ली धमाके के बाद कुछ लोग यूनिवर्सिटी छोड़ गए, जिनकी पहचान की जा रही है। जांच एजेंसियों को शक है कि ये लोग आतंकियों से जुड़े थे। कई लोगों ने मोबाइल डेटा डिलीट कर दिया है, जिसकी जांच की जाएगी। पुलिस हॉस्टल और बाहर रहने वाले छात्रों के कमरों की तलाशी ले रही है और एक हजार से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।

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    प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। अल फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत 200 से अधिक डाॅक्टर व अन्य स्टाफ जांच एजेंसी व पुलिस की रडार पर आ गए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार 10 नवंबर को दिल्ली धमाके के तुरंत बाद कुछ लोग यूनिवर्सिटी को छोड़ गए थे। ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है। पूरा शक है कि यह सभी लोग कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में आतंकियों के साथ जुड़े हुए थे।

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    यानी इन लोगों को आतंकी की गतिविधियों की पूरी जानकारी थी। इनमें सबसे अधिक शक कश्मीरी डाॅक्टर व छात्रों पर है। बेशक इन लोगों ने चुप्पी साध ली है, लेकिन जांच एजेंसी इनकी निगरानी कर रही हैं।

    सूत्र बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने मोबाइल फोन को फाॅर्मेट करा लिया है। कुछ ने काॅल डिटेल, वाॅट्सएप चैट, फेसबुक मैसेंजर चैट को डिलीट कर दिया है। अब पुलिस इन सभी के मोबाइल फोन की जांच कराएगी। ताकि पता लगाया जा सके कि इनका आतंकियों से किस तरह का कनेक्शन रहा है।

    एनआईए सहित दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल आतंकियों के माड्यूल के चक्रव्यू को ताेड़ने में लगी हुई है। इसलिए जांच एजेंसी व पुलिस वार्ड ब्वाय व कैंटीन संचालक व यहां चाय पीने आने वाले भी शक के दायरे में ले रही हैं। इन सभी को जांच पूरी होने तक यूनिवर्सिटी न छोड़ने के बारे में हिदायत दी जा चुकी है।

    सभी की सूची तैयार है। इसमें इनके फोन नंबर व पूरा पता दर्ज है। पुलिस की एक टीम इन सभी से दिन में एक बार बात जरूर करती है। सूत्रों के अनुसार धौज, फतेहपुर तगा सहित आसपास के गांव में आतंकियों की मदद करने वाले छिपे हुए हैं।

    हाॅस्टल व बाहर रहने वाले छात्रों के घर पहुंची पुलिस

    पुलिस सूत्रों के अनुसार जांच का दायरा केवल यूनिवर्सिटी तक ही सीमित नहीं है। यहां छात्रों के हाॅस्टल में तो गहन जांच चल ही रही है, साथ में जो बाहर रह रहे हैं, उन छात्रों के कमरों में भी पुलिस पहुंच गई है। मकान मालिक से पूछताछ हो रही है। कई छात्र धौज गांव में किराये के कमरे में रह रहे हैं।

    यूनिवर्सिटी के बाहर मिले एक छात्र ने बताया कि पुलिस की टीम कई बार कमरे की तलाश ले चुकी है। डर की वजह से पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है। यूनिवर्सिटी में सात हजार का वेतन पाने वाले वार्ड ब्वाॅय के घर भी पुलिस की टीम दो बार जा चुकी है। यह कर्मचारी डाॅ. मुजम्मिल का करीबी था।

    कई बार मुजम्मिल की पीले रंग की अपाचे बाइक को ले जाते हुए देखा गया था। इसी तरह धौज गांव का रहने वाला एक और युवक मेडिकल विंग में काम करता था। यह भी मुजम्मिल से प्रभावित था और उससे काफी देर तक बात करता था। इससे भी पुलिस पूछताछ कर चुकी है।

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    एक हजार लोगों से की पूछताछ

    अल फलाह यूनिवर्सिटी में इस समय एक नहीं कई जांच टीमें काम कर रही हैं। एनआईए के अलावा दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, यूपी एटीएस, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच, जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक-एक यूनिट लगातार यूनिवर्सिटी में आ-जा रही है। मंगलवार को ईडी की भी यूनिवर्सिटी में इंट्री हो गई। इन सभी जांच टीमों ने यूनिवर्सिटी के अंदर अस्थाई कमांड सेंटर बना लिया है।

    सूत्र बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में हजार से अधिक डाॅक्टर, छात्र व अन्य स्टाफ, धौज व फतेहपुर तगा गांव के लोगों से पूछताछ कर उनके मोबाइल फोन की काल डिटेल की जांच की जा चुकी है। यहां तक कि संदिग्ध लोगों के बैंक खातों की जानकारी निकाली जा रही है। ताकि आतंकियों के पूरे नेटवर्क का पता करके उसे ध्वस्त किया जा सके।

    फ्लैटों में बार-बार जा रही पुलिस व जांच एजेंसी

    डाॅ. मुजम्मिल, डाॅ. शाहीन और डाॅ. उमर नबी बट यूनिवर्सिटी परिसर के जिन फ्लैटों में रहते थे, पुलिस व जांच टीमें बार-बार वहां जा रही हैं। फ्लैटों में तो अब कुछ नहीं मिल रहा है, लेकिन आसपास के फ्लैटों में रहने वाले डाॅक्टर व अन्य स्टाफ से लगातार पूछताछ हो रही है। सभी के फ्लैटों की जांच भी हो चुकी है। शक है कि आतंकियों की गतिविधियों के बारे में आसपास के फ्लैटों में रहने वालों को जानकारी थी।

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