Delhi Blast: मसूद अजहर के वीडियो दिखाकर बच्चों को कट्टरपंथी बनाता था मुजम्मिल, अल-फलाह के पास चलाता था मदरसा
अल फलाह यूनिवर्सिटी के पास एक मदरसे की आड़ में आतंक की नर्सरी चल रही थी। यहां बच्चों को कट्टरपंथी शिक्षा दी जाती थी और हिंदुओं के खिलाफ भड़काया जाता था। पुलिस को शक है कि मदरसे के लिए टेरर फंडिंग का इस्तेमाल किया गया था। मदरसे का संचालन डाॅ. मुजम्मिल नामक एक व्यक्ति कर रहा था, जो बच्चों को जैश सरगना मसूद अजहर के वीडियो भी दिखाता था। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

मदरसे की आड़ में आतंक की नर्सरी तैयार कर रहा था डाॅ. मुजम्मिल।
प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। अल-फलाह यूनिवर्सिटी के सफेदपोश आतंकी पूरी तैयारी के साथ बड़ी साजिश के तहत अपने मिशन में जुटे हुए थे। सभी अलग-अलग टारगेट पर काम कर रहे थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार एक आतंकी डाॅ. मुजम्मिल यूनिवर्सिटी से करीब आधा किलोमीटर दूर खेत में काटी गई अवैध काॅलोनी में बने हुए मदरसे की आड़ में आतंक की नर्सरी चला रहा था।
इस काॅलोनी में 200 वर्गगज का प्लाट मस्जिद के इमाम इश्तियाक के नाम था, जो उसने तीन साल पहले खरीदा था। करीब पांच माह पहले इस प्लाट की 11 फुट खोदाई कर बेसमेंट तैयार कराया गया था। पांच पिलर पर टिके बेसमेंट के अंदर जाने के लिए मेन रास्ते से सीढ़ियां बनाई गई हैं।

मदरसा गोपनीय तरीके से बनाया गया था ताकि किसी की नजर में न आ सके। चूंकि यहां आने वाले बच्चे थे, इसलिए कम उम्र का फायदा उठाकर उन्हें मुस्लिम कट्टरता और हिंदुओं के खिलाफ भड़काने के बारे में बताया जाता था। पता यह भी चला है कि जैश सरगना मसूद अजहर के वीडियो भी बच्चों को दिखाए जाते थे।
अब पुलिस व जांच एजेंसियों इस बेसमेंट की जांच में जुट गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार अब यह पता किया जा रहा है कि यहां तालीम लेने वाले बच्चे फिलहाल क्या कर रहे हैं और कौन-कौन हैं। ऐसा तो नहीं कि वह कहीं बाहर चले गए हो।
अब यूनिवर्सिटी परिसर में मस्जिद के इमाम पर शक लगातार बढ़ता जा रहा है कि बेहद कम वेतन पाने वाला इस तरह प्लाट लेकर निर्माण कैसे कर सकता है। इमाम का एक मकान फतेहपुर तगा में भी है और अब यह 200 वर्गगज के प्लाट में बनी बेसमेंट सामने आई है। पूरा शक है कि टेरर फंडिंग की बदौलत बेसमेंट बनी।

अभी और होना था निर्माण
बेसमेंट काे देखने से लगता है कि अभी काम पूरा नहीं हुआ था। बेसमेंट के ऊपर भी निर्माण किया जाना था क्योंकि पिलर के लिए सरिया छोड़े गए हैं। इसकी छत पर 500 लीटर पानी क्षमता वाली टंकी भी रखी है जो सीधे बोरवेल से जुड़ी हुई है। पुलिस सूत्रों से पता चला है कि यहां बोरवेल के लिए 35 हजार रुपये मुजम्मिल ने ही इमाम को दिए थे।
दो घंटे के लिए आता था मुजम्मिल
आतंकी मुजम्मिल ने मदरसे तक जाने के लिए दो साइन बोर्ड भी लगवाए हुए हैं। एक धौज-फतेहपुर तगा सड़क पर तो दूसरा कुछ अंदर जाकर खेत के मुहाने पर है। गांव से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मुजम्मिल यहां प्रतिदिन शाम को दो घंटे के लिए आता था।
उसने बच्चों का जुगाड़ करने के लिए पहले कई घरों में संपर्क किया और विश्वास में लिया था कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जाएगी। बच्चों की उम्र पांच साल से 15 साल के बीच थी। बेसमेंट में पांच पंखे लगे हुए हैं और चटाई व दरी भी रखी हुई मिली।
धौज गांव के रकबे में काटी गई इस काॅलोनी तक पहुंचने का रास्ता रेतीला है। पुलिस सूत्रों के अनुसार मदरसे में कुछ अजनबी भी आते-जाते देखे गए हैं। पूरी आशंका है कि यहां आतंकियों की मीटिंग भी होती रही थी।

काॅलोनी में बने 30 मकान
यह काॅलोनी धौज गांव के रहने वाले ने काटी थी। अवैध काॅलोनी होने के बावजूद यहां काफी निर्माण हो गए हैं और कुछ हो रहे हैं। करीब 30 मकान बने हुए हैं। ग्रामीणों के अनुसार करीब 20 बच्चे यहां आते थे जिन्हें तालीम के साथ-साथ अक्सर खाने-पीने का सामान भी दिया जाता था।
ताकि अधिक से अधिक बच्चे रोज आ सकें। इन बच्चों को यह भी संदेश दिया जाता था कि वह अपने साथियों को भी यहां लाएं। मुजम्मिल आसपास के लोगों से खूब संपर्क करता था।
लोग बोले, हमें क्या पता वह आतंकी था
आसपास रह रहे लोगों ने बताया कि उन्हें क्या पता यहां आतंकी आ रहा था। मुजम्मिल को बड़े प्यार से दुआ सलाम करता था। बच्चों को खूब प्रेम करता था। इसलिए बच्चे भी उसके साथ घुलमिल गए थे और यहां प्रतिदिन आते थे। यहां तो अक्सर नमाज भी पढ़ी जाती थी।

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