बंधवाड़ी लैंडफिल: अरावली की गोद में फैल रहा जहरीला पानी, एनजीटी के आदेश की उड़ रही धज्जियां
गुरुग्राम के बंधवाड़ी लैंडफिल साइट से जहरीला पानी अरावली की पहाड़ियों से बहकर आसपास के इलाकों में फैल रहा है। स्थानीय निवासियों ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है, क्योंकि एनजीटी के आदेशों के बावजूद स्थिति गंभीर बनी हुई है।

बंधवाड़ी लैंडफिल
संवाद सहयोगी, नया गुरुग्राम। गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड स्थित बंधवाड़ी लैंडफिल साइट धीरे-धीरे एक गंभीर पर्यावरणीय और मानवीय संकट का रूप ले चुकी है। करोड़ों रुपये खर्च होने और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के कई आदेशों के बावजूद, कचरे के पहाड़ों से रिसने वाला जहरीला लीचेट (दूषित पानी) अब अरावली की ढलानों से बहकर गांव बंधवाड़ी और आसपास के रिहायशी इलाकों तक पहुंच रहा है।
स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह न सिर्फ एनजीटी के आदेशों की खुली अवहेलना है, बल्कि सरकारी तंत्र की गंभीर विफलता का प्रतीक भी है। हालात से हताश ग्रामीणों ने अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर केंद्र सरकार से सीधा हस्तक्षेप करने की मांग की है।
बंधवाड़ी गांव के मनोज बंधवाड़ी, संजय रावत और संजय सिंह सहित कई निवासियों ने नगर निगम गुरुग्राम पर लापरवाही और झूठे दावे करने का आरोप लगाया है। पर्यावरणविद वैशाली राणा के अनुसार निगम ने एनजीटी में दावा किया था कि लैंडफिल के चारों ओर गारलैंड ड्रेन (सुरक्षात्मक नाला) बनाया गया है, ताकि लीचेट का प्रवाह रोका जा सके लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी 17 सितंबर 2025 की रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि जमीन पर ऐसा कोई ड्रेन मौजूद ही नहीं है।
इस झूठे दावे के चलते एक साल से अधिक समय तक ज़हरीला पानी बिना किसी अवरोध के अरावली वन क्षेत्र में फैलता रहा, जिससे न सिर्फ जल स्रोत बल्कि मिट्टी भी बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। अरावली भूमि पर कब्जे और वन्यजीव संकट के आरोप निगम पर यह भी आरोप है कि उसने लैंडफिल के लिए निर्धारित भूमि से करीब 20 एकड़ अतिरिक्त अरावली वन भूमि पर कब्जा कर रखा है।
ग्रामीणों ने अक्टूबर 2025 के वीडियो साक्ष्य एनजीटी और वन विभाग को भेजे हैं, जिनमें साफ दिखता है कि पहाड़ी ढलान से लीचेट गांव की ओर बह रहा है। यह दूषित पानी न केवल भूजल को ज़हरीला बना रहा है बल्कि वन्यजीवों की जान के लिए भी खतरा बन गया है। पिछले वर्ष लैंडफिल के निकट ट्यूमर से ग्रसित एक तेंदुए का शव मिला था और कई बार वन्यजीवों को कचरा खाते देखा गया है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस जहरीले रिसाव से अब 50 हजार से अधिक लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है।
मानवाधिकार आयोग की चेतावनी के बाद भी कार्रवाई शून्य
यह मामला हरियाणा मानवाधिकार आयोग में भी विचाराधीन है। आयोग के अध्यक्ष दीप भाटिया ने मई 2023 में साइट का दौरा कर इसे गंभीर मानवीय संकट बताया था। आयोग ने मुख्य सचिव हरियाणा से रिपोर्ट मांगी थी लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों ने केंद्र सरकार के समक्ष छह प्रमुख मांगें रखी हैं
- बंधवाड़ी लैंडफिल से लीचेट का तत्काल निर्वहन रोका जाए।
- एनजीटी आदेशों की अवहेलना पर निगम अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाए।
- अरावली और पांच प्रभावित गांवों में दूषित मिट्टी व भूजल की सुधार योजना शुरू की जाए।
- वन्यजीव विभाग से नगर निगम की एनओसी तत्काल रद कराई जाए।
- अतिक्रमित अरावली भूमि को वन विभाग के हवाले वापस किया जाए।
- मुख्य सचिव को आगामी 25 नवंबर 2025 की सुनवाई से पहले मानवाधिकार आयोग में रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया जाए।
बंधवाड़ी से निकलने वाले लीचेट को टैंकरों के माध्यम से एसटीपी भेजा जा रहा है। इसके लिए निजी एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई है। स्थायी समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं।
प्रदीप दहिया, आयुक्त, नगर निगम गुरुग्राम

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