पलवल में पराली जलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की है तैयारी, 253 गांवों में 323 नोडल अधिकारी तैनात
पलवल जिला प्रशासन पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रहा है। जिले के 253 गांवों में 323 नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है ताकि किसान पराली न जलाएं।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, पलवल। फसल अवशेष जलाने पर जिला प्रशासन करेगा सख्त कार्यवाही करेगा। इसके लिए 253 गांवों में 323 नोडल अधिकारी लगाए गए हैं। जिला उपायुक्त डाॅ. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि एनसीआर सहित पलवल जिला में वायु प्रदूषण को देखते हुए ग्रेप का पहला चरण लागू है। जिला पलवल में जिला प्रशासन द्वारा फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
कुल सात गांवों को यलो जोन
पलवल, होडल और हसनपुर खंडों के कुल सात गांवों को यलो जोन में चिन्हित किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा इन क्षेत्रों की निगरानी के लिए यलो जोन में हर 50 किसानों पर एक और ग्रीन जोन में हर 100 किसानों पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इस प्रकार पूरे जिले के कुल 253 गांवों में कुल 323 नोडल अधिकारी फील्ड में सक्रिय किए गए हैं, जो किसानों को पराली प्रबंधन के उपाय बताने और आगजनी रोकने बारे किसानों को जागरुक कर रहे हैं।
घूम-घूमकर नजर रखेंगे नोडल अधिकारी
यह सभी नोडल अधिकारी दीपावली के सार्वजनिक अवकाशों पर भी फील्ड में सक्रिय रहेंगे। विभाग का उद्देश्य किसानों को दंडित करना नहीं है बल्कि पर्यावरण और मिट्टी की सेहत को बचाना है, क्योंकि प्रदूषित वातावरण में आम-जन की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने किसानों से अपील है कि फसल अवशेष जलाने से बचें और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें। किसानों के योगदान से ही पलवल को स्वच्छ और प्रदूषण रहित जिला बनाया जा सकता है उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गलती मिलते ही दर्ज की जाएगी एफआईआर
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डाॅ. बाबूलाल ने बताया कि दो एकड़ भूमि तक पराली जलाने पर पांच हजार, पांच एकड़ तक दस हजार और पांच एकड़ से अधिक पर तीस हजार का जुर्माना तय किया गया है साथ ही। ऐसे किसानों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज होगी और मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रेड एंट्री की जाएगी, जिससे किसान अपनी फसल को मण्डी में सरकारी रेट पर नहीं बेंच पाएगा।
फसल अवशेष प्रबंधन का सत्यापन
सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 1200 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि की घोषणा की है, जो उन किसानों को दी जाएगी जो पराली का इन-सीटू या एक्स-सीटू प्रबंधन करते हैं। कृषि विभाग ने सभी नोडल अधिकारियों को प्रशिक्षित कर दिया है। उन्हें आनलाइन माध्यम से किसानों द्वारा किए गए फसल अवशेष प्रबंधन का सत्यापन करने की जिम्मेदारी दी गई है।
आधुनिक मशीनें अनुदान पर
इससे विभाग को हर खेत का डेटा डिजिटल रूप से प्राप्त होगा और योजना की निगरानी पारदर्शी ढंग से हो सकेगी साथ ही किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु सुपर सीडर, बेलर और एसएमएस जैसी आधुनिक मशीनें अनुदान पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। कृषि विभाग की टीमें गांवों में जाकर किसानों को इन मशीनों के फायदे और उपयोग की जानकारी दे रही हैं।
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