यूईआर-2 से जुड़ते ही अटका द्वारका एक्सप्रेसवे टनल पर ट्रैफिक, एनएचएआई की योजना सवालों के घेरे में
दिल्ली में यूईआर-2 से जुड़ते ही द्वारका एक्सप्रेसवे टनल पर ट्रैफिक जाम हो गया है, जिससे एनएचएआई की योजना सवालों के घेरे में आ गई है। टनल में ट्रैफिक की समस्या के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है और एनएचएआई की प्लानिंग पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्होंने इस स्थिति का पहले से अनुमान लगाया था।

द्वारका एक्सप्रेसवे टनल की प्लानिंग में भारी कमी उजागर होने लगी है। फाइल फोटो
आदित्य राज, गुरुग्राम। द्वारका एक्सप्रेसवे टनल की प्लानिंग में भारी कमी उजागर होने लगी है। टनल का डिजाइन प्रतिदिन औसतन अधिक से अधिक ढाई लाख वाहनों के हिसाब से तैयार किया गया है जबकि चालू किए जाने के छह महीने के भीतर ही गुजरने वाले वाहनों की संख्या एक लाख 84 हजार से अधिक पहुंच चुकी है। ऐेसे में आशंका है कि एक साल के भीतर ही निर्धारित क्षमता के मुताबिक वाहनों की संख्या पहुंच जाएगी। इस स्थिति से एनएचएआइ की प्लानिंग पर सवाल खड़े होने लगे हैं, क्योंकि किसी भी प्रोजेक्ट की प्लानिंग अगले 30 साल तक को ध्यान में रखकर की जाती है।
खेड़कीदौला टोल प्लाजा के नजदीक से लेकर महिपालपुर में शिवमूर्ति के सामने तक द्वारका एक्सप्रेसवे है। एक्सप्रेसवे की सीधी कनेक्टिविटी एयरपोर्ट से करने के लिए टनल का निर्माण किया गया है। यह टनल यशोभूमि के नजदीक से लेकर एयरपोर्ट के नजदीक तक है।
द्वारका एक्सप्रेसवे से यूईआर-दो को जोड़ दिया गया है ताकि यूईआर-दो की कनेक्टिविटी भी एयरपोर्ट से बेहतर हो जाए। यूईआर-दो को द्वारका एक्सप्रेसवे से जाेड़ने के बाद टनल में वाहनों का दबाव दिन तेजी से बढ़ता जा रहा है। 15 अक्टूबर को एक लाख 40 हजार से अधिक वाहन निकले, वहीं 16 अक्टूबर को यह संख्या एक लाख 60 हजार से अधिक पहुंच गई।
17 अक्टूबर को 1 लाख 84 हजार से अधिक वाहन निकले जबकि टनल का डिजाइन प्रतिदिन औसतन ढाई लाख वाहनों के हिसाब से है। जिस तरह से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, वैसे में अगले एक साल के भीतर ही क्षमता से अधिक वाहनों की संख्या पहुंचने की आशंका है। इस स्थिति से प्लानिंग के ऊपर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं।
सवाल यह है कि जब एनएचएआई के अधिकारियों को पता था कि यूईआर-दो को द्वारका एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा, फिर टनल के डिजाइन को बदला क्यों नहीं गया? टनल से अक्सर गुजरने वाले सेक्टर-40 निवासी इंजीनियर हरदीप सिंह कहते हैं कि पीक आवर के दौरान अभी से ही टनल में वाहनों का भारी दबाव हो जाता है। यह हाल तब है जब काफी लोगों को यह पता ही नहीं है कि यूईआर-दो आगे द्वारका एक्सप्रेसवे से जुड़ा है।
यूईआर-2 के निर्माण के दौरान ही टनल का भी निर्माण चल रहा था। ऐसे में डिजाइन में कमी होना दूरगामी सोच का अभाव दर्शाता है। हालात यह है कि यदि टनल में एक भी वाहन कहीं बंद हो जाए तो फिर सेकंड में लंबा जाम लग जाएगा।
इस बारे में एनएचएआई के अधिकारी का कहना है कि टनल में वाहनों का दबाव न बढ़े इसके लिए जल्द ही मंथन किया जाएगा। यूईआर-दो से कई हाईवे एवं एक्सप्रेसवे जोड़े गए हैं। इस वजह से कई इलाकों से एयरपोर्ट पहुंचना आसान हो गया है। टनल में वाहनों का दबाव न बढ़े, इसके लिए जल्द ही रास्ता निकाला जाएगा।
"एनएचएआई कोई भी प्रोजेक्ट अगले 30 साल को ध्यान में रखकर तैयार करता है। द्वारका एक्सप्रेसवे टनल की प्लानिंग में भारी कमी है। एक साल के भीतर ही प्लानिंग फेल होने की आशंका गहराना दर्शाता है कि अधिकारियों में अनुभव की कमी है। जिसने प्लानिंग की, डिजाइन तैयार किया एवं डीपीआर बनाई, उन सभी से पूछताछ होनी चाहिए। दिक्कत यह है कि कार्रवाई नहीं हाे रही है, इसलिए लापरवाही पर लापरवाही बरती जा रही है।"
-जेएस सुहाग, पूर्व तकनीकी सलाहकार, एनएचएआई
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