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    'स्वैच्छिक रिटायरमेंट के बाद नौकरी में वापसी का अधिकार नहीं', हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 10:46 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस के पूर्व हेड कांस्टेबल सुशील चंद की पुनर्नियुक्ति याचिका खारिज की। अदालत ने कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी दोबारा सेवा में लौटने का दावा नहीं कर सकता। सुशील चंद ने 1988 में हरियाणा पुलिस में नौकरी शुरू की थी, 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। दो साल बाद उन्होंने पुनर्नियुक्ति की मांग की थी।

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     स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी में वापसी का अधिकार नहीं, पुलिस में पुनर्नियोजन याचिका खारिज 


    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस के पूर्व हेड कांस्टेबल सुशील चंद की पुनर्नियुक्ति मांगने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद कर्मचारी दोबारा सेवा में लौटने का दावा नहीं कर सकता, यदि उसने समय रहते अपना आवेदन वापस नहीं लिया है।

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    सुशील चंद ने 1988 में हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल के रूप में नौकरी शुरू की थी। वर्ष 2013 में बेटे की मौत के बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया, जिसे 31 जनवरी 2014 से प्रभावी मानते हुए मंजूर कर लिया गया। दो साल बाद 2016 में उन्होंने पंजाब पुलिस नियम की धाराओं 12.24 और 12.25 के आधार पर फिर से पुलिस विभाग में नियुक्ति की मांग की, लेकिन पुलिस आयुक्त फरीदाबाद और बाद में डीजीपी हरियाणा ने भी यह आवेदन ठुकरा दिया।

    याची का कहना था कि पंजाब पुलिस नियमों के तहत वे दोबारा नियुक्ति के पात्र थे। राज्य की ओर से दलील दी गई कि उनकी सेवानिवृत्ति हरियाणा सिविल सेवा नियम 5.32-बी के तहत हुई थी, जिसमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन केवल निर्धारित तिथि तक ही वापस लिया जा सकता है। नियम 5.32-बी (4) के मुताबिक कर्मचारी अपने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति आवेदन को केवल प्रभावी तिथि तक ही वापस ले सकता है। सुशील चंद 31 जनवरी 2014 तक आवेदन वापस ले सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

    पंजाब पुलिस नियम की धाराएं 12.24 और 12.25 केवल ‘डिस्चार्ज’ मामलों पर लागू होती है, जबकि याची स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हुए थे। याची को पेंशन भी मिल रही है और दोबारा नियुक्ति की मांग कई साल बाद की गई, इसलिए इसका कोई औचित्य नहीं बनता। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई कानूनी आधार नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।

    अदालत ने यह भी कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति एक गंभीर निर्णय होता है और एक बार प्रक्रिया पूरी होने के बाद लौटने की गुंजाइश बहुत कम रह जाती है। हाई कोर्ट ने कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद वापसी का अधिकार नहीं है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।