गुरुग्राम के बुढ़ेडा के ग्रामीणों ने मांगा जमीन का एक समान कलेक्टर रेट, सीएम विंडो पर लगाई गुहार
मेवात के बुढे़डा गांव के निवासियों ने जमीन के कलेक्टर रेट में असमानता के खिलाफ सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कराई है। ग्रामीणों ने सरकार से सभी जमीनों के लिए एक समान दर निर्धारित करने का आग्रह किया है, ताकि उन्हें हो रही परेशानी दूर हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार उनकी मांग पर अवश्य ध्यान देगी।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
महावीर यादव, बादशाहपुर। बुढे़डा के ग्रामीणों ने नजफगढ़ झील से सटे क्षेत्र और गांव की अन्य जमीनों के कलेक्टर रेट में भारी असमानता को लेकर विरोध तेज कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि एक ही गांव में दो तरह के कलेक्टर रेट होना किसानों के साथ अन्याय है। इसका सीधा नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है। इसी मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कर न्याय की मांग की है।
नजफगढ़ झील के आसपास कई गांव की हजारों एकड़ जमीन डूब क्षेत्र में है। एक एनजीओ ने इस क्षेत्र को वेटलैंड घोषित करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है। उस पर 26 नवंबर को सुनवाई है। इस क्षेत्र के किसानों की निगाह अब 26 नवंबर को आने वाले फैसले पर भी टिकी है।
ग्रामीण बताते हैं कि नजफगढ़ झील के आसपास की जमीन का कलेक्टर रेट फिलहाल लगभग 24 लाख रुपये प्रति एकड़ है। गांव के दूसरे हिस्से की जमीन का रेट 1.58 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तय है। इतनी बड़ी असमानता के कारण किसानों को न तो मुआवजा उचित मिलता है। न ही वे अपनी जमीन का वास्तविक उपयोग कर पा रहे हैं।
नजफगढ़ झील के आसपास लगातार जलभराव होने से किसानों की स्थिति और भी दयनीय हो गई है। हजारों एकड़ जमीन साल के अधिकांश समय पानी से भरी रहती है। जिससे फसल बोना लगभग असंभव हो जाता है। किसान इसे पर्यावरणीय समस्या और प्रशासनिक उपेक्षा दोनों का परिणाम मानते हैं। इस बार ज्यादा वर्षा होने के कारण जल भराव ज्यादा हो गया है। जल भराव के कारण इस बार किस सरसों और गेहूं की बिजाई भी नहीं कर पाए।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस पूरे क्षेत्र को वेटलैंड घोषित करने की याचिका भी लंबित है। जिसकी अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह क्षेत्र वेटलैंड घोषित होता है। तो उचित मुआवजा नहीं मिलने पर उनकी कठिनाइयां और बढ़ सकती हैं। ऐसे में समान कलेक्टर रेट की मांग और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
हमारी जमीन तो सालों से पानी में डूबी रहती है। पर कलेक्टर रेट इतना कम रखा गया है कि किसान अपना हक तक नहीं पा सकते। दूसरे हिस्से में रेट आसमान छू रहा है। आखिर एक ही गांव में दो तरह की कीमतें क्यों है। पहले के मुकाबले कलेक्टर रेट कम किए जा रहे हैं। जबकि हर साल रेट बढ़ने चाहिए।
-केवलकृष्ण नंबरदार, बुढे़डा
कलेक्टर रेट में जब इतनी बड़ी असमानता है। तो मुआवजा भी बराबर कैसे मिलेगा। सरकार को समझना चाहिए कि जलभराव हमारी गलती नहीं है। ये प्राकृतिक और प्रशासनिक दोनों तरह की समस्या है। जिसका भार किसान पर नहीं पड़ना चाहिए। पूरे जिले में कलेक्टर रेट करोड़ों में है तो फिर हमारी जमीन के मात्र 24 लाख ही क्यों है।
-सुधीर वशिष्ठ, बुढ़ेडा
अगर क्षेत्र वेटलैंड घोषित हो गया। तो हमारी जमीन तो पूरी तरह बेकार हो जाएगी। बिना सही कलेक्टर रेट के हमें क्या मिलेगा। हमारा भविष्य अधर में लटक जाएगा। सरकार को पूरे गांव की जमीन का एक ही कलेक्टर रेट करना चाहिए ताकि किसानों को अपना हक मिल सके।
-कार्तिक, बुढे़डा
नई पीढ़ी खेती की तरफ लौटना चाहती है। लेकिन जब जमीन ही उपयोग लायक न हो और मुआवजा भी न मिले। पूरे गांव के एक ही कलेक्टर रेट करने के लिए सीएम विंडो पर गुहार लगाई है। सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए और रेट एक समान करने चाहिए। सरकार को किसानों के हितों की चिंता करनी चाहिए।
-गगन प्रकाश, अधिवक्ता व किसान बुढे़डा
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