संजीव ने जेल में ही फरार होने की कर ली थी प्लानिंग, इस पते पर ली थी पैरोल
पूर्व विधायक रेलू राम और उनके परिवार के आठ सदस्यों की हत्या करने वाले संजीव ने जेल में ही फरार होने की प्लानिंग कर ली थी। चंगनौली के पूर्व सरपंच ने अपना रिश्तेदार बता संजीव की मां को कमरा दिया था। इसी पते पर जेल से पैरोल ली थी।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया समेत परिवार के आठ सदस्यों के हत्यारे उनके दामाद संजीव की मां राजबीरी देवी पर चांगनौली के पूर्व सरपंच बलदेव सिंह ने रहम दिखाया था। उनके ही घर का पता बताकर संजीव ने पैरोल ली थी। बलदेव ने संजीव व उसकी मां को दूर का रिश्तेदार बताया था, क्योंकि संजीव की बलदेव के बेटे कुलबीर के साथ जेल में मुलाकात हुई थी। जेल में ही उसने कुलबीर से अपनी मां के लिए कमरे का इंतजाम करने की बात कही थी। दस फिट के कमरे में सिर्फ एक चारपाई थी। पड़ोसियों से भी उसके मां की कोई जान पहचान नहीं थी।
पैरोल से फरार होने से पहले मिला था बेटे से
16 मई को पैरोल पर आने के बाद संजीव सबसे पहले सहारनपुर में अपने इकलौते बेटे व माता पिता से मिलने के लिए गया था। यहां से अगले दिन चंडीगढ़ में काम होने की बात कहकर चला गया था। इसके बाद 30 मई की रात को आया था और 31 मई को फिर कुरुक्षेत्र जेल में हाजरी लगाने की बात कहकर निकल गया था। इसके बाद वह जेल में वापस नहीं लौटा था।
पूरी प्लानिंग से हुआ था फरार
संजीव ने फरार होने की पूरी प्लानिंग तैयार कर रखी थी। इसके लिए पूर्व सरपंच बलदेव ने ही सभी दस्तावेज तैयार कराए। यहां पर संजीव की मां के नाम पर एक एकड़ जमीन ठेके पर ली हुई दिखाई गई। इसकी राजस्व विभाग से भी रिपोर्ट तैयार कराई गई। जब उसकी पैरोल रिपोर्ट यहां पटवारी के पास पहुंची, तो बलदेव सिंह व नंबरदार मान ङ्क्षसह, जोरा ङ्क्षसह के साथ पटवारी के पास आए थे। यहां पर दोनों नंबरदारों ने रिपोर्ट दी थी कि बलदेव सिंह का चाल चलन ठीक है। संजीव की मां राजबीरी देवी उनकी रिश्तेदार हैं। इसलिए पैरोल को लेकर उन्हें कोई एतराज नहीं है।
बलदेव सिंह व उसके दो बेटों पर भी दर्ज हुआ था केस
संजीव के फरार होने के बाद पुलिस ने बलदेव सिंह व उसके बेटों कुलबीर सिंह और प्रिंस पर भी केस दर्ज किया था। हालांकि वह पुलिस के हाथ नहीं आए और कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली थी।
जेल में घुटने लगा था दम, खुली हवा में रहना चाहता था
वर्ष 2004 में हत्यारे संजीव को कोर्ट ने सजा सुना दी थी। इसके बाद से ही वह अलग-अलग जेलों में रहा। हालांकि बीच-बीच में वह पैरोल पर बाहर आता रहा। कई बार वह पैरोल पर आया और फिर वापस लौट जाता था। मई 2018 में वह 28 दिन की पैरोल पर बाहर आया। इस बार उसने बिलासपुर के चांगनौली का पता दिया। यहां पर उसे मकान की मरम्मत कराने के नाम पर पैरोल ली थी। 31 मई को उसे वापस लौटना था, लेकिन वह वापस नहीं गया।
संजीव के फरार होने का मामला खूब सुर्खियों में रहा। उस समय डिटेक्टिव यूनिट(अब सीआइटू)को इसकी जांच दी गई। टीम जांच में लगी रही, लेकिन संजीव का कोई पता नहीं लग सका। टीम ने बिलासपुर से लेकर उसके पैतृक घर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के लक्ष्मणपुरी में भी दबिश दी। परिवार से भी पूछताछ की, लेकिन कोई पता नहीं लग सका। बाद में यह केस एसटीएफ को दिया गया। उसे मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल करते हुए एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। पूछताछ में संजीव ने बताया कि उसका जेल में दम घुटने लगा था। वह खुली हवा में रहना चाहता था। इसलिए उसने पैरोल मिलने पर यहां से भाग जाने की योजना बनाई थी। पुलिस के मुताबिक फरार होने के बाद संजीव ने परिवार से भी संपर्क नहीं किया, क्योंकि उसे पता था कि यदि वह परिवार से संपर्क करेगा तो पुलिस उस तक आसानी से पहुंच जाएगी। संजीव कुमार मार्शल आर्ट का खिलाड़ी भी था। उसने वर्ष 1997 में लखनऊ स्पोर्टस मीट में भी भाग लिया था। यहीं पर उसकी व सोनिया की मुलाकात हुई थी।
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