Gurugram AQI: स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में क्यों पिछड़ी साइबर सिटी? सामने आई मुख्य वजहें
गुरुग्राम में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर है जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) अक्सर 200 से ऊपर रहता है। बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर कूड़े का पहाड़ और खुले में कचरा जलाना प्रमुख समस्याएं हैं। मलबा निपटान के प्रयासों के बावजूद शहर में जगह-जगह मलबे के ढेर लगे हुए हैं जिससे प्रदूषण कम करने के प्रयास विफल हो रहे हैं।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में जहां देश के कई शहर अपनी बेहतरी से मिसाल पेश कर रहे हैं, वहीं गुरुग्राम अब भी साफ हवा की लड़ाई में पिछड़ रहा है।
शहर में सामान्य दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 से ऊपर बना रहता है, जबकि दीपावली और सर्दियों के मौसम में यह 400 से ऊपर पहुंच जाता है। ऐसे में साफ है कि यहां प्रदूषण कम करने के प्रयास धरातल पर प्रभावी साबित नहीं हो पा रहे हैं।
केंद्रीय एजेंसियों की ओर से स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में नंबर वन आए शहरों ने कई नवाचार अपनाए जैसे सड़क से सड़क तक पक्कीकरण, मैकेनिकल स्वीपिंग, लिगेसी वेस्ट का बायोरिमेडिएशन, सी एंड डी वेस्ट मैनेजमेंट, यानी मलबा निपटान, ग्रीन बेल्ट व मियावाकी वनों का विकास, इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम और उद्योगों में क्लीन फ्यूल ट्रांजिशन।
लेकिन गुरुग्राम इन बिंदुओं पर खरा नहीं उतर रहा। खास बात यह है कि गुरुग्राम में लगे प्रदूषण मापक यंत्र भी छह महीने से खराब पड़े हैं।
बंधवाड़ी लैंडफिल पर बना कूड़े का पहाड़
बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर लीगेसी यानी पुराने कूड़े का पहाड़ सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। यहां करीब 13 लाख टन कचरे का पहाड़ बना है, जिसका समाधान 15 वर्षों से नहीं हो पाया। न ही बायोरिमेडिएशन की गति तेज हो पाई है और न ही ठोस कचरे का प्रभावी निस्तारण हो रहा है। सीएंडडी वेस्ट का निस्तारण भी अधूरा है।
खुले में जला रहे कचरा
हालात यह हैं कि शहर में खुले में कचरा जलाया जा रहा है। वहीं नगर निगम के पास मैकेनिकल रोड स्वीपिंग के लिए 16 मशीनें मौजूद हैं, लेकिन इनका संचालन व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पाता। नतीजा यह है कि धूल और प्रदूषण सड़कों पर ही फैलता रहता है। मशीनों की मॉनीटरिंग नहीं होने और गड्ढों वाली सड़कों पर मशीनों के नहीं चलने के कारण व्यवस्था बिगड़ी हुई है।
सरकारी जमीन पर लगे मलबे के ढेर
सेक्टर 29 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की अरबों रुपये की बेशकीमती जमीन पर मलबे का पहाड़ बना दिया गया है। यह स्थिति आज से नहीं बल्कि मलबा माफिया रात के समय ट्रालियां भरकर पिछले चार साल से यहां डाल रहा है। न ताे एचएसवीपी काे इसकी चिंता है और न नगर निगम की कोई तैयारी नजर आ रही है।
सेक्टर 29 ही नहीं बल्कि पूरे शहर में जगह-जगह मलबा फेंका जा रहा है। सेक्टर दस में खाली पड़ी सरकारी जमीन पर भी मलबा पड़ा हुआ है। इसके अलावा गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड सहित शहर में सड़कों के किनारे मलबा पड़ा है।
हैरानी की बात यह है कि पिछले पांच साल में ही नगर निगम मलबा निपटान के नाम पर सौ करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। शहर में बसई क्षेत्र में एक सीएंडडी वेस्ट (मलबा) प्लांट लगा हुआ है। इस प्लांट में मलबे से ईंटें, ब्लाक और टाइल आदि बनाई जाती हैं। लेकिन प्लांट की क्षमता सिर्फ 300 टन है, जबकि शहर से 1200 टन से ज्यादा मलबा निकल रहा है।
- 300 टन क्षमता का प्लांट बसई में लगा है।
- 1200 टन मलबा शहर से प्रतिदिन निकलता है।
- 25 किलोमीटर से ज्यादा शहर का दायरा है।
- 1 एजेंसी मलबा प्लांट का संचालन कर रही है।
- 7.5 लाख रिहायशी, कमर्शियल और इंस्टीट्यूशल तथा औद्योगिक यूनिट शहर में हैं।
- 1200 टन कूड़ा प्रतिदिन शहर के घरों से निकल रहा है, लेकिन निपटान नहीं हो रहा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।