फरीदाबाद के बाढ़ प्रभावित गांवों में बीमारियों का प्रकोप, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर
फरीदाबाद में यमुना के जलस्तर में कमी के बावजूद बाढ़ प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य संकट गहरा रहा है। बुखार खांसी और त्वचा संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग राहत कार्यों में जुटे हैं 40 टीमें सक्रिय हैं। प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं और आश्रय गृहों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। यमुना का जलस्तर भले ही कम हो रहा हो, लेकिन आसपास के गांवों में बाढ़ का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। बुखार, खांसी, जुकाम, गले और त्वचा संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं।
बाढ़ को देखते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने राहत एवं बचाव कार्य और तेज कर दिया है। उपायुक्त विक्रम सिंह के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की 40 टीमें सक्रिय हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जयंत आहूजा के निर्देश पर क्षेत्र में व्यापक स्वास्थ्य व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, अब तक कई गांव सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। बाढ़ प्रभावित संवेदनशील इलाकों में विभाग द्वारा स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए गए हैं। जहां स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार काम कर रही हैं।
इनमें खासतौर पर बसंतपुर, किड़ावली, लालपुर, महावतपुर, राजपुर कलां, तिलोरी खादर, अमीपुर, चिरसी, मंझावली, चांदपुर, मोठूका, अरुआ, छांयसा, मोहना, ददसिया, जसाना और कंवारा गांव शामिल हैं।
इन गांवों में जलभराव और बीमारियों की आशंका को देखते हुए प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाया जा रहा है।
स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जा रहे हैं
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी 24 घंटे आश्रय गृहों की निगरानी कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की चिकित्सा टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर चिकित्सा जाँच, दवाइयां वितरित करने और स्वच्छता संबंधी सलाह दे रही हैं।
अरुआ और मोठका गांवों में स्थापित आश्रय गृहों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रशासन ने राजपुर कलां के सामुदायिक भवन, ददसिया, जसाना, कंवारा गांवों के विवाह भवनों को सुरक्षित गृह के रूप में चिन्हित किया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें इन स्थानों पर नियमित सेवाएं भी प्रदान कर रही हैं।
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राम भगत स्वयं प्रभावित गाँवों में शिविरों का निरीक्षण कर रहे हैं। उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश श्योकंद गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में कार्य योजना के तहत काम कर रहे हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सके।
डीसी विक्रम सिंह ने अपील की है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के नागरिक किसी भी स्वास्थ्य समस्या की स्थिति में घबराएं नहीं। नज़दीकी चिकित्सा दल, आशा कार्यकर्ता या पंचायत प्रतिनिधियों से संपर्क करें और तुरंत सहायता प्राप्त करें।
इन बातों का ध्यान रखें
- कभी-कभी लापरवाही के कारण छोटी सी समस्या गंभीर रूप ले सकती है।
- किसी भी प्रकार का संक्रमण होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लें।
- बच्चों को हल्का भोजन दें।
- बच्चों को बाहर का बासी या तला हुआ खाना न खिलाएं।
- हमेशा उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पिलाएं।
- भीगने के बाद बच्चों को तुरंत साफ़ और सूखे कपड़े पहनाएं।
- घर और आस-पास साफ़-सफ़ाई रखें, ताकि मच्छरों और गंदगी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सके।
- माता-पिता बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार दें और किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर घरेलू उपचार में समय बर्बाद न करें।
- समय पर डॉक्टर से जांच और उचित उपचार बच्चों को बारिश से होने वाली बीमारियों से बचा सकता है।
बारिश का मौसम जहां गर्मी से राहत देता है, वहीं बच्चों के लिए कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है। इस समय बच्चों में खांसी, जुकाम, बुखार, दस्त और पीलिया जैसी समस्याएं तेज़ी से फैल रही हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों में स्थिति गंभीर है।
नमी और गंदगी के कारण वायरस और बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है।
इन दिनों बच्चे खांसी, जुकाम और बुखार की चपेट में आ रहे हैं। अगर बच्चों में लगातार उल्टी-दस्त, आँखों और त्वचा का पीला पड़ना, कमज़ोरी और भूख न लगना जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
-डॉ. तौसीफ़, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, एकॉर्ड अस्पताल, ग्रेटर फरीदाबाद।
बाढ़ प्रभावित गांवों की बात करें या अन्य इलाकों की, लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की ज़रूरत है। इन दिनों बुखार, गले और त्वचा के संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। सिविल अस्पताल में भी बड़ी संख्या में मरीज़ आ रहे हैं। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध हैं। नहर पार के गांव में अगर किसी को भी स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है, तो पल्ला प्राथमिक केंद्र में आकर इलाज करवाएँ। किसी भी स्वास्थ्य जाँच शिविर में भी इलाज करवा सकते हैं।
-डॉ. एमपी सिंह, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।