Haryana: सीवर के पानी में डूबे 4 करोड़ रुपये, 200 बिस्तरों वाले अस्पताल का निर्माण अटका
मुख्यमंत्री घोषणा में शामिल नारनौल का 200 बिस्तरों वाला अस्पताल अभी तक बेसमेंट से बाहर नहीं आ पाया है जिसमें चार करोड़ रुपये डूब चुके हैं। पुराने टेंडर रद होने के बाद नए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है जिसमें 20 करोड़ की राशि बढ़ाई गई है। पुराने निर्माण पर सवाल उठ रहे हैं और ठेकेदार व विभाग की खींचतान में जनता का नुकसान हो रहा है।
बलवान शर्मा, नारनौल। मुख्यमंत्री घोषणा में शामिल नारनौल का 200 बिस्तरों का अस्पताल बेसमेंट से बाहर नहीं आ पा रहा है। भवन के ढांचे की बजाए वर्षा की वजह से पानी जरूर बेसमेंट से ऊपर आकर बहने लगा है। इस पानी में चार करोड़ रुपये तो पहले ही डूब चुके हैं। हालांकि पुराने टेंडर रद होने के बाद अब पीडब्ल्यूडी बीएंडआर विभाग ने नए सिरे से टेंडर छोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस अस्पताल के निर्माण के लिए पहले 24 करोड़ 50 लाख रुपये के टेंडर छोड़े हुए थे। इसमें से चार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। अब नए टेंडर में करीब 20 करोड़ रुपये की राशि बढ़ाई गई है, ताकि बढ़ी हुई मंहगाई के हिसाब से अस्पताल भवन का निर्माण करवाया जा सके। करीब दस करोड़ रुपये इलेक्ट्रीसिटी पर खर्च होंगे।
यहां एक सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि पुराने ठेकेदार ने बेसमेंट से थोड़ा ऊपर तक पिल्लर खड़ेकर 24 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा करने के दावे कर चार करोड़ रुपये तो ले लिए पर अब यदि इन पुराने पिल्लरों पर ही भवन नए सिरे से बनाया गया तो बिल्डिंग ध्वस्त होने का खतरा बना रहेगा। कारण साफ है। इन पिल्लरों के बनने के कुछ दिन बाद ही सीवर का पानी बेसमेंट के गड्ढ़े में भर गया था।
वहीं, कई वर्ष से पानी की निकासी नहीं हुई है और ऐसे में 24 प्रतिशत बना भवन सीवर के पानी में खड़ा रहने की वजह से कमजोर हो चुका है। जाहिर है कि यदि नए सिरे से भवन का निर्माण करवाना पड़ा तो 24 प्रतिशत बने भवन पर खर्च किए गए चार करोड़ रुपये भी सीवर के पानी में बेकार में ही डूब गए हैं। ऐसे में ठेकेदार और विभाग की नूराकुश्ती में सरकार और आमजन काे करोड़ों रुपये की चपत तो लग गई है।
यह अलग बात है कि पुराने ठेकेदार ने प्रदेश में कई सरकारी भवनों के निर्माण का ठेका लिया हुआ था और अन्य भवनों के निर्माण का भुगतान न मिलने की वजह से नारनौल के इस 200 बिस्तर के अस्पताल के निर्माण को रोककर कर विभाग पर दबाव बनाया था। जबकि विभाग द्वारा इस भवन के निर्माण का लगातार भुगतान भी किया जा रहा था।
यह भी पढ़ें- Rewari वालों के लिए गुड न्यूज, शहर में ही बनेगा नए अस्पताल का भवन
वहीं, मामला न्यायालय तक पहुंच गया और पिछले ढाई साल से इस अस्पताल भवन पर एक भी ईंट नहीं लगाई गई। इस अस्पताल भवन के निर्माण की घोषणा 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने की थी और 2021 में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था।
अस्पताल परिसर में भवन का निर्माण कार्य कर रही एजेंसी के बीच हाईकोर्ट में विवाद चल रहा था। इस कारण निर्माण कार्य करीब दो वर्षों से रुका हुआ था । भवन का 24 प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। अब निर्माण एजेंसी के साथ चल रहा विवाद सुलझ गया है। अब नए सिरे से अस्पताल भवन के निर्माण के लिए बजट तैयार कर अनुमति के लिए मुख्यालय भेजा हुआ है। अनुमति मिलते ही अस्पताल भवन का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। बेसमेंट में सीवर पानी भरे होने से ढांचे के कमजोर होने के सवाल का जवाब तो तकनीकी जांच के बाद ही मिल सकता है। - जितेंद्र कुमार, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी बीएंडआर विभाग
अभी अस्पताल भवन बनाने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इस मामले में पीडब्ल्यूडी बीएंडआर विभाग को ही कदम उठाना है। हमारी तरफ से पत्राचार हो रहा है। - डा. अशोक कुमार, सिविल सर्जन, नारनौल
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।