'जिसका खेत, उसका रेत...' अब हरियाणा के किसानों ने भी मांगा पंजाब की तर्ज पर हक
हरियाणा के किसानों ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से मुलाकात कर जिसका खेत उसका रेत योजना लागू करने की मांग की। बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए मुआवजे धान की खरीद जल्दी शुरू करने और ट्यूबवेलों के नुकसान की भरपाई की भी मांग की गई। किसानों ने यूरिया खाद वितरण पोर्टल को बंद करने और गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने का भी आग्रह किया।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के किसानों ने भी पंजाब की तर्ज पर अब ''''जिसका खेत, उसका रेत'''' योजना लागू करने की मांग की है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में पहुंचे किसानों के शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ बैठक में यह मुद्दा उठाया। साथ में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की।
बुधवार रात मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक की जानकारी देते हुए भाकियू प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि प्रदेश के 5200 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। किसान नेताओं ने राज्य में धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू किए जाने की मांग करते हुए सीएम से कहा कि बाढ़ के कारण किसानों के जो ट्यूबवेल खराब हुए हैं, उनका मुआवजा दिया जाए।
बरसाती नालों और नदियों की सफाई करवाने तथा तटीय बांधों की मरम्मत करवाने की जरूरत है। चीका हलके में हांसी बुटाना नहर के कारण घग्गर नदी बाढ़ का कारण बनती है, उस पर ध्यान दिया जाए। यूरिया खाद वितरण पोर्टल पर होने से किसानों को खाद लेने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसे तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए।
कपास की पूरी खरीद सरकार के माध्यम से करवाए जाने की मांग करते हुए भाकियू नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों बीमा का मुआवजा देने का कानून लाया जाए। किसानों ने गन्ने की एमएसपी 500 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग करते हुए कहा कि बिजली के जो बड़े टावर किसानों के खेतों से निकलते हैं, वह एक राज्य से दूसरी स्टेट में जा रहे हैं। उसका मुआवजा किसानों को दिया जाना चाहिए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।