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    अल फलाह यूनिवर्सिटी से एक साथ तीन महीने के लिए गायब हो जाते थे तीनों आतंकी डॉक्टर, फिर रचते थे षडयंत्र

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 07:32 PM (IST)

    अल फलाह यूनिवर्सिटी प्रबंधन आतंकी डॉक्टरों को नियुक्त करने और उन्हें लंबी छुट्टियां देने में उदार था। दिल्ली ब्लास्ट में शामिल डॉ. उमर नबी बट, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहिन लंबी छुट्टी पर एक साथ गायब हो जाते थे, फिर वापस आकर ड्यूटी ज्वाइन करते थे। जांच एजेंसियां अब उनकी गतिविधियों की जांच कर रही हैं। डॉ. उमर छात्रों पर कट्टर विचारधारा थोपता था और आतंकी गतिविधियों के लिए डेड ड्रॉप ईमेल का इस्तेमाल करता था।

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    अल फलाह यूनिवर्सिटी में कश्मीरी डॉक्टरों की संख्या करीब 35 के आसपास हैं।

    दीपक पांडेय, फरीदाबाद। अल फलाह यूनिवर्सिटी प्रबंधन न केवल आतंकी डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर बल्कि उनको लंबी छु़ट्टी देने में भी पूरी तरह से मेहरबान रहा। दिल्ली ब्लास्ट मामले में शामिल डॉ. उमर नबी बट, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहिन लंबी छुट्टी पर एक साथ यूनिवर्सिटी से गायब रहे। फिर वापस आकर उन्होंने अपनी ड्यूटी भी ज्वाइन कर ली। यूनिवर्सिटी सूत्रों के अनुसार तीनों के इतनी लंबी छुट्टी से वापस आने के बाद भी किसी को नोटिस देकर कोई पूछताछ नहीं की गई।

    अल फलाह यूनिवर्सिटी में कश्मीरी डॉक्टरों की संख्या करीब 35 के आसपास हैं। प्रबंधन की ओर से कश्मीर से आने वाले डाक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया के साथ अन्य तरह की भी विशेष सुविधाएं दी गई है। खासकर डॉ. उमर नबी बट, डा. शाहिन और डा. मुजम्मिल की तो प्रबंधन में सीधी पैठ थी। इनकी पैठ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ ही समय में महिला आतंकी डॉ. शाहीन को सहायक प्रोफेसर के पद से प्रमोशन देकर फार्मा विभाग का एचओडी बना दिया गया।

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    जबकि उनसे अनुभवी कई डॉक्टरों को दरकिनार किया गया। यह तीनों ही एक साथ तीन से चार माह के लिए गायब होते थे। इसके लिए प्रबंधन को कोई वजह भी नहीं बताई जाती थी। अब जांच एजेंसियां इस बात का सुराग खोजने में जुट गई है कि यूनिवर्सिटी से एक साथ गायब होने के बाद तीनों कहां कहां गए। वहीं कितने लोगों से इन्होंने संपर्क किया।

    छात्राओं के साथ बात करने पर भी होता था एतराज...

    यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डा. उमर काफी कट्टर विचारधारों का था। उमर छात्रों के अपनी छात्रा सहपाठी के साथ भी आपस में अधिक बात करने पर एतराज जता देता था। इसके साथ वह छात्रों को छात्राओं के साथ बैठा देख लेता तो उनको टोक देता था। यूनिवर्सिटी के छात्रों के अनुसार ही डा. उमर नबी बट का कश्मीरी छात्रों से अधिक लगाव था। अगर किसी कश्मीरी छात्र को हास्टल में फ्लैट नहीं मिलता था तो वह अपना कमरा दे देता था। खुद मुजम्मिल के कमरे में जाकर सोता था। दोनों यूनिवर्सिटी से देर रात इको स्पोटर्स लाल कार में घूमने के लिए भी निकल जाते थे।

    दो दिन की पूछताछ के बाद लौटे एक छात्र ने रूममेट से बातचीत भी की बंद...

    दो दिन के बाद वापस लौटे एक छात्र ने अपने रूममेट से भी बातचीत बंद कर दी है। यहां तक भी अपने रूममेट कोई दूसरा कमरा देखने के लिए कहा हैं। यूनिवर्सिटी छात्र के अनुसार तीनों आतंकी डाक्टर से अगर किसी ने एक बार भी किसी भी विषय को लेकर बातचीत की है। दिल्ली पुलिस उनको भी पूछताछ के लिए ले गई हैं। शनिवार को भी यूपी एसटीएफ की टीम फतेहपुर तगा स्थित इमाम के मकान पर पहुंची। जहां पर मुजम्मिल ने किराए पर कमरा लेकर अमोनियम नाइट्रेट रखा हुआ था। टीम ने आसपास के लोगों से इमाम और मुजम्मिल को लेकर पूछताछ की।

    उमर इस्तेमाल करता था डेड ड्राप ईमेल...

    पुलिस सूत्रों के अनुसार उमर आतंकी गतिविधियों का संदेश अपने साथियों तक पहुंचाने के लिए सामान्य मेल की बजाय डेड ड्राप ईमेल का प्रयोग करता था। डेड ड्राप ईमेल का अर्थ एक ऐसी डिजिटल तकनीक है जहां लोग एक ही ईमेल खाते से बिना भेजे संदेशों को ड्राफ्ट फोल्डर में सेव करके जानकारी साझा करते हैं, जिससे वे एक-दूसरे से सीधे मिले बिना या ईमेल भेजे बिना संवाद कर पाते हैं। इस विधि का प्रयोग मुख्य रूप से जासूसी या आपराधिक गतिविधियों में किया जाता है ताकि व्यक्तियों की डिजिटल पहचान छिपाई जा सके और पहचान करना मुश्किल हो सके।