नाम, पता और मोबाइल नंबर सब गलत, 2019 का सर्वे बना सिरदर्द; IAS और HCS अफसरों को अब छूट रहे पसीने
साल 2019 में हुए एक सर्वे में नाम, पता और मोबाइल नंबर की गलत जानकारी दर्ज होने से IAS और HCS अधिकारी परेशान हैं। गलत डेटा के कारण अधिकारियों को इसे सुधारने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे यह सर्वे अब उनके लिए सिरदर्द बन गया है।

पिछले छह सालों में केवल 20% संपत्तियों को ही डिजिटल पहचान मिल पाई है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। संपत्ति इकाइयों को डिजिटल पहचान प्रदान करने के लिए छह साल पहले किए गए सर्वेक्षण में हुई त्रुटियों का खामियाजा लोग आज भी भुगत रहे हैं। उस समय राज्य सरकार ने दावा किया था कि भविष्य में लोग घर बैठे ही संपत्ति कर का भुगतान कर सकेंगे और संपत्ति की पूरी जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध होगी।
हालांकि, पिछले छह वर्षों में कुल इकाई आईडी में से केवल 20 प्रतिशत की ही रजिस्ट्री हो पाई है, जबकि शहर भर में 750,000 इकाइयों को सही करने की जरूरत है। एजेंसी द्वारा शहर भर में किया गया सर्वेक्षण इतना त्रुटिपूर्ण था कि लोग अभी भी अपनी आईडी सही कराने के लिए चक्कर काट रहे हैं।
दो आईएएस और चार एचसीएस अधिकारी वर्तमान में इन आईडी को सही करने के लिए काम कर रहे हैं। इनमें नगर निगम आयुक्त धीरेंद्र खड़गटा, अतिरिक्त आयुक्त सलोनी शर्मा और चार संयुक्त आयुक्त शामिल हैं। इसके बावजूद लोगों की समस्याएं अनसुलझी हैं।
2019 में एजेंसी द्वारा किया गया सर्वेक्षण
2019 में यशी एजेंसी ने शहर भर में संपत्ति आईडी को लेकर एक सर्वेक्षण किया था। इस सर्वेक्षण में, एजेंसी ने विभिन्न श्रेणियों में संपत्ति इकाइयों की कुल संख्या 7,50,000 होने का अनुमान लगाया। लगभग एक साल के सर्वेक्षण के बाद, पूरी रिपोर्ट नगर निगम को सौंपी गई ताकि निगम अपने पोर्टल पर पूरा रिकॉर्ड अपलोड कर सके। इसके बाद, जब निगम ने निवासियों को संपत्ति कर के बिल भेजे, तो उनमें कई त्रुटियाँ पाई गईं।
मेरी संपत्ति आईडी में मोबाइल नंबर और नाम गलत था। इसे ठीक करवाने के लिए मुझे नगर निगम मुख्यालय के कई चक्कर लगाने पड़े। अब जाकर मेरी आईडी सही हुई है।
-सोमवीर, सेक्टर 58
निगम द्वारा एक संपत्ति कर बिल भेजा गया था। नाम और पता गलत थे। जब हमने जाँच की, तो हमें पता चला कि संपत्ति आईडी में गलत पता दर्ज किया गया था। अब हमने इसे ठीक करवाने के लिए निगम में आवेदन किया है।
-दुष्यंत, जवाहर कॉलोनी
पहचान पत्रों में सुधार का कार्य निरंतर जारी है। त्रुटियों को सुधारने के साथ-साथ नई पहचान पत्र भी बनाए जा रहे हैं। परिणामस्वरूप, संपत्ति इकाइयों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। प्रत्येक ZTO से पहचान पत्रों में सुधार के संबंध में प्रतिदिन रिपोर्ट ली जा रही है।
-धीरेंद्र खड़गटा, नगर निगम आयुक्त

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