हरियाणा में राज्य पुरस्कारों के लिए तरसे शिक्षक, दो साल से नहीं मिला सम्मान
हरियाणा में शिक्षकों को दो साल से राज्य शिक्षक पुरस्कार नहीं मिले हैं। वर्ष 2024 और 2025 के लिए आवेदन मांगे जाने के बावजूद अभी तक पुरस्कारों की घोषणा ...और पढ़ें

राज्य पुरस्कारों के लिए तरसे गुरुजी, दो साल से नहीं मिला सम्मान।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में शिक्षकों को दो साल से राज्य शिक्षक पुरस्कार नहीं मिले हैं। वर्ष 2024 और 2025 के लिए आवेदन मांगें जाने के बावजूद अभी तक पुरस्कारों की घोषणा नहीं हुई है। अंतिम बार वर्ष 2023 में प्रदेश सरकार ने एक साथ वर्ष 2022 और 2023 के पुरस्कार वितरित किए थे। लगातार दो साल से पुरस्कार का इंतजार कर रहे शिक्षकों में अब मायूसी छाने लगी है।
हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) के राज्य प्रधान सतपाल सिंधु ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने बताया कि राज्य शिक्षक पुरस्कार-2024 के लिए पात्र शिक्षकों से 25 जून 2024 से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे।
इसके बाद राज्य शिक्षक पुरस्कार- 2025 के लिए 19 जून 2025 से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए। लेकिन आज तक इन राज्य शिक्षक पुरस्कारों की घोषणा नहीं की गई है। यह स्थिति पात्र शिक्षकों के मनोबल को गिराने का काम करती है। इसलिए शिक्षा विभाग की साख बनाए रखने के लिए वर्ष 2024 और 2025 के राज्य शिक्षक पुरस्कारों की घोषणा शीघ्र की जाए।
प्रदेश में राज्य शिक्षक पुरस्कार योजना के तहत प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल प्रधानाध्यापक और उच्चतर माध्यमिक स्तर सहित विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों को एक लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र सहित 10 राज्य पुरस्कार दिए जाते हैं। आवेदन करने वाले शिक्षकों के पास कम से कम 15 वर्षों का नियमित शिक्षण अनुभव होना जरूरी है।
इसी तरह प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य के पास 20 वर्षों का नियमित शिक्षण अनुभव होना चाहिए। पिछले 10 वर्षों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में ग्रेडिंग (A/A) होनी चाहिए। पिछले पांच वर्षों के 10वीं और 12वीं कक्षा के वार्षिक परिणाम बोर्ड परिणामों की तुलना में माइनस में नहीं हो।
200 सहायक प्राध्यापकों को मिली पदोन्नति
हरियाणा में 200 सहायक प्रोफेसरों को एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति दी गई है। हरियाणा राजकीय महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डा. राजेश रांझा ने कहा कि पदोन्नति संबंधी विषय पिछले कुछ वर्षों से लंबित थे, जिससे शिक्षकों में निराशा का माहौल था। ऐसे में यह निर्णय न केवल शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह सरकार की संवेदनशीलता और संवाद आधारित प्रशासन की मिसाल भी है।

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