जलभराव से परेशान किसानों की याचिका स्वीकार, अब एनजीटी तय करेगा नजफगढ़ झील वेटलैंड है या नहीं
वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया की रिपोर्ट के बाद एनजीटी नजफगढ़ झील पर फैसला करेगा कि यह वेटलैंड है या नहीं। प्रभावित किसानों ने एनजीटी में पक्षकार बनने की गुहार लगाई है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। हरियाणा वेटलैंड प्राधिकरण ने 75 एकड़ क्षेत्र को वेटलैंड घोषित करने की बात कही है जबकि याचिकाकर्ता का दावा है कि यह क्षेत्र कहीं अधिक है।

महावीर यादव, बादशाहपुर। नजफगढ़ ड्रेन के आसपास करीब 10,000 एकड़ जमीन पर जमा वर्षा के पानी से करीब दर्जन भर गांव के किसान परेशान हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस जलभराव के क्षेत्र को वेटलैंड घोषित करने की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बताया कि वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया को रिपोर्ट पुन निरीक्षण के लिए भेजी गई है। इसके साथ ही नेशनल सेंटर फार सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट को भी इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए मामला भेजा गया है।
प्रभावित किसानों ने भी एनजीटी में इस मामले में पार्टी बनाए जाने की गुहार लगाई। एनजीटी ने किसानों की इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। अब मामले की सुनवाई 26 नवंबर को होगी। प्रभावित किसानों की निगाहें अब एनजीटी के फैसले पर टिकी है।
हरियाणा वेटलैंड प्राधिकरण की रिपोर्ट
हरियाणा वेटलैंड प्राधिकरण ने 29 जुलाई 2024 को दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अनुमानित रूप से 75 एकड़ क्षेत्र (60 मीटर चौड़ाई × 5000 मीटर लंबाई) नजफगढ़ ड्रेन के किनारे चिह्नित किया गया है। जिसे वेटलैंड घोषित किया जा सकता है। हालांकि इसका दायरा जल प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद बढ़ाया भी जा सकता है।
याचिकाकर्ता का दावा 2000 से 5000 एकड़ तक क्षेत्र
याचिकाकर्ता के वकील आकाश वशिष्ठ ने इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वास्तविकता में नजफगढ़ झील का क्षेत्र 75 एकड़ से कहीं ज्यादा है। उन्होंने उपग्रह चित्रों (साल 2014–2021) का हवाला दिया।
जिनके अनुसार जल भराव का क्षेत्र 200 एकड़ से लेकर 2048 एकड़ तक रहा है। 1882 के भूमि राजस्व अभिलेखों में भी 1772 एकड़ क्षेत्र पांच गांवों को में जलमग्न दिखाया गया है।
याचिकाकर्ता का दावा है कि 2009 से 2024 के बीच झील का जलमग्न क्षेत्र 1500 एकड़ से लेकर 5349 एकड़ तक दर्ज किया गया है। औसतन यह क्षेत्र लगभग 3800 एकड़ (1520 हेक्टेयर) बताया गया।
प्रभावित किसानों की याचिका स्वीकार
मामले में कुछ किसानों ने यह दलील दी कि उनकी जमीनें वेटलैंड क्षेत्र घोषित होने की प्रक्रिया से प्रभावित हो सकती है। प्रभावित किसानों का कहना है कि जब उनकी जमीन नजफगढ़ झील में जल भराव से प्रभावित हो रही है। एनजीटी इस मामले में सुनवाई कर रहा है तो उनका पक्ष भी सुना जाए।
एनजीटी ने प्रभावित किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी याचिका स्वीकार कर ली। इसके साथ ही एनजीटी ने निर्देश दिया कि नेशनल वेटलैंड प्राधिकरण को भी पक्षकार बनाया जाए और वह अपनी विस्तृत रिपोर्ट अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले दाखिल करे।
चार सितंबर को सुनवाई के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवं वन मंत्रालय के अधिवक्ता ने बताया कि मंत्रालय के वेटलैंड प्रभाग ने हरियाणा और दिल्ली के वेटलैंड प्राधिकरण की संयुक्त बैठक की थी।
इसके बाद वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की संयुक्त रिपोर्ट तैयार की गई है। यह रिपोर्ट ग्राउंड वेरीफिकेशन के बाद बनाई गई थी।
अब इस रिपोर्ट का री-वैलिडेशन का काम चल रहा है। मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को पेश करने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा है। एनजीटी ने इसे स्वीकार कर लिया मामले की सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
एनजीटी में मामला विचाराधीन है। किसानों ने इस मामले में पक्षकार बनाए जाने के लिए याचिका दायर की थी। एनजीटी ने किसानों की याचिका स्वीकार कर ली। एनजीटी का यह फैसला सराहनीय है। प्रभावित किसानों को भी अपनी बात रखने का मौका दिया गया है।
-गगन प्रकाश, वकील
किसान अपनी जमीन होते हुए भी उस पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। जल भराव से स्थिति बेहद खराब है। वेटलैंड घोषित किए जाने पर किसानों की जमीन भी सरकार को अधिग्रहित करनी पड़ेगी। किसानों की निगाह अब एनजीटी के फैसले पर है।
-वीरेंद्र सिंह चौहान, वकील
यह भी पढ़ें- 350 करोड़ के बजट के बाद भी क्यों नहीं साफ हो रहा गुरुग्राम? सड़कों के किनारे लगे हैं कूड़े के ढेर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।