उफ! ये गंदगी... सब्जी मंडी में बिक रही बीमारी, आम आदमी अनजान; रोजाना होता है लाखों का कारोबार
पलवल की सब्जी मंडी में गंदगी का अंबार लगा है जिससे स्वास्थ्य खतरे में है। सड़ी-गली सब्जियां और कचरा चारों ओर फैला हुआ है। मंडी में रोजाना लाखों का कारोबार होता है फिर भी सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। मसाखोर गंदगी में सब्जी बेचने को मजबूर हैं क्योंकि मंडी के अंदर जगह नहीं है। मार्केट कमेटी का कहना है कि दुकानदार दिन में सफाई नहीं करने देते।

अशोक कुमार यादव, पलवल। जरा ठहरिए जनाब, जिस सब्जी को आप सेहत बनाने के लिए खा रहे हैं, असल में वह आपकी और परिवार की सेहत बिगाड़ सकती है। यकीन ना आए तो जरा फल सब्जी मंडी के हाल देख लीजिए। सब्जी वाला भले ही आपके घर तक साफ सुथरी सब्जी ला रहा हो, लेकिन मंडी में यह घंटों कीचड़, गंदगी और दुर्गंध के बीच जमीन पर फैली पड़ी रहती हैं।
इस मंडी में प्रतिदिन लाखों रुपयों का कारोबार होता है। इसके बावजूद मंडी का यह हाल है। यह कारोबार गंदगी के बीच हो रहा है। सड़क पर फेंके जा रहे कटे-सड़े फल और सब्जी ग्राहक के पैरों से कुचल रही है। इन पर मक्खी-मच्छर भिनभिना रहे हैं। जो बीमारी के वाहक हैं।
बता दें कि यह जिले की सबसे बड़ी मंडी है। यहां सब्जी, फल एवं गल्ले का थोक कारोबार होता है। इस मंडी में प्रवेश के चार गेट हैं। दो गेट एसडी कालेज की ओर हैं। एक गेट अलावलपुर रोड पर है। चौथा रेलवे रोड की ओर है। सब्जी मंडी के अंदर आढ़तियों के लिए एक टीन शैड बनाया हुआ है। शैड के चारों ओर 41 दुकानें हैं। इन्हीं दुकानों के सामने मासाखोरों ने अपने अपने फड लगाए हुए हैं।
दैनिक जागरण ने सब्जी मंडी का दौरा किया तो फल सब्जी मंडी के हाल देखे तो चौंकाने वाले नजारे सामने आए। पेश है लाइव रिपोर्ट-
मंडी में दाखिल होते ही सब्जियों से निकलने वाले अपशिष्टों का जगह-जगह ढेर लगे हैं। लोगों के पैर सड़ी सब्जियों पर पड़ रहे हैं। जिससे उनके जूते चप्पल के साथ कपड़े भी खराब हो रहे हैं। बिकने वाली सब्जी, कीचड़ और गंदगी तीनों सड़क पर रखी है। मंडी में गंदगी के कारण नालियां बजबजा रही हैं। गंदा पानी खुले में बह रहा है। वर्षा के दौरान मंडी में कीचड़ ही कीचड़ नजर आता है।
कीचड़-गंदगी के बीच आलू सौ रुपये के पांच किलो
फल सब्जी मंडी के मेन गेट के बाहर सड़क पर कीचड़-गंदगी के बीच आलू 100 के पांच किलो, ताेरई 25 रुपये किलो बिक रही थी। वहीं गाेवंश सब्जियों में मुंह मार रहे है। एक हाथ में डंडा लेकर गाेवंश को भगाता मासाखोर ग्राहक को सब्जी के रेट बता रहे था। पूछने पर रामहेत ने बताया कि यह तो रोज की कहानी है।
उनका कहना था, मंडी के अंदर जगह नहीं मिलती। परिवार का पेट पालना है, जहां जगह मिली वहीं सब्जी लगाकर बैठ गए। दिन भर मवेशियों से सब्जियों को बचाते हैं। धूप होने पर सड़ी सब्जियों से सड़ांध और बदबू उठ रही है। इस बदइंतजामी के बीच कारोबारी दिन भर बैठे हुए हैं। खरीदार भी आजकल इन्हीं दुश्वारियों से दो चार हो रहे हैं।
मासाखोर अमित यादव, अनिकेत, मुंकुंद झा, प्यारेलाल ने बताया कि मंडी के अंदर बड़े व्यापारियों का कब्जा है। आढ़तियाें व किसानों की भीड़ के चलते मंडी में पैर रखने तक की जगह नहीं है। मजबूरी में गंदगी के बीच सब्जियां बेच रहे हैं। पता है, बीमारियों का खतरा है, पर क्या करें, बच्चों का पेट पालना है। न जाने क्यों, मंडी प्रशासन व सरकार को हमारी तकलीफ नजर नहीं आती।
मंडी के अंदर टीन शैड के सामने
टीन शैड के सामने लोकी, अरबी, टमाटर का ढेर लगा कर लोग बैठे हुए हैं। प्लास्टिक की थैलियों में बंद लोकी, खीरा, पालक, घीया बिक रहा थी। आसपास मच्छर-मक्खियां भिनमिना रही हैं। दुर्गंध से वहां खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था। कई महिलाएं तो दुपट्टे से मुंह को ढक कर सब्जियां खरीद रहीं थी।
अलावलपुर रोड की ओर इधर-उधर कचरे का ढेर लगे हैं। खाली पड़े प्लाट में लोग लघु शंका कर रहे हैं। जिसकी गंध से वहां रूकना दूभर हो रहा है। सड़ी गली सब्जी और फल का अपशिष्ट कीचड़ के साथ चौतरफा पसरा हुआ है।
इस बारे में मार्केट कमेटी के सचिव मनदीप राणा का कहना है कि मंडी में दुकानदारों ने दिन में सफाई करने से मना किया हुआ है ठेकेदार हरी सिंह रात्रि में ही मंडी की सफाई कार्य करता है। सुबह मंडी में दुकानदार व मासाखोर भी मंडी में सफाई होने के बाद सड़क के बीच में कूड़ा डालते हैं। जिससे सफाई के बाद भी गंदगी दिखाई देती है। मंडी आढ़तियों से हमारी अपील है कि वो अपनी दुकानों के सामने डस्टबिन रखे। सड़क पर सड़ी सब्जियां न फेकें।
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