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    फरीदाबाद के बाढ़ प्रभावित गांव के लोग पानी से वंचित, विभिन्न बीमारियों से पीड़ित

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 06:23 PM (IST)

    फरीदाबाद में यमुना के बाढ़ग्रस्त गांवों में पानी दूषित पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 150 नमूनों में क्लोरीनीकरण नहीं मिला जिससे पेट और त्वचा संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं जहां बुखार एलर्जी और पेट दर्द के मरीज आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक कर रहा है ।

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    फरीदाबाद में यमुना के बाढ़ग्रस्त गांवों में पानी दूषित पाया गया है। फाइल फोटो

    अनिल बेताब, फरीदाबाद। यमुना के बाढ़ प्रभावित गाँवों में पीने योग्य पानी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक सप्ताह में लिए गए सभी 150 नमूनों की रिपोर्ट फेल हो गई है। जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा गाँवों में लिए गए नमूनों की रिपोर्ट से पुष्टि होती है कि यहाँ बिना क्लोरीनीकरण के पानी की आपूर्ति की जा रही है।

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    स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना ​​है कि बिना क्लोरीनीकरण वाले पानी के सेवन से पेट संबंधी बीमारियाँ होने का खतरा रहता है। इसी तरह, इस पानी से हाथ-मुँह धोने से त्वचा संबंधी एलर्जी होने का खतरा रहता है।

    जिला स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड की बात करें तो कौराली, अरुआ, चांदपुर, मंझावली, साहूपुरा, मोहना, छायंसा, शाहजहाँपुर, नंगला और मोठूका में स्वास्थ्य कर्मियों ने पानी के नमूने लिए थे। जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपूर्ति किए गए पानी में क्लोरीनीकरण नहीं था।

    स्वास्थ्य विभाग द्वारा जन स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नमूने लेने की कार्रवाई के साथ-साथ संवेदनशील गाँवों में स्वास्थ्य जाँच शिविर लगाए गए हैं। कौराली स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले गाँवों में लगाए गए शिविरों में छह दिनों में 450 से ज़्यादा मरीज़ आ चुके हैं। इनमें बुखार, त्वचा की एलर्जी और पेट संबंधी बीमारियों के मरीज़ ज़्यादा हैं।

    लक्षणों पर ध्यान दें

    • इन दिनों फैल रही बीमारियों के लक्षणों पर ध्यान दें।
    • तेज बुखार, दस्त, सिरदर्द, कमज़ोरी, त्वचा की एलर्जी और पेट दर्द इन दिनों फैल रही मुख्य बीमारियाँ हैं।
    • अगर समय पर इलाज न मिले, तो बीमारी गंभीर रूप ले सकती है।

    दूषित पानी से फैलती हैं पेट संबंधी बीमारियां

    जिन इलाकों में बाढ़ आती है, वहाँ बाद में बाढ़ का पानी निकल जाता है, लेकिन नमी के कारण संक्रमण का ख़तरा बना रहता है। जहाँ पानी जमा होता है, वहाँ एनोफ़िलीज़ और एडीज़ के लार्वा भी पनप सकते हैं। ऐसे में डेंगू और मलेरिया का ख़तरा बना रहता है।

    एकॉर्ड अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राम चंद्र सोनी ने बताया कि दूषित पानी से पेट संबंधी बीमारियाँ फैलती हैं। पानी में क्लोरीन होने पर बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। पानी की शुद्धता पर विशेष ध्यान देना ज़रूरी है। अशुद्ध पानी से डायरिया भी हो सकता है। सावधानी बरतने से ही बचाव संभव है।

    यमुना के आसपास के गाँवों में हमारी टीमें सक्रिय हैं। जिन गाँवों से पानी के नमूने फेल हो रहे हैं, वहाँ लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही, जन स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजकर शुद्ध पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा जा रहा है।

    -डॉ. एमपी सिंह, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी।