गुरुग्राम में साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़, लोन कंपनी कर्मियों से डाटा खरीदकर 150 लोगों को ठगा; 7 आरोपी गिफ्तार
गुरुग्राम साइबर पुलिस ने लोन कंपनी के कर्मचारियों से डेटा खरीदकर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के सात सदस्य गिरफ्तार किए गए हैं जिन्होंने 150 से अधिक ग्राहकों को सस्ते लोन का झांसा देकर डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की। आरोपी कंपनी के कर्मचारी बनकर ग्राहकों को फोन करते थे और फर्जी दस्तावेज भेजते थे।

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम। गुरुग्राम साइबर पुलिस ने बीते दो दिनों के दौरान एक ऐसे गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जो एक लोन कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों से ग्राहकों का डाटा लेकर उनके साथ ठगी कर रहे थे।
गिरोह के लोग ग्राहकों को कंपनी प्रतिनिधि बनकर फोन करते और उनसे पुराना कर्ज सस्ते में जमा कर नया कर्ज कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराने का झांसा देते थे। ये ग्राहकों को कंपनी के फर्जी लेटर हेड पर लोन क्लोजर के कागजात भी भेजते थे। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि इन्होंने अब तक डेढ़ सौ ग्राहकों से डेढ़ करोड़ से ज्यादा की ठगी की।
धोखाधड़ी के मामले में पकड़े गए आरोपितों की पहचान बिहार के वैशाली जिले के मो. मुज्जफर अली, बंगाल के 24 परगना के अमीर हुसैन, बिहार के नालंदा के मो. कासिफ, दरभंगा के इफान, दिल्ली के कापसहेड़ा के अंकित कुमार, नांगली विहार के सुमित ढिका, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के सुमित कुमार के रूप में की गई।
साइबर थाना पश्चिम पुलिस के अनुसार गुरुग्राम बेस्ड होम क्रेडिट कंपनी की तरफ से इस मामले में 28 अगस्त को थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया गया था। कंपनी ने कहा था कि डेढ़ सौ से ज्यादा ग्राहकों ने यह शिकायत की कि उन्होंने लोन की राशि चुका दी और उनके पास इसके कागजात भी हैं। जब उसकी जांच की गई तो पता चला कि यह फर्जी थे।
किसी ने धोखाधड़ी से ग्राहकों से लोन की राशि जमा करा ली। कंपनी ने यह भी बताया था कि उनके ग्राहकों का डाटा किसी ने लीक किया है। मामले की जांच करते आइओ मुख्य सिपाही जितेंद्र कुमार व टीम ने इन सात आरोपितों को अलग-अलग जगहों से धर दबोचा।
पुलिस टीम ने आरोपित मुज्जफर को 30 अगस्त को गुरुग्राम से, इसके बाद अमीर हुसैन व कासिफ को बिहार के नालंदा से, इरफान अंसारी, अंकित कुमार, सुमित ढिका और सुमित कुमार को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया। इन सभी को तीन दिन के रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। पकड़े गए आरोपितों के पास से पांच मोबाइल फोन और 70 हजार रुपये की नकदी बरामद की गई है।
जनवरी से गिरोह कर रहा था काम
आरोपितों से पुलिस पूछताछ में पता चला कि पहले ये सभी दिल्ली के कापसहेड़ा में रहते थे और एक-दूसरे को जानते थे। इस गिरोह का मास्टरमाइंड मुजफ्फर है। इसने जनवरी में साथियों के साथ मिलकर इस तरह से ठगी की साजिश रची थी। इसने सभी साथियों को अलग-अलग काम पर लगा रखा था। मुजफ्फर कंपनी कर्मियों से ग्राहकों का डाटा लेता था।
इरफान होम क्रेडिट कंपनी में पहले सेल्स टेलीकालर था। यही इसे डाटा देता था। कुछ दिन पहले कंपनी अधिकारियों को शक होने पर इसने बिना बताए नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद यह कंपनी में काम करने वाले अन्य कर्मचारी सुमित ढिका और सुमित कुमार से डाटा लेने लगा।
ढिका सीनियर स्पलेशलिस्ट और सुमित कुमार जूनियर आपरेटर था। मुजफ्फर इनसें डाटा लेकर अमीर हुसैन व कासिफ को भेजता था। यही दोनों नालंदा में बैठकर ग्राहकों को कंपनी प्रतिनिधि बनकर फोन करते थे।
ग्राहकों को पहले पूरी जानकारी देकर विश्वास में लेते और यह कहते कि उन्हें पहले ज्यादा ब्याज पर लोन दिय गया था। अब कंपनी पालिसी के तहत सस्ते ब्याज दर पर लोन देगी। इसके लिए उन्हें पहले लिया हुआ लोन चुकाना पड़ेगा।
दोनों आरोपित ग्राहकों को कंपनी के नाम से तैयार की गई यूपीआइ आइडी और क्यूआर कोड भी भेजते थे। झांसे में आकर ग्राहक इस पर पैसे भेज देते थे। इसके बाद ये लोन क्लोज करने के फर्जी दस्तावेज भी उन्हें भेजते थे।
वहीं यूपीआई आईडी, क्यूआर कोड और बैंक खाता इनका साथी अंकित इन्हें उपलब्ध कराता था। अंकित कापसहेड़ा में सीएससी सेंटर चलाता है। अंकित खाते में ट्रांसफर की गई राशि भी निकालकर मुजफ्फर तक पहुंचाता था।
इस सब काम के लिए अमीर को सात प्रतिशत, कासिफ को 15 प्रतिशत, अंकित को 20 से 30 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। आरोपित सुमित ढिका, सुमित कुमार व इरफान को एक लोन धारक का डाटा देने के बदले पांच हजार रुपये मिलते थे।
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