हरियाणा में नए वन्य जीव संरक्षण नियम लागू, अवैध गतिविधियों पर लगेगा अंकुश
हरियाणा सरकार ने वन्य जीव संरक्षण नियम 2025 को अधिसूचित किया है। राष्ट्रीय उद्यानों में प्रवेश फिल्मांकन और शोध अब नियमों के अधीन होंगे। सुल्तानपुर पार्क में प्रवेश शुल्क लगेगा और कलेसर में सफारी वाहनों पर शुल्क लगेगा। वन्यजीव उत्पादों के व्यापार पर रोक है और शोध के लिए अनुमति जरूरी है। इन नियमों से पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में बड़ा फैसला लेते हुए “हरियाणा वन्य जीव (संरक्षण) नियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है।
अधिसूचना के बाद अब राज्य के सभी राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में प्रवेश, फिल्मांकन, फोटोग्राफी और शोध जैसी गतिविधियां सख्त नियमों और अनुमति व्यवस्था के तहत होंगी।
गुरुग्राम स्थित प्रसिद्ध सुल्तानपुर नेशनल पार्क, जहां हर साल सर्दियों में हजारों विदेशी पक्षी आते हैं, इन नए नियमों से सीधे प्रभावित होगा।
अब पार्क में प्रवेश के लिए वयस्क भारतीय पर्यटकों को 50 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 200 रुपये का टिकट लेना अनिवार्य होगा। बच्चों के लिए शुल्क 30 रुपये तय किया गया है।
फोटोग्राफी और फिल्मांकन पर भी अब स्पष्ट शुल्क लागू होगा। सामान्य कैमरे के लिए 50 रुपये और फिल्मांकन के लिए 2500 रुपये (विदेशियों के लिए 5000 रुपये) देने होंगे। अधिकारियों का कहना है कि इससे अनियंत्रित भीड़ और अव्यवस्था पर लगाम लगेगी, साथ ही पार्क के रखरखाव के लिए अतिरिक्त राजस्व भी मिलेगा।
पार्क में रिसर्च करने वाले छात्र और संस्थानों को अब पूर्व अनुमति लेनी होगी। पक्षियों के प्रवास, पर्यावरणीय अध्ययन या किसी भी तरह का औषधीय प्रयोग अनुमति पत्र और निर्धारित शुल्क के बिना संभव नहीं होगा।
वाहनों का प्रवेश शुल्क 100 रुपये
यमुनानगर का कलेसर नेशनल पार्क, जो अपने घने साल और शीशम के जंगलों और हाथियों-बाघों की आवाजाही के लिए प्रसिद्ध है, वहां भी नई व्यवस्थाएं लागू होंगी। अब जंगल सफारी के दौरान वाहनों के प्रवेश पर 100 रुपये का शुल्क देना होगा।
विभाग ने यह भी तय किया है कि सफारी वाहनों की संख्या नियंत्रित की जाएगी, ताकि वन्य जीवों के प्राकृतिक व्यवहार में बाधा न पड़े। कलेसर में कई बार फिल्मांकन दल आते हैं।
अब उन्हें भी पहले से अनुमति लेकर ही शूटिंग करनी होगी और इसके लिए निर्धारित शुल्क अदा करना होगा। अधिकारियों का मानना है कि इन नियमों से पार्क की जैव विविधता की बेहतर सुरक्षा हो सकेगी और अनधिकृत गतिविधियों पर रोक लगेगी।
नए नियमों में ट्रॉफी और वन्य जीव उत्पादों के व्यापार पर सख्त रोक लगाई गई है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यापारी या होटल संचालक बिना अनुमोदन ऐसे उत्पादों का लेन-देन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।
सुल्तानपुर और कलेसर के अलावा बिर शिकारगढ़, नाहर, और मोरनी के जंगलों में भी यह नियम लागू होंगे। स्थानीय ग्रामीणों और पर्यटकों को अब स्पष्ट दिशा-निर्देशों के तहत ही गतिविधियां करने की अनुमति होगी। विभाग का कहना है कि इससे स्थानीय स्तर पर भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
पर्यटन और अनुसंधान को नई दिशा
हरियाणा में कोई भी शोध संस्था, विश्वविद्यालय या औद्योगिक घराना यदि किसी वन्य जीव पर अध्ययन करना चाहता है या औषधीय उपयोग हेतु प्रयोग करना चाहता है, तो उसे निर्धारित शुल्क और औपचारिक प्रक्रिया का पालन करना होगा।
विशेष परियोजनाओं के लिए 5000 रुपये तक का शुल्क लगाया जा सकता है। इस व्यवस्था का सीधा असर राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों पर पड़ेगा, जो अब तक कई बार बिना व्यवस्थित अनुमति के फील्ड स्टडी करते थे।
पर्यावरण संरक्षण में मिलेगी सहायता
वन एवं वन्य जीव विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि बढ़ते शहरीकरण और अवैध शिकार ने राज्य के वन्य जीवों को गंभीर खतरे में डाल दिया है।
विभाग का कहना है कि इन नियमों से हम न केवल पर्यावरण को सुरक्षित करेंगे, बल्कि पर्यटन को भी नई दिशा देंगे। सुल्तानपुर में पक्षी प्रेमियों को बेहतर सुविधा मिलेगी और कलेसर में हाथियों व बाघों के संरक्षण को मजबूती मिलेगी।
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