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    सड़क पर सब्जी मंडी, प्रशासन की विफलता से यातायात बाधित

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 11:42 PM (IST)

    शहर में सड़कों पर सब्जी बाजार लगने से यातायात बाधित हो रहा है। राहगीरों और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अतिक्रमण के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। प्रशासन की निष्क्रियता के चलते समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है, जिससे लोगों में निराशा है।

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    शहर में सड़कों पर सब्जी बाजार लगने से यातायात बाधित हो रहा है।

    अशोक कुमार यादव, पलवल। स्वच्छता रैंकिंग में लगातार व्यस्त रहने वाली नगर परिषद निरर्थक अभियानों पर ही केंद्रित नजर आ रही है। इसका एकमात्र उद्देश्य शहर को कागजों में नंबर वन बनाना है। नगर परिषद ने शहर में सब्जी और फल मंडियों के लिए कोई निश्चित स्थान निर्धारित नहीं किया है।

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    नतीजतन, सब्जी विक्रेता अपनी मर्जी से कहीं भी ठेला लगाकर सब्जी बेचने को मजबूर हैं। जनप्रतिनिधियों में सब्जी विक्रेताओं और आम जनता, दोनों की सुविधा के लिए स्थायी सब्जी मंडी स्थापित करने की क्षमता नहीं है।

    दैनिक जागरण की एक छोटी सी पड़ताल इस स्थिति के पीछे के कारणों की पड़ताल करती है। जब रिपोर्टर ने इस मुद्दे की पड़ताल की, तो जो कारण सामने आए, वे किसी भी तरह से एकतरफा नहीं हैं। सब्जी विक्रेताओं की मजबूरी के साथ-साथ राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता भी इसमें शामिल है।

    गौरतलब है कि कोविड से पहले पलवल शहर में तीन प्रमुख सब्जी मंडियां थीं: अलीगढ़ पुल के पास, गुप्ता गंज मार्केट और भवनकुंड।

    कोविड के बाद के पाँच वर्षों में, चौराहों पर लगने वाली इक्का-दुक्का रेहड़ी-पटरी अव्यवस्थित सब्जी मंडियों में तब्दील हो गई हैं। सड़कों पर ठेले खड़े होने से पैदल चलना और गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा है। इसके बावजूद, नगर परिषद और यातायात पुलिस के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और समस्याएँ जस की तस बनी हुई हैं।

    केवल 977 रेहड़ी-पटरी विक्रेता पंजीकृत

    राष्ट्रीय हॉकर संघ के अध्यक्ष खेमचंद डागर बताते हैं कि संघ में केवल 977 रेहड़ी-पटरी विक्रेता पंजीकृत हैं। हालाँकि, आज शहर में पाँच हज़ार से ज़्यादा रेहड़ी-पटरी वाले अपने ठेले लगा रहे हैं। इन विक्रेताओं का कोई सत्यापन नहीं हुआ है। इनमें से ज़्यादातर बाहरी लोग हैं जो यहाँ आकर अपने ठेले लगाते हैं। खेमचंद डागर कहते हैं कि हमारे संघ के अध्यक्ष ज़िला उपायुक्त हैं, लेकिन पिछले दो सालों से हमारी कोई बैठक नहीं हुई है।

    रेलवे रोड, बस स्टैंड चौक, रसूलपुर चौक, टाउन पार्क के सामने, पुराने जीटी रोड पर घासी राम पेट्रोल पंप के सामने, भवनकुंड, अलावलपुर रोड, अलीगढ़ पुल के नीचे, सेक्टर 2 चौक और अन्य सड़कों पर दोपहर से ही सब्ज़ियों के ठेले सड़क किनारे लगने लगते हैं। सब्ज़ियों के अलावा, फल, चाय, नाश्ता और खाने-पीने की चीज़ें बेचने वाले ठेले भी खूब लग रहे हैं। अगर कोई व्यक्ति जाम में फँसा है और किसी से अपनी गाड़ी हटाने को कहता है, तो विक्रेता तुरंत अपने ग्राहक का पक्ष लेते हुए बहस करने लगता है।

    आधी से भी कम चौड़ी रह गई हैं सड़कें 

      • अलावलपुर रोड सब्ज़ी मंडी - कागज़ों में लगभग 33 फीट चौड़ी सड़क, लेकिन असल में यह 20 फीट भी चौड़ी नहीं है।
      • ओल्ड सोहना रोड से आगरा चौक - कागज़ों में 66 फीट चौड़ी सड़क, लेकिन अतिक्रमण के कारण यह 10 फीट रह गई है।
      • बस स्टैंड चौक की सर्विस रोड - कागजों में 25 फीट चौड़ी, लेकिन वाहनों के आवागमन के लिए सिर्फ़ पाँच से दस फीट जगह बचती है।

    सब्जी विक्रेताओं की अपनी समस्याएं हैं जिनका कोई समाधान नहीं दिखता

    सब्जी मंडियों के उलझे हुए जाल की ओर ध्यान आकर्षित करने का हमारा उद्देश्य छोटे सब्ज़ी विक्रेताओं को नुकसान पहुँचाना नहीं है, बल्कि एक स्थायी व्यवस्था बनाना है। कुछ रेहड़ी-पटरी वालों से बात करने पर उनका दर्द साफ़ झलकता है। ज़्यादातर छोटे सब्ज़ी विक्रेता शहर या आसपास के ग्रामीण इलाकों से सब्ज़ियाँ बेचने आते हैं, जो उनकी आजीविका का एकमात्र ज़रिया है।

    इसलिए, उन्हें हटाकर समस्या का समाधान मान लेना ज़रूरी नहीं है। बल्कि, नगर परिषद और जनप्रतिनिधियों को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और कोई स्थायी समाधान निकालना चाहिए जिससे न सिर्फ़ छोटे सब्ज़ी विक्रेताओं की रोज़ी-रोटी सुनिश्चित हो, बल्कि शहर की सुंदरता और यातायात का सुचारू प्रवाह भी बना रहे।