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    साइबर सिटी में कम होगा ट्रैफिक का दबाव, लाखों शहरवासियों को मिलने जा रहा फायदा 

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 11:18 AM (IST)

    गुरुग्राम के लाखों निवासियों के लिए खुशखबरी है! साइबर सिटी में ट्रैफिक की समस्या जल्द ही कम होने वाली है। एक नई परियोजना शुरू की जा रही है जिससे शहर के प्रमुख चौराहों पर लगने वाले जाम से मुक्ति मिलेगी। इस परियोजना से लोगों को समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद मिलेगी और शहर के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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    गौरव सिंगला, गुरुग्राम। गुरुग्राम में मेट्रो के विस्तार के साथ अब मेट्रो लाइन से जुड़े क्षेत्रों में ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) नीति से शहरवासियों को महत्वपूर्ण लाभ मिलने जा रहे हैं। इस नीति के तहत नए मेट्रो स्टेशनों के रूट्स को नोटिफाई करने की तैयारी जारी है। कई मेट्रो स्टेशन पहले ही नोटिफाई किए जा चुके हैं और शेष को भी जल्द नोटिफाई किया जाएगा।

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    इसी क्रम में, टीओडी पॉलिसी क्या है, उसका मुख्य उद्देश्य, शहरी नियोजन (अर्बन प्लानिंग) में इसका योगदान, आम नागरिकों के लाभ, पर्यावरण संरक्षण में भूमिका, भवन निर्माण में अतिरिक्त मंजिलों की स्वीकृति, तथा मेट्रो स्टेशनों से कनेक्टिविटी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर दैनिक जागरण के सहयोगी गौरव सिंगला ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग (मुख्यालय) की डीटीपी दिव्या डोगरा से विशेष बातचीत की। बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं:

    ट्रांसिट ओरिएंटड डेवलपमेंट (टीओडी) पालिसी क्या है और इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?

    टीओडी एक ऐसी शहरी विकास नीति है जिसमें आवासीय, व्यावसायिक और संस्थागत क्षेत्रों का विकास पब्लिक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क जैसे मेट्रो या रैपिड रेल के आसपास केंद्रित होता है। इसका उद्देश्य है लोगों को निजी वाहनों पर निर्भरता कम करने के लिए प्रेरित करना, ट्रैफिक जाम घटाना और पर्यावरण के अनुकूल शहर विकसित करना।

    हरियाणा में किन क्षेत्रों को टीओडी पालिसी के अंतर्गत शामिल किया गया है?

    हरियाणा सरकार ने मुख्य रूप से गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और बहादुरगढ़ जैसे शहरी इलाकों को टीओडी पालिसी में शामिल किया है। इन क्षेत्रों में दिल्ली मेट्रो, रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) और प्रस्तावित मेट्रो कारिडोर के दोनों ओर 800 मीटर दूरी तक टीओडी जोन बनाए गए हैं।

    टीओडी नीति से डेवलपर्स और निवेशकों को क्या लाभ मिलेगा?

    डेवलपर्स को उच्च फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) यानी ज्यादा निर्माण घनत्व की अनुमति दी गई है, जिससे वे एक ही भूमि पर अधिक यूनिट बना सकते हैं। इसके अलावा, टीओडी जोन में प्रोजेक्ट अप्रूवल प्रक्रिया सरल और तेज की गई है। इससे निवेश आकर्षित होगा और मिश्रित भूमि उपयोग (मिक्स लैंड यूज) वाले प्रोजेक्ट बढ़ेंगे।

    इस नीति से आम नागरिक को क्या लाभ होगा?

    आम नागरिक को सबसे बड़ा फायदा बेहतर कनेक्टिविटी और सुविधाजनक जीवनशैली के रूप में मिलेगा। मेट्रो स्टेशन या आरआरटीएस कारिडोर के पास रहना मतलब रोजाना की यात्रा में समय और खर्च दोनों की बचत, पैदल चलने और साइकिल चलाने जैसी ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा, काम, स्कूल, बाजार और मनोरंजन स्थल सब पास में।

    टीओडी पॉलिसी से पर्यावरण को क्या फायदा है?

    टीओडी का लक्ष्य है निजी वाहनों का प्रयोग घटाना, जिससे ईंधन की खपत और प्रदूषण दोनों कम होते हैं। इसके अलावा, ग्रीन स्पेस और पैदल मार्गों की योजना अनिवार्य की गई है, जो शहरी हीट आइलैंड इफेक्ट को घटाने में मदद करती है।

    टीओडी पॉलिसी किस तरह शहरी नियोजन (अर्बन प्लानिंग) की दिशा बदल रही है?

    पहले विकास सड़क-आधारित था, अब ट्रांजिट-केंद्रित विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह कम्पैक्ट सिटी का माडल है, यानी फैले हुए शहर की जगह सघन, योजनाबद्ध और बहु-उपयोगी क्षेत्र। इससे वर्टिकल ग्रोथ, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, और क्लस्टर डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा।

    मेट्रो लाइन या रैपिड रेल कॉरिडोर के कितने मीटर दायरे में कितनी एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) की अनुमति टीओडी पालिसी के तहत दी गई है?

    हरियाणा की टीओडी पालिसी के अनुसार, मेट्रो या रैपिड रेल ट्रांजिट लाइन के आसपास विकास को दो जोन में बांटा गया है।

    इंटेंस टीओडी जोन (0–500 मीटर तक): इस दायरे में आने वाले क्षेत्र को सबसे ऊंचा एफएआर दिया गया है, इसमें साढ़े तीन तक (यानी जमीन के क्षेत्रफल से साढ़े तीन गुना तक निर्माण की अनुमति)।
    ट्रांजीशन जोन (500–800 मीटर तक): इस जोन में एफएआर 2.5 तक की अनुमति दी गई है। इसमें ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में अतिरिक्त फ्लैटो का निर्माण और कमर्शियल प्रोजेक्ट में अधिक यूनिटों का विकास शामिल है।