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भाजपा और कांग्रेस के लिए कालका सीट पर जीत बड़ी चुनौती, बहुकोणीय मुकाबला बिगाड़ सकता है चुनावी समीकरण

हरियाणा की कालका विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। दोनों ही पार्टियों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल है। इस सीट से कुल सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। कालका विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के अपने ही मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। वहीं बसपा-इनेलो के संयुक्त उम्मीदवार मास्टर चरण सिंह भी चुनाव को रोचक बना रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Tue, 24 Sep 2024 08:53 AM (IST)
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कालका सीट पर बहुकोणीय मुकाबला बिगाड़ सकता है चुनावी समीकरण

जागरण संवाददाता, कालका। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए कालका विधानसभा सीट टेढ़ी खीर बनी हुई है। दोनों ही पार्टियों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न है। बहुकोणीय मुकाबला दोनों का राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है। इस सीट से कुल सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

भाजपा की शक्ति शर्मा को लतिका के समर्थक और प्रदीप चौधरी को गुर्जर समुदाय से जुड़ा आजाद उम्मीदवार चुनाव मैदान में नुकसान कर सकता है। वहीं बसपा-इनेलो के संयुक्त उम्मीदवार मास्टर चरण सिंह भी चुनाव को रोचक बना रहे हैं। कालका में चुनाव प्रचार जोरों से चल रहा है।

इन उम्मीदवारों में कांटे की टक्कर

कालका विधानसभा में इस समय मुख्य रूप से जिन उम्मीदवारों में कांटे की टक्कर है उनमें से भाजपा की उम्मीदवार शक्ति रानी शर्मा और कांग्रेस के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी हैं। मगर इनेलो-बसपा के संयुक्त उम्मीदवार मास्टर चरण सिंह, आप पार्टी के उम्मीदवार ओमप्रकाश गुर्जर और आजाद उम्मीदवार गोपाल चौधरी ने इन दोनों पार्टी के उम्मीदवारों की नींद उड़ा रखी है।

इस समय भाजपा और कांग्रेस के कई कार्यकर्ता नाराज

भाजपा और कांग्रेस के वर्कर मास्टर चरण सिंह का सहयोग कर रहे हैं और चुनाव प्रचार में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। इसका फायदा चरण सिंह को मिल रहा है। पिछली बार मास्टर चरण सिंह आजाद उम्मीदवार लड़े थे। वह चुनाव तो नही जीते लेकिन क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली थी। अब वह स्थानीय होने की बात कहकर मतदाताओं को अपनी और आकर्षित कर रहे हैं।

उनकी सबसे बड़ी कला है कि वह सरकार की नाकामियों को अपने भाषण में अच्छी तरह उजागर करते हैं, जिससे मतदाता उनकी और आकर्षित हो रहे हैं। उनकी जनसभाओं में भीड़ भी चुनाव को रोचक बना रही है। वैसे भी इस क्षेत्र में बसपा का अपना एक वोट बैंक है। क्योंकि एक बार यहां से बसपा का उम्मीदवार लोकसभा चुनाव जीत चुका है।

प्रदीप चौधरी भी इनेलो पार्टी में रहते हुए यहां चुनाव जीत चुके हैं। इनेलो और बसपा का अपना एक वोट बैंक है जो मास्टर चरण सिंह को सहयोग करेगा और भाजपा कांग्रेस को कड़ी चुनौती पेश करेगा और वोटों को तोड़ने का काम करेगा।

आम आदमी पार्टी भी दिखा रही दम

आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ओम प्रकाश गुर्जर इस क्षेत्र से भलीभांति परिचित हैं। वह पिछले 30 वर्षों से इस इलाके में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गुर्जर समुदाय से होने के कारण वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

आजाद उम्मीदवार गोपाल चौधरी की अगर बात करें तो उनका अपने क्षेत्र में दबदबा है और गुर्जर समुदाय होने के नाते वह अपने समुदाय में एक अच्छा खासा रसूख रखते हैं। अपने सामाजिक कार्यों की वजह से भी वह जाने जाते हैं। मगर वह वोट बैंक में कितना बदल सकती है यह देखने वाली बात है।

सबसे अधिक नुकसान वह कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप चौधरी को पहुंचा सकते हैं। गुर्जर समुदाय के कुछ लोगों की नाराजगी भी प्रदीप चौधरी को भारी पड़ सकती है। यही कारण है कि प्रदीप चौधरी खेमा फूंक फूंक कर कदम रख रहा है।

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भाजपा और कांग्रेस को अपने ही पहुंचा रहे नुकसान

भाजपा और कांग्रेस दोनों को अपने ही चुनाव में नुकसान पहुंचा रहे हैं। भाजपा की उम्मीदवार शक्ति रानी शर्मा के लिए लतिका के समर्थक चुनौती बनी हुई है तो प्रदीप चौधरी को गुर्जर समुदाय के आजाद उम्मीदवार गोपाल चौधरी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

गुर्जर नेताओं की नाराजगी इस बार कांग्रेस के प्रदीप चौधरी की जीत के रथ के आगे चुनौती है। अभी चुनाव प्रचार के 10 दिन हैं और देखना है कि आखिरी चरण के चुनाव प्रचार में कौन कैसी शतरंज की चाल चलता है। चुनाव में वही जीत हासिल करेगा जो अपनों को साथ लेकर चलने में सफल होगा।

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