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    Delhi Blast: बिना रिलीविंग सर्टिफिकेट अल-फलाह ने रखी फैकल्टी, वेबसाइट पर गलत जानकारी देकर किया गुमराह

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 08:07 PM (IST)

    अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर छात्रों को गुमराह करने और फैकल्टी भर्ती में नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। नैक ने यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर 15 दिनों में जवाब मांगा है, अन्यथा मान्यता रद करने की चेतावनी दी है। यूनिवर्सिटी पर बिना रिलीविंग सर्टिफिकेट फैकल्टी भर्ती करने और वेबसाइट पर गलत जानकारी देने का आरोप है।

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    अनिल बेताब/ दीपक पांडेय, फरीदाबाद। आतंकी गतिविधियों का केंद्र बनी अल फलाह यूनिवर्सिटी ने आतंकियों की भर्ती करने में सभी नियम-कानूनों को दरकिनार कर दिया था। यहां तक कि फैकल्टी की भर्ती के दौरान प्रबंधन ने उनके पुराने संस्थान का रिलीविंग सर्टिफिकेट तक नहीं लिया।

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    सूत्र बताते हैं कि यह मिलीभगत ही थी कि यहां एक के बाद एक आतंकियों को आसानी से नियुक्ति मिलती गई। इसी के चलते लाल किला बम धमाके की जांच कर रही जांच एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी में भर्ती का कार्य देखने वाले विभाग के प्रमुख जमील को भी गिरफ्तार किया है।

    सूत्रों के अनुसार, यूनिवर्सिटी की ओर से फैकल्टी रखने में मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के मानक के अनुसार, किसी भी यूनिवर्सिटी में अगर किसी फैकल्टी की नियुक्ति होती है तो पहले उसका रिलीविंग सर्टिफिकेट लिया जाता है। यानी नया नियुक्ति पत्र देते समय पहले उसने कहां नौकरी की है, उस संस्था को छोड़ने का प्रमाणपत्र लिया जाना चाहिए।

    इससे संबंधित फैकल्टी के बारे में नए संस्थान को सही जानकारी मिल पाती है, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने आतंकियों की भर्ती में इन मानकों का पालन नहीं किया और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के चलते बर्खास्त हुए प्रोफेसरों की भर्ती कर ली गई।

    कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल काॅलेज से बर्खास्त डाॅ. शाहीन को अल फलाह यूनिवर्सिटी में नियुक्ति मिली। डाॅ. शाहीन के बारे में सामने आ चुका है कि वह जैश के महिला संगठन जमात-उल-मोमिनात के लिए महिलाओं की भर्ती करती थी और उसका सीधा संपर्क जैश प्रमुख मसूद अजहर की बहन सादिया से था।

    इसके साथ ही कश्मीरी डाॅक्टर निसार को भी जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निर्देश पर श्रीनगर के मेडिकल काॅलेज से राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने पर 2023 में बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद डाॅ. निसार ने भी इसके बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी में नियुक्ति पाई थी।

    कश्मीर में अलगाववादी नेता यासिर अली शाह गिलानी के करीबी रहे डाॅ. निसार के तार भी आतंकियों से जुड़ते पाए गए हैं और जम्मू-कश्मीर व फरीदाबाद पुलिस की छापेमारी के बाद से वह गायब हैं।

    यूनिवर्सिटी ने इसके साथ ही छात्रों को गुमराह करने के लिए वेबसाइट पर गलत जानकारियां प्रचारित कीं। यूनिवर्सिटी यह भी प्रचारित करती रही कि उसके यहां से रणजी ट्राफी और आईपीएल खिलाड़ी निकले हैं, जबकि ऐसा कोई खिलाड़ी इस यूनिवर्सिटी से नहीं निकला।

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