हरियाणा विकास परियोजनाओं के लिए जमीन देने के नियमों में बदलाव, किसानों को मिलेगा मनमर्जी की कीमत; जानें पूरी प्रक्रिया
हरियाणा में विकास परियोजनाओं के लिए जमीन देने वाले किसान अब अपनी मर्जी से कीमत मांग सकेंगे। ई-भूमि पोर्टल पर कलेक्टर रेट से तीन गुना कीमत की शर्त हटा दी गई है। भू-मालिक स्वयं या बिचौलिए के माध्यम से ई-भूमि पोर्टल पर सहमति दे सकते हैं, जिसे वैध माना जाएगा। सरकार ने भूमि खरीद नीति में संशोधन किया है, जिससे पारदर्शिता और कारोबार में आसानी होगी।
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हरियाणा विकास परियोजनाओं के लिए जमीन देने के नियमों में बदलाव। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में विकास परियोजनाओं के लिए जमीन देने के इच्छुक किसान अब मनमर्जी की कीमत मांग सकेंगे। ई-भूमि पोर्टल पर जमीन की बिक्री के लिए कलेक्टर रेट से अधिकतम तीन गुना कीमत की शर्त हटा दी गई है।
इतना ही नहीं, सरकार को जमीन देने के लिए कोई भू-मालिक स्वयं या किसी बिचौलिये के माध्यम से ई-भूमि पोर्टल पर सहमति देता है तो इसे वैध माना जाएगा। विकास परियोजनाओं हेतु विभागों, सरकारी संस्थाओं, बोर्ड-निगमों एवं सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद संबंधी नीति में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
नए प्रविधान के अनुसार यदि कोई भू-मालिक स्वयं या किसी बिचौलिये के माध्यम से ई-भूमि पोर्टल पर अपनी सहमति अपलोड करता है और वह सभी शर्तों को पूरा करता है तो उसकी सहमति को वैध माना जाएगा।
अभी तक भूमि मालिक या बिचौलिया ई-भूमि पोर्टल पर अपनी भूमि का प्रस्ताव केवल संबंधित जिले की कलेक्टर दर से अधिकतम तीन गुना दर तक ही दे सकता था। यह प्रतिबंध विशेष रूप से उन गांवों, जहां कलेक्टर दरें बाजार दरों से काफी कम हैं, वास्तविक जमीन के प्रस्ताव प्राप्त करने में कठिनाइयां पैदा कर रहा था।
इसी तरह हरियाणा अनुसूचित सड़कें और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास प्रतिबंध अधिनियम में बदलाव किया गया है। अधिसूचित विकास योजनाओं में भूमि उपयोग क्षेत्रों के अनुरूप स्व-प्रमाणन के अंतर्गत प्रणाली शुरू की जाएगी।
नई प्रणाली पात्र आवेदकों को डिजिटल रूप से प्रस्तुत दस्तावेजों और स्वचालित सत्यापन के आधार पर आनलाइन स्व-प्रमाणन के माध्यम से भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) की अनुमति प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी, मानवीय हस्तक्षेप में कमी आएगी और राज्य में कारोबार करने में आसानी होगी। आनलाइन पोर्टल भी विकसित किया जाएगा।

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