20 अक्टूबर 1962 की दीवाली और रेजांगला के रणबांकुरे, ए मेरे वतन के लोगों...गीत का रेवाड़ी से है गहरा कनेक्शन
20 अक्टूबर 1962 की दीवाली पर रेजांगला में रेवाड़ी के रणबांकुरों ने अद्भुत साहस का प्रदर्शन किया था। 'ए मेरे वतन के लोगों' गीत का रेवाड़ी से गहरा संबंध है, जिसने 1962 के युद्ध की यादों को ताज़ा किया और देशभक्ति की भावना को जगाया। यह गीत रेवाड़ी के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि उनके बेटों ने रेजांगला में अपनी जान की बाजी लगाई थी।

साभार: गूगल इमेज
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। इस बार की दीवाली विशेष है। वर्ष 1962 को 20 अक्टूबर को दीवाली का दिन था। इसी दिन भारत चीन युद्ध आरंभ हुआ था। इस दिन को याद करते हुए रेजांगला युद्ध स्मारक पर सोमवार को दीपोत्सव मनाया जाएगा।
पूरे एक महीने तक चले इस युद्ध में 18 नवंबर 1962 को रेजांगला पोस्ट पर परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह भाटी की कमान में 13 कुमाऊं अहीर बटालियन की चार्ली कंपनी के 124 रणबांकुरों ने चीन की एक पूरी ब्रिगेड को पराजित किया था।
इसमें 1300 से अधिक चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारने के साथ सैकड़ों चीनी सैनिकों को घायल किया था। इस लड़ाई में हमारे 110 रणबांकुरे बलिदान हुए थे। इनमें अधिकतर अहीरवाल की माटी के लाल थे।
इस युद्ध के बाद चीन को दो दिन तक अपने सैनिकों की लाशों को इकट्ठा करने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने की कार्यवाही ने झकझोर कर रख दिया था। तीसरे दिन 21 नवंबर को चीन ने एक युद्ध विराम की घोषणा की थी।
इसी युद्ध पर कवि प्रदीप के लिखे और स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने ए मेरे वतन के लोगों, जरा याद करो कुर्बानी...गीत आज भी देशभक्ति का जज्बा जागृत करते हुए जोश और उत्साह का संचार करता है।
रेजांगला शौर्य समिति के महासचिव नरेश चौहान कहते हैं कि 63 साल बाद इस बार 20 अक्टूबर को दीवाली का पर्व आया है।
समिति रेवाड़ी के सिविलियन अहीर धाम रेजांगला युद्ध स्मारक पर शाम पांच बजे अपने मुख्य संरक्षक कर्नल रणबीर सिंह यादव और अध्यक्ष राव संजय सिंह की अगुवाई में रेजांगला के अमर बलिदानियों के पराक्रम को नमन कर संगीतमय दीपोत्सव मनाएंगे। इसमें सभी शहर वासी और पूर्व सैनिक उपस्थित रहेंगे।
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