हरियाणा की 20 जेलों में लगेगा एमसीयू, शरीर के किसी भी अंग से होगी अपराधी की पहचान
हरियाणा की जेलों में अब अपराधियों को पकड़ना और भी आसान होगा। कारागार महानिदेशक आलोक कुमार राय ने बताया कि 20 जेलों में एमसीयू स्थापित की जाएगी। इस एडव ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पंचकूला। अब अपराधियों को पकड़ना आसान होगा। शरीर के किसी भी अंग से अपराधी को पुलिस पहचान लेगी। यह सब संभव होगा मैजेरमेंट कलेक्शन यूनिट (एमसीयू) से।हरियाणा के कारागार महानिदेशक (डीजी) आलोक कुमार राय ने प्रेस कांफ्रेंस कर एमसीयू से जुड़ी जानकारी दी। डीजी ने कहा कि राज्य की सभी 20 जेलों में अब एमसीयू स्थापित की जाएगी।
यह एडवांस्ड टेक्नोलॉजी जेल बंदियों और अपराधियों की पहचान व ट्रैकिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआईएस) का रिकॉर्ड राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के पास होता है और उसका लिंक स्टेट क्राइम रिकॉर्ड से भी जुड़ा रहता है। एमसीयू के आने से अपराधियों को पकड़ना और भी आसान होगा।
उन्होंने कहा कि पहले केवल एनएएफआईएस के जरिये अपराधियों के फिंगरप्रिंट का रिकॉर्ड रखा जाता था, लेकिन अब एमसीयू तकनीक से अपराधी की पहचान फिंगरप्रिंट के साथ-साथ आंखों के रैटीना, डीएनए, चेहरे की बनावट और सीसीटीवी कैमरे में कैद शरीर के किसी भी हिस्से से की जा सकेगी। अब अगर क्राइम करते वक्त शरीर का कोई भी अंग दिखाई देगा तो उससे अपराधी की सीधे पहचान की जा सकेगी।
पुलिस व जेल पुलिस के वर्दी विवाद पर बोले डीजी राय
वर्दी और बैज को लेकर पुलिस और जेल पुलिस के बीच चल रहे विवाद पर डीजी राय ने स्पष्ट किया कि स्टेट एम्बलम, रैंक और स्टार की सारी व्यवस्था रूल्स के अनुसार होती है। होम डिपार्टमेंट में एक डेस्क है, जो इस तरह के मामलों पर अंतिम निर्णय लेती है। उन्होंने कहा कि कुछ पुलिस अधिकारी जेल विभाग में डेपुटेशन पर आए हैं और पे-स्केल जैसे कुछ मुद्दे डिबेटेबल हो सकते हैं, लेकिन अंतिम फैसला हमेशा नियमों के आधार पर ही होगा।
डीजी राय ने कहा कि पुलिस, विजिलेंस, सीबीआई और होमगार्ड जैसे विभागों में आपसी ट्रांसफर होते रहते हैं। ऐसे में कर्मचारियों और अधिकारियों को यह मानने की आवश्यकता नहीं कि कुछ गलत हो रहा है। हम सभी अनुशासनात्मक फोर्स का हिस्सा हैं और होम डिपार्टमेंट की डेस्क का निर्णय ही मान्य होगा।

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