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    Delhi Blast से फरीदाबाद पुलिस ने सबक लिया भी या नहीं! पार्किंग में न कोई पूछताछ होती है और न ही चेकिंग

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 07:06 PM (IST)

    दिल्ली में लाल किले के सामने हुए धमाके के बाद फरीदाबाद के पार्किंग स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल की गई। मेट्रो और रेलवे स्टेशनों के पास स्थित प ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। शहर में पार्किंग स्थल पर खड़े वाहनों को लेकर न तो संचालक गंभीर हैं और न ही पुलिस। वारदात होने के बाद ही कुछ दिन सतर्क रहने का दिखावा किया जाता है। असल बात यह है कि संचालक को तो पार्किंग में खड़े किए जाने वाले वाहन शुल्क से मतलब है, फिर उसमें कुछ भी क्यों न हो।

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    न कोई पूछताछ की जाती है और न ही चेकिंग होती है। सुरक्षा के साथ बड़ा खिलवाड़ हो रहा है। दिल्ली में लाल किले के सामने 10 नवंबर को हुए धमाके से पहले आतंकवादी उमर नबी अट ने अपनी गाड़ी एक पार्किंग में खड़ी करके विस्फोटक तैयार किए थे। इसके लिए उसे तीन घंटे का समय लगा। बिना रोक-टोक कर वह अपना काम करता रहा।

    पार्किंग के ठेकेदार को इसकी भनक तक नहीं लगी। उसने यह भी जांच नहीं की कि कोई आदमी इतनी देर बैठकर क्या कर रहा है। यदि थोड़ी सतर्कता बरती जाती तो धमाके से पहले ही आतंकी पकड़ा जा सकता था। दिल्ली हमला 10/11, अब सुरक्षा का हाल सीरीज के तहत दैनिक जागरण ने पड़ताल की कि शहर के पार्किंग स्थलों पर सुरक्षा का कैसा हाल है।

    मेट्रो व ट्रेन के लिए 14 जगह पार्किंग स्थल, नहीं होती जांच

    जिले में हाईवे के करीब मेट्रो काॅरिडोर व रेलवे लाइन है। मेट्रो के यहां 11 स्टेशन हैं और ओल्ड फरीदाबाद, बाटा और बल्लभगढ़ में ट्रेनों के स्टेशन हैं। इन सभी स्टेशनों के पास पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। रेलवे प्रशासन और डीएमआरसी द्वारा इनके ठेके छोड़े जाते हैं। ठेकेदारों ने सभी स्थल पर अपने कर्मी तैनात किए हुए हैं।

    उन्हें पर्ची पकड़ा दी है, जिस पर केवल वाहन का चार डिजिट का सिर्फ नंबर अंकित किया जाता है। यहां पड़ताल के तहत अपनी बाइक खड़ी कर पर्ची कटवाई। पार्किंग स्थल के कर्मी ने पर्ची पर बाइक का पूरा नंबर भी नहीं लिखा, केवल आखिर के अंक ही लिखे। बाइक की डिग्गी की भी जांच नहीं की गई। यह देखा गया कि पैसे लेकर पर्ची काटने तक ही कर्मी की जिम्मेदारी होती है।

    फिर कोई भी अंजान व्यक्ति कार में कुछ भी छोड़कर जा सकता है। कई बार तो यहां चोरी का वाहन भी खड़ा कर दिया जाता हैं। यानी घटना को अंजाम देने के लिए ऐसे पार्किंग स्थल महफूज बनते जा रहे हैं। ओल्ड फरीदाबाद, बल्लभगढ़ व सेक्टर-20ए पार्किंग स्थल पर पड़ताल के दौरान भी देखा गया कि मौके पर एक या दो कर्मचारी खड़े होते हैं।

    इनके हाथ में पर्ची होती है। कर्मचारियों ने बताया कि इतने अधिक वाहनों की जांच करना मुमकिन नहीं है। वैसे भी यह काम पुलिस का है। क्योंकि कई बार वाहन मालिक जांच के नाम पर झल्ला जाते हैं और लड़ने पर उतारू हो जाते हैं। मौके पर अधिकतर पार्किंग स्थल पर सीसीटीवी कैमरे नहीं दिखाई दिए।

    दरअसल ठेकेदार पार्किंग स्थल में एक या दो कर्मचारी तैनात कर देते हैं, जिनका काम पर्ची काटना है। यह कर्मचारी किसी भी वाहन की चैकिंग नहीं करते। बाकी कसर पुलिस पूरा कर देती है। पुलिस की ओर से सख्त आदेश नहीं दिए जाते और न ही निगरानी की जाती है। यदि पुलिस सतर्क रहे तो सभी वाहनों की जांच की जा सकती है।

    अधिकारियों के गढ़ में भी बुरा हाल

    सोमवार को अधिकारियों के गढ़ यानी सेक्टर-12 स्थित लघु सचिवालय में भी यही हाल देखने को मिला। यहीं पर तहसील व हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण का कार्यालय भी है। लेकिन पार्किंग का उचित प्रबंध नहीं है। लघु सचिवालय परिसर में बेतरतीब तरीके से वाहन खड़े रहते हैं। मुख्य प्रवेश द्वार पर कोई चेकिंग नहीं होती और न ही पूछताछ होती है।

    केवल 10-20 रुपये हाथ में थमा दो, बस फिर कोई पूछने वाला नहीं है। बेशक पार्किंंग स्थल में कोई अपनी कार में कुछ भी लिए बैठा हो। यहीं पर तमाम अधिकारियों की गाड़ियां भी खड़ी होती हैं। लेकिन सुरक्षा के लिए कोई पुलिसकर्मी तैनात नहीं होता।

    सड़क पर गाड़ियां, थाना भी अछूता नहीं

    लघु सचिवालय के चारों ओर सड़क पर ही पार्किंग होती है। यानी दोनों ओर वाहन खड़े रहते हैं। केवल एक वाहन के निकलने की जगह होती है। सेंट्रल थाने के सामने भी वाहन खड़े रहते हैं। कोई भी वाहन कितनी देर खड़ा रहे और इसके अंदर कुछ भी होता रहे, किसी को मतलब नहीं होता।

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    पुलिस आयुक्त की ओर से सभी थाना प्रभारियों को आदेश दिए जा चुके हैं कि वह पार्किंग स्थलों पर भी जाकर जांच करें। सभी ठेकेदारों को भी आदेश दिए गए हैं कि वह कम से कम संदिग्ध वाहनों की तो जांच करें। एक-दो दिन से अधिक समय तक यदि कोई वाहन खड़ा रहे तो इसकी सूचना पुलिस को दें।



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    - यशपाल सिंह, पुलिस प्रवक्ता