हर तरफ पानी ही पानी...खेतों में जमी गाद, किसानों की फसल बर्बाद लेकिन जिंदा है आस
हरियाणा में बाढ़ के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है। सरकार ने किसानों को मुआवजा देने का ऐलान किया है जिसमें 7 हजार से 15 हजार रुपये प्रति एकड़ की सहायता शामिल है। हालांकि किसान संगठन और राजनीतिक दल इस मुआवजे को पर्याप्त नहीं मान रहे हैं और विशेष राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं।

जागरण टीम, हिसार/पानाीपत। हरियाणा में बाढ़ के कारण खेतों में फसल बर्बाद हो गई है। किसान की पकी फसल खराब होने से उसकी साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है। प्रदेश सरकार ने किसान की इस पीड़ा में साझेदार बनते हुए उसे फसलों के नुकसान पर सात हजार रुपये से 15 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने का ऐलान किया है।
सरकार की मुआवजा की घोषणा बाढ़ग्रस्त इलाकों में उनकी अपने नागरिकों के प्रति जवाबदेही को लेकर संवेदनशीलता को दर्शाती है। लेकिन मुआवजा राशि को लेकर सवाल उठ रहे हैं। किसानों, संगठनों और राजनीतिक दलों का कहना है कि सरकार ने ये मुआवजा बगैर किसी ठोस नीति निर्धारण के तय कर दिया।
किसानों को तो उसकी फसलों का लागत मूल्य का सहारा भी नहीं मिल रहा। बाकी खर्च उसके ऊपर नुकसान के तौर पर जुड़े हैं। जबकि सरकार को चाहिए कि वो कृषि क्षेत्र की स्थिरता और किसान को फिर से इन हालात में अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए विशेष राहत पैकेज जारी करे। मुआवजा दरों में संशोधन करे। किसान संगठन व विपक्ष के राजनीतिक दल लगातार इस विशेष पैकेज की मांग कर रहे हैं।
जाने किसान कितना कर चुके खर्च
फतेहाबाद: फतेहाबाद में जलभराव के कारण 50 हजार एकड़ कपास, 20 हजार एकड़ धान, 2 हजार में बाजरा, 3हजार में ग्वार, 2 हजार में मूंग व 5 हजार में एकड़ मूंगफली प्रभावित हुई हैं।
रोहतक: धान पर यहां 25 से 30 हजार रुपये, बाजरा पर 8 से 10 हजार रुपये, गन्ना पर 18 से 20 हजार रुपये का खर्च आया है। 25 हजार एकड़ में खराबा है।
झज्जर: झज्जर में धान पर 25 से 30 हजार रुपये, बाजरा पर 10 से 15 हजार रुपये, कपास पर 20 से 25 हजार रुपये और ग्वार पर 10 से 15 हजार रुपये का खर्च आया है।
जींद: 267 गांवों में 75,047 एकड़ फसल में नुकसान है। यहां धान पर 25 से 30 हजार रुपये, बाजरा पर 8 हजार रुपये और गन्ना पर 25 हजार रुपये तक किसान खर्च कर चुके थे।
अंबाला: अंबाला में धान पर 18 से 20 हजार रुपये, चारा (चरी) पर 5 से 7 हजार रुपये और गन्ना पर 18 से 20 हजार रुपये का खर्च हुआ है।
करनाल: करनाल में यमुना किनारे 2,600 एकड़ फसल खराब हुई है। इसमें 1,600 एकड़ गन्ना, 800 में धान व 200 एकड़ सब्जी शामिल हैं।
भिवानी: बवानीखेड़ा खंड के गांवों में तीन हजार एकड़ में धान खराब हुआ है। वहीं कपास, मंूग बाजरा, ग्वार की 11 हजार एकड़ में फसल खरब है।
कुरुक्षेत्र: धान पर 18 से 20 हजार रुपये, चारा पर 5 से 7 हजार रुपये और गन्ना पर 18 से 20 हजार रुपये का खर्च किसान अब तक कर चुके हैं।
पानीपत: पानीपत में 14,000 एकड़ फसल खराब हुई है। इनमें अकेले धान पर किसान प्रति एकड़ 20 से 25 हजार रुपये तक खर्च कर चुके हैं।
कैथल: 30 गांवों की 15,000 एकड़ फसल खराब। धान व पशु चारा और सब्जी बर्बाद हुई हैं। किसान 18 से 20 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च कर चुके थे।
जमीन ठेके पर लेने वाले तो कर्जदार हो जाएंगे
भाकियू के यमुनानगर जिला अध्यक्ष सुभाष गुर्जर का कहना है कि प्रति एकड़ धान तैयार करने पर 20-25 हजार रुपये खर्च आ जाता है। जमीन का ठेका भी 60 से 70 हजार एकड़ प्रति वर्ष का चल रहा है। अब खेतों में मिट्टी जमा है। सुधार में ही 20 हजार रुपये और लग जाएंगे। जमीन ठेके पर लेने वाले किसान के हाथ तो कुछ नहीं आएगा।
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