सिर्फ एक पेपर... और खत्म हो गई जिंदगी, गुरुग्राम में आर्यन सहवाग की मौत की वजह ने सबको झकझोर दिया
गुरुग्राम में शोभा सिटी सोसायटी में 18 वर्षीय आर्यन सहवाग ने आत्महत्या कर ली। वह दिल्ली पब्लिक स्कूल का 12वीं का छात्र था और प्री-बोर्ड परीक्षा में उसका एक पेपर छूट गया था। पुलिस जांच कर रही है, लेकिन प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की बात सामने आ रही है। आर्यन की मौत शिक्षा प्रणाली और छात्रों पर बढ़ते दबाव पर सवाल उठाती है।

गुरुग्राम की एक सोसायटी की 18वीं मंजिल से कूदकर छात्र ने की आत्महत्या।
डिजिटल डेस्क, गुरुग्राम। गुरुग्राम की शोभा सिटी सोसायटी के मकान में रहने वाले हंसते-खेलते परिवार अब खामोश है, उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। कोई विश्वास ही नहीं कर पा रहा है कि अब आर्यन अब उनके बीच नहीं है।
शुक्रवार की सुबह इस सोसायटी के आसमान छूते टावर A4 के एक फ्लैट की बालकनी से 18 वर्ष का आर्यन जमीन पर आ गिरा। इसके साथ ही आर्यन को लेकर परिवार सपने भी टूटकर बिखर गए। आर्यन सहवाग अब कभी स्कूल नहीं जाएगा।
आर्यन दिल्ली के डीपीएस में 12वीं का छात्र था। उजली यूनिफॉर्म में, कंधे पर बैग लटकाए, हर दिन वह उन सपनों की ओर बढ़ रहा था, जो हर माता-पिता अपने बच्चे में देखते हैं। अच्छी और एक सुनहरा भविष्य, लेकिन शायद होनी को कुछ और ही मंजूर था। अपनी सोसायटी के टावर की 18वीं मंजिल से छलांग लगाकर उसने अपनी जान ले ली।
कहा जा रहा है, प्री-बोर्ड की परीक्षा में आर्यन का एक पेपर छूट गया था। सिर्फ एक पेपर, लेकिन इस छूटे हुए 'एक पेपर' के साथ मानों उसने अपना आत्मविश्वास खो दिया था। शायद इस एक छूटे पेपर की वजह से उसे अपना भविष्य अंधकार में और माता-पिता का सपना टूटता दिखने लगा। जिसने उसे तोड़कर रख दिया।
घटना शुक्रवार भोर पहर करीब चार बजे की है। सोसायटी के लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने आर्यन के शव को कब्जे में लेकर जांच पड़ताल की। जानकारी के मुताबिक, घटना के वक्त घर पर आर्यन और उसकी मां थे।
पिता विक्रम किसी काम से रोहतक गए थे। पुलिस के प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की बात ही सामने आ रही है। राजेंद्र नगर थाना पुलिस ने आर्यन के मोबाइल फोन को कब्जे में जांच शुरू कर दी है। आसपास के लोगों से पूछताछ के साथ सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं।
कितने आर्यन हर साल इसी दबाव में टूट जाते हैं। कभी इसलिए कि पेपर छूट गया, कभी इसलिए कि मार्क्स कम आए, कभी इसलिए कि दुनिया 'सफल' होने का अर्थ नहीं समझाती, बस 'टॉप' होने का दबाव देती है। आर्यन अब नहीं है, पर उसकी मौत एक सवाल छाेड़ जाती है कि क्या एक पेपर, एक गलती, एक चूक… किसी की जिंदगी से बड़ी हो सकती है?

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