फरीदाबाद ईएसआई अस्पताल में इलाज के लिए भटकते मरीज, व्यवस्था पर सवाल
फरीदाबाद के ईएसआई अस्पताल और डिस्पेंसरियों में ईएसआई कार्ड धारकों को सही इलाज नहीं मिल रहा है। मरीजों को इलाज और दवाओं के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है क्योंकि अस्पताल और डिस्पेंसरी में तालमेल की कमी है। वेतन से पैसे कटने के बाद भी मरीजों को अच्छी सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं जिससे श्रमिक संघ और मरीज नाराज़ हैं। अस्पताल प्रशासन बेहतर सेवाएं देने का दावा कर रहा है।

अनिल बेताब, फरीदाबाद। ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल और डिस्पेंसरियों में ईएसआई कार्ड धारकों को बेहतर सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। कई बार मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। दवाओं के मामले में भी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
अगर मरीज पहले तीन नंबर ईएसआई अस्पताल जाता है, तो उसे डिस्पेंसरी जाने को कहा जाता है। अगर वह डिस्पेंसरी जाता है, तो उसे अस्पताल जाने को कहा जाता है। अस्पताल और डिस्पेंसरी के बीच तालमेल का अभाव है। मंगलवार को इस बिगड़े हालात के चलते कई मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
जागरण की पड़ताल में सामने आया कि इलाज के नाम पर वेतन से कटी रकम के बाद भी मरीज संतोषजनक सेवाओं से वंचित हैं। ईएसआई कार्ड धारकों की उपेक्षा पर श्रमिक संघ भी नाराज हैं। मरीजों और परिजनों ने भी रोष जताया।
दवा न मिलने पर जताया रोष
एसीएम नगर परशु राम बुखार होने पर सबसे पहले तीन नंबर ईएसआई अस्पताल गए। वहां से उन्हें डिस्पेंसरी जाकर दवा लेने को कहा गया। इसके बाद वे दवा लेने डिस्पेंसरी आए। परशु राम ने बताया कि दवा के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। बड़खल गाँव निवासी शकील के पैर में चोट लग गई थी। वे ड्रेसिंग के लिए ईएसआई अस्पताल गए थे।
वहाँ से उन्हें डिस्पेंसरी भेज दिया गया। वे अपने परिवार के साथ फिर डिस्पेंसरी गए। इसी तरह, मुकेश कुमारी एलर्जी के लिए ईएसआई डिस्पेंसरी आई थीं। मुकेश कुमारी ने बताया कि अक्सर दवाओं की कमी रहती है। ईएसआई अस्पताल में सभी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
छह लाख से ज़्यादा ईएसआई कार्ड धारक
फरीदाबाद और पलवल में छह लाख से ज़्यादा ईएसआई कार्ड धारक हैं। इनके इलाज के लिए ज़िले में 11 डिस्पेंसरी और दो ईएसआई अस्पताल हैं। एक अस्पताल सेक्टर आठ और दूसरा तीन नंबर में है।
प्रत्येक कार्डधारक के वेतन का 0.75 प्रतिशत और कंपनी प्रबंधन की ओर से 3.25 प्रतिशत धनराशि हर महीने ईएसआई निगम के खाते में जमा की जाती है। ऐसे में इलाज के नाम पर चार प्रतिशत राशि जमा होती है।
दवाओं की कहीं कोई कमी नहीं है। हमारा प्रयास है कि डिस्पेंसरी और अस्पताल में हर मरीज को बेहतर सेवाएं मिलें। सिविल सर्जन को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं कि किसी भी मरीज को कोई परेशानी न हो। अस्पताल और डिस्पेंसरी प्रबंधन के बीच समन्वय भी स्थापित है। हम लगातार सुधार कर रहे हैं।
-डॉ. अनिल मलिक, निदेशक, ईएसआई स्वास्थ्य सेवा विभाग हरियाणा।
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